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तमिलनाडु में राज्यपाल व मुख्यमंत्री आमने.सामने प्रशासन ठप, भारत सरकार करे स्थिति स्पष्ट

राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच कथित तनाव पर 25 अप्रैल, 1995 को लोकसभा में चन्द्रशेखर

अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे एक अनुरोध है। श्री शरद यादव ने कुछ टिप्पणियां की हैं। श्री सोमनाथ चटर्जी ने अपनी शंका व्यक्त की है। इस मामले की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। राज्य में सम्पूर्ण प्रशासन ठप्प हो गया है। यह भी सच है कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल लड़ते हुए सड़कों पर आ गए हैं। तमिलनाडु में प्रत्येक व्यक्ति की जबान पर यह बात है। कल मैं मद्रास में था। वहाँ सम्पूर्ण वातावरण पूरी तरह दूषित हो गया है।

हम आपसे केवल यह चाहते हैं कि भारत सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे क्योंकि प्रेस रिपोर्टों के अनुसार राज्यपाल ने ऐसा निर्णय प्रधानमंत्री से सलाह किए बिना किया है। माननीय सदस्य कहते हैं राज्य सरकार को अस्थिर बनाने में प्रधानमंत्री की राज्यपाल से साठ-गांठ है। क्या ऐसा है? अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा वहाँ कुछ नहीं हो रहा है। भारत सरकार को कम से कम अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए जिससे केन्द्र और राज्य के बीच अनावश्यक तनाव पैदा न हो और लोगों के मन में अनावश्यक शंका पैदा न हो।

श्री शरद यादव तथा श्री सोमनाथ चटर्जी ने अत्यंत मौलिक प्रश्न उठाए हैं। मैं नहीं जानता सरकार कब निर्णय लेगी। लेकिन मामूली से मामलों पर सरकार तमिलनाडु की घटनाओं को टाल सकती थी। मैं भारत सरकार के मनोविज्ञान को नहीं समझ पा रहा हूँ। कृपया हमारी सहायता करें और ऐसे मामलों पर भारत सरकार को अपना मत व्यक्त करने के लिए कहें।

अध्यक्ष महोदय, इस मुद्दे पर मैं आपका मार्गदर्शन चाहता हूँ। क्या कोई मंत्री और वह भी संसदीय कार्य मंत्री यह कह सकता है कि जब मुख्यमंत्री औरराज्यपाल आपस में लड़ रहे हैं, भारत सरकार को इसमें कोई लेना-देना नहीं है? मैं तो केवल यह कह रहा हूँ कि यदि भारत सरकार ने इस मामले को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करने का प्रयास किया होता तो यह दुःखद स्थिति उत्पन्न नहीं होती।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।