Phone: 1-800-123-4567

Email:info@example.com

वित्त मंत्री बताएं कि आई0डी0बी0आई0 का राष्ट्रीयकरण समाप्त हो रहा है अथवा नहीं

28 फरवरी, 1992 को लोकसभा में राष्ट्रीयकरण समाप्त किए जाने पर चन्द्रशेखर

अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ मुद्दों पर आपका मार्गदर्शन चाहूँगा। माननीय सदस्य महोदया ने एक प्रश्न उठाया है कि आई.डी.बी.आई. का राष्ट्रीयकरण समाप्त किया जा रहा है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है। क्या इस सम्माननीय सभा को दो या तीन दिनों तक प्रतीक्षा करनी चाहिए? माननीय वित्तमंत्री जी यहाँ बैठे हुए हैं। उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या इसे गैर राष्ट्रीयकृत करने सम्बन्धी कोई प्रस्ताव उनके पास है अथवा नहीं या फिर यह खबर बिल्कुल ही भ्रामक है। क्योंकि इसका अपना ही आशय है।

माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ कि अन्य मुद्दों पर हम कुछ प्रतीक्षा कर सकते हैं और कुछ समय बाद चर्चा कर सकते हैं किन्तु आई.डी.बी.आई. जैसी किसी संस्था को गैर-राष्ट्रीयकृत किया जा रहा है, ऐसी बात इस सम्माननीय सभा में कही जा रही है। माननीय वित्तमंत्री जी यहाँ बैठे हुए हैं और आप हम लोगों से बोल रहे हैं कि हमें प्रतीक्षा करनी चाहिए जब कि अखबारों में छप रहा है कि गैर राष्ट्रीयकृत कर रहे हैं। उन्हें यह कहना चाहिए कि वे इसका गैर-राष्ट्रीयकृत कर रहे हैं अथवा यह खबर ही गलत है।

मैं इस पर एक विनिर्णय चाहता हूँ। मैं सदन के नियमों को जानता हूँ और मैं यह भी जानता हूँ कि इस सम्माननीय सभा की किस प्रकार से कार्यों का निष्पादन करना है। माननीय मंत्री महोदय को मुझे यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि उन्हें इस सम्मानीय सभा में आना होगा। प्रश्न यह है कि इसका प्रभाव पड़ेगा अथवा नहीं? अध्यक्ष महोदय, मैं इस मुद्दे पर आपका मार्गदर्शनचाहता हूँ। यह एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण वित्तीय संस्था है। माननीय सदस्य महोदया ने कहा है, कि सरकार इसका राष्ट्रीयकरण समाप्त करने जा रही है। माननीय मंत्री महोदय, उपमंत्री महोदय अथवा राज्यमंत्री जी, मैं यह नहीं जानता हूँ- प्रसन्नतापूर्वक कहते हैं कि मैं जानता हूँ कि उन्हें संसद में आना हैं। यदि माननीय वित्तमंत्री जी यहाँ नहीं होते तो मैं इस मुद्दे पर जोर नहीं डालता। कल प्रेस में क्या समाचार छपेगा? सम्पूर्ण मुद्दे के सम्बन्ध में फिर संदेह उत्पन्न हो जायेगा।


अनुक्रमणिका

संपर्क सूत्र

फोन नम्बर: +91-9415905877
ई-मेल: mlcyashwant@gmail.com
Website: www.chandrashekharji.com

दारुल सफा 36/37 बी-ब्लाक,
विधानसभा मार्ग,
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश

फोटो गैलरी

चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।