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1984 दंगे के दस्तावेज को देशहित में संसद में नहीं पेश करें जार्ज फर्नांडीज

पंजाब का जख्म उकेरने पर 16 अप्रैल, 1999 को लोकसभा में चन्द्रशेखर

उपाध्यक्ष महोदय, 1984 का दंगा एक बड़ा दुःखद एवं संवेदनशील मामला है। पन्द्रह वर्षों के पश्चात अब इस मामले पर छानबीन करना निरर्थक रहेगा। मुझे भी इस सम्बन्ध में कुछ जानकारी है और यदि मैं बोलूँगा तो कई लोगों को बुरा लगेगा। अतः मुझे बोलने से रोके नहीं। मेरा श्री जार्ज फर्नान्डीज से अनुरोध है कि वे इस मुद्दे को उठाये नहीं। मैं कांग्रेस सदस्यों से भी अनुरोध करूँगा कि वे इस मुद्दे को भूल जायें।

उपाध्यक्ष महोदय, यदि आप लोगों की राय में कुछ आपत्तिजनक है तो आप उसे निकाल दीजिये। ऐसा श्री जार्ज फर्नान्डीज अथवा कांग्रेस दल के कारण नहीं है, अपितु इस मामले के कारण देश भर में गम्भीर प्रभाव पड़ेंगें। मुझे यह कहते हुए खेद है कि इससे स्थिति अनियंत्रित होने की पूरी संभावना है। अगर कोई आथेंटिकेट करेंगे, सही होगा, गलत होगा यह बहस हफ्ते, दो हफ्ते, दो महीने चलेगी। मैंने इसलिए कहा कि यह बहस टलेगी तो इसके नतीजे बुरे होंगे। इसलिए मैंने जार्ज फर्नाडीज जी से निवेदन किया कि इस मामले को पे्रस न करें और कांगे्रस के मित्रों से भी कहा कि वे भी इस पर जोर न दें। मैं आपसे निवेदन करूँगा कि आप अपने अधिकार का उपयोग करके जो भी उसमें अनुचित हो, उसको एक्सपंज कर दें, क्योंकि यह सदस्यों के अधिकार का प्रश्न नहीं है, यह राष्ट्र में अशान्ति फैलने का सवाल है।

मैं आडवाणी जी से बड़े विनम्र शब्दों में कहूँगा कि हो सकता है जार्ज जी कुछ दस्तावेज लाएँ लेकिन हर चीज को दस्तावेजों के जरिए साबित करके हमें और अधिक समस्याएँ नहीं खड़ी करनी चाहिए। हमारे सामने अनेक समस्याएैं, उन्हीं का समाधान हम नहीं ढूँढ़ पाते।

आडवाणी जी, मैंने कभी नहीं कहा कि जार्ज असत्य बोले हैं। मेरे भी बहुत सारे व्यक्तिगत अनुभव हैं। हमारे मित्र श्री इन्द्रजीत गुप्त ने कहा कि पुरानी बातों को नहीं भूलता हूँ। मैं बहुत सारी बातों को भूल जाता हूँं। इसलिए मैं आपसे भी निवेदन करूँगा और आपसे नहीं जार्ज साहब से निवेदन करूँगा कि बहुत बातों को भूल जाना भी कभी-कभी जरूरी होता है। जरूरी व्यक्ति के लिए नहीं, जरूरी समाज के लिए, जरूरी देश के लिए, इसलिए जार्ज साहब उस बात को भूल जायें। बहुत सारे आग्र्युमेंट्स उनके पास होंगे काफी दस्तावेज लाये होंगे, अगर एक दस्तावेज 1984 के दंगे का पेश नहीं करेंगे, तो उनके भाषण में कमी नहीं आएगी।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।