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प्रेस की स्वतंत्रता पर आंच हम सबके लिए लज्जा की बात, सरकार उठायेगी कदम

हरियाणा में प्रेस की बिजली कटने के सवाल पर लोकसभा में 7 जनवरी, 1991 को प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर

मैं सार्क के बारे में वक्तव्य दूं उससे पहले विरोधी दल के नेता माननीय दण्डवते जी, गुजराल जी और नरसिंह राव जी ने जो सवाल उठाया है प्रेस की स्वतन्त्रता पर भजन लाल जी, सन्तोष मोहन देव जी ने भी उठाया है, मैं उस विवाद में नहीं पड़ता, में आपके जरिए केवल एक ही बात सदन और देश को बताना चाहता हूँ कि प्रेस की स्वतन्त्रता के ऊपर कोई भी आंच आए तो हम सबके लिए दुःख और लज्जा की बात है। प्रेस की स्वतन्त्रता हमेशा अक्षुण्ण रहनी चाहिए। आरोप, प्रत्यारोप में मैं नहीं जाऊँगा।

एक विशेष घटना की ओर आज माननीय सदस्यों ने ध्यान दिलाया है। मैं हरियाणा सरकार से उस बारे में जानकारी करूंगा और मैं सदन को विश्वास दिलाता हूँ कि प्रेस की स्वतन्त्रता को अक्षुण्ण रखने के भारत सरकार कदम उठाएगी। इस सवाल के ऊपर सदन कोई बहस करना चाहे और आप अनुमति दें, कोई समय मिले तो उस पर पूरी बहस विस्तार से करें क्योंकि मैं मानता हूँ कि यह मौलिक सवाल है और इस सवाल पर हमारी ओर से कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।

दो महीने के अन्दर, मैं नहीं जानता, मैंने कम से कम किसी प्रेस वाले से या किसी प्रेस सम्पादक से या किसी के बारे में मैंने कोई शिकायत न की है न मुझे कोई शिकायत है कि कौन सरकार के बारे में क्या लिखता है? कौन प्रशंसा करता है या आलोचना करता है? यह उनकी आजादी है, जो चाहें सो करें। मैं यह भी मानता हूँ कि आजादी के बारे में हमारे मन में कोई दुविधा नहीं रहनी चाहिए। मैं सदन को विश्वास दिलाता हूँ कि सरकार कोई ऐसी दुविधापैदा नहीं होने देगी।

उपाध्यक्ष महोदय, हरियाणा सरकार के अनुसार बिजली की सप्लाई में गड़बड़ी किसी तकनीकी खराबी के कारण है जिसे ढूंढा जा रहा है। जब मैंने 2.00 और 3.00 बजे के बीच बातचीत की तो मुझे बताया गया कि कर्मचारी खराबी को ठीक करने का प्रयत्न कर रहे हैं और आज शाम तक बिजली की सप्लाई आरम्भ हो जायेगी।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।