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तमिलनाडु सरकार और लिट्टे के बीच है संबंध करुनानिधि नहीं दे भारत सरकार चुनौती

बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति पर 10 जनवरी, 1991 को लोकसभा में चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री

अध्यक्ष महोदय, मुझे खेद है कि इस प्रश्न में अनेक असम्बद्ध मामले शामिल कर दिये गये हैं। मैं उन सभी के बारे में बात नहीं करूँगा परन्तु मेरे मित्र श्री इन्द्रजीत गुप्त ने एक बहुत ही विचित्र वाद प्रस्तुत किया है जिससे मैं सहमत नहीं हूँ। उन्होंने कहा है कि एल0टी0टी0ई0 अलगाव की बात नहीं कर रहा है परन्तु वह दूसरे देश में आगे बढ़ने के लिए कुछ कर रहा है और इस प्रकार उनकी तुलना दूसरे उन संगठनों से नहीं करनी चाहिए जो विद्रोह में अन्तग्र्रस्त हैं। यदि यह एक तकनीकी प्रश्न है तो मैं उनकी बात से सहमत हूँ कि इन दो संगठनों का क्या दर्जा होना चाहिये। परन्तु यहाँ तो इस देश की एकता और अखण्डता का प्रश्न है। मैं समझता हूँ कि यह एक और अधिक गम्भीर मामला है क्योंकि भारत से बाहर के व्यक्ति यहाँ आते हैं और समस्याएँ उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं। उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और उसे बर्दास्त किया भी नहीं जाना चाहिए।

मैं अपने मित्र श्री इन्द्रजीत गुप्त के समान यह बात कहने के लिए इतना स्वतन्त्र नहीं हूँ कि भविष्य की योजनाएँ क्या हैं। अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार को कुछ जानकारी है, मुझे खेद है कि हम उस जानकारी से इस सभा को अवगत नहीं करा सकते क्योंकि इसमें एक बाहरी देश के मामले जुड़े हुए हैं। इस मामले से देश का भविष्य जुड़ा हुआ है। मैं फिलहाल यही संकेत देना चाहता हूँ कि मामला अत्यधिक गम्भीर है। मेरे कुछ साथी यह कहने का प्रयास कर रहे थे कि यह आल इण्डिया अन्ना द्रमुक और जनता दल-समाजवादी के बीच सरकार बनाने के लिए एक साठ-गांठ है। इस प्रकार का प्रचार इस देशके राजनैतिक क्षेत्र के उन कुछ तत्वों द्वारा किया जा रहा है जिन्होंने कभी भी अवसरवादिता के अतिरिक्त और कुछ नहीं सीखा है।

अध्यक्ष महोदय, रिकार्ड को ठीक करने के लिए मैं सभा की जानकारी में यह बात लाना चाहता हूँ कि जब मैं इस सदन का एक साधारण सदस्य ही था तो मैंने भारत सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री को एक नोट भेजा था जिसमें तमिलनाडु में एल0टी0टी0ई0 के विद्राहियों अथवा उग्रवादियों की गतिविधियों का विवरण और उस समय तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया का भी विवरण दिया गया था। दुर्भाग्य की बात है कि तत्कालीन गृहमंत्री द्वारा उस पत्र की प्राप्ति की सूचना तक नहीं दी गई। अब इस देश में उस प्रकार की स्थिति नहीं है। मैं यह बात स्पष्ट करना चाहता हूँ। मेरा दृष्टिकोण कुछ और ही है। परन्तु मैं स्वयं अपने ही दृष्टिकोण से कार्य नहीं करता हूँ जैसे कि मेरे मित्र श्री चित्त बसु और श्री इन्द्रजीत गुप्त ने कहा है।

मैं यह बात बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि हम अनुच्छेद 356 का प्रयोग करने से पूर्व सैकड़ों बार इस पर विचार करेंगे। मेरे मन में यह बात स्पष्ट है कि यदि संविधान के अनुच्छेद के अन्तर्गत एक बार निर्देश जारी कर दिया गया तो इसकी वापसी का कोई प्रश्न ही नहीं है। अतः, मैंने संविधान के अनुच्छेद के अन्तर्गत कोई निदेश जारी नहीं किया है परन्तु श्री करुणानिधि को भारत सरकार के दृष्टिकोण और देश के उस भाग में व्याप्त स्थिति के बारे में सूचित कर दिया गया है।

मैं दो या तीन बातें सभा के ध्यान में लाना चाहता हूँ। यह सच है जैसा कि मेरे मित्र श्री विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा है, कि ‘उल्फा’ और ‘लिट्टे’ के बीच केवल सम्पर्क ही नही बल्कि इन दोनों के बीच पूर्ण सहयोग बना रहा है। तमिलनाडु में ‘‘उल्फा’’ के छह केन्द्र हैं। मैं नहीं जानता कि ये केन्द्र तमिलनाडु सरकार की मिलीभगत से बने हैं कि नहीं, किन्तु यह एक वास्तविकता है। यह भी सही है कि ‘उल्फा’ के दो नेता बैल्लोर अस्पताल से गिरफ्तार किये गये थे और ये दोनों ही ‘उल्फा’ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं।

मैं नहीं जानता। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता। उनसे पूछताछ की गयी थी और उन्होंने जो सूचना दी है वह काफी चिन्ताजनक है। मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि तमिलनाडु में ए0 के0-47 राइफलें सबसे कम दामों में मिलती हैं और आंध्र से नक्सलवादियों, पंजाब के आंतकवादियों तथा‘उल्फा’ के लोगों के लिए भी ए0 के0-47 राइफलें खरीदने का यह मुख्य केन्द्र है। यह ऐसी जानकारी है जो सरकार के रिकार्ड में है। मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूँ कि जब मैंने इस सभी बातों के बारे में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से कहा तो उन्होंने इस संबंध में कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था।

कुछ माननीय सदस्यों ने सरकारिया आयोग-राज्य सरकारों तथा केन्द्र सरकार के बीच सम्बन्ध का उल्लेख किया है। अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी तथा सभा की सलाह के अनुसार कार्य करूँगा। यदि मैं किसी राज्य के मुख्यमंत्री को कोई बात कहता हूँ तो क्या यह सही है कि वह मुख्यमंत्री ऐसा वक्तव्य दे कि मुझे देश के प्रधानमंत्री के दबाव में आकर कोई कार्यवाही करनी पड़ी है। मेरे विचार में राज्य सरकारों तथा भारत सरकार के बीच अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने का यह कोई तरीका नहीं है।

मैं यह भी कहना चाहता हूँ और यह बात मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूँ कि अब हम यह सोचने पर विवश हैं कि किसी राज्य सरकार को किस प्रकार की जानकारी दी जाये और कौन सी जानकारी न दी जाये क्योंकि मेरे पास ऐसी सूचना है कि मुख्यमंत्री को जो जानकारी दी गयी थी वह न केवल तमिलनाडु में बल्कि जाफना में ‘लिट्टे’ के मुख्यालय तक पहुँच गयी। यह बहुत बावजूद गम्भीर मामला है। फिर भी मैंने बार-बार यह कहा है कि सरकार के विरुद्ध कुछ नहीं किया जायेगा।

कुछ माननीय सदस्यों के अपने-अपने विचार हैं। मैं इस संबंध में कुछ नहीं कहना चाहता। यदि आप चाहते हैं तो मैं यह सारी बातें आपके तथा विपक्षी दलों के नेताओं के सम्मुख रख सकता हूँ। इस सभा में कोई बात कहने में गैर-जिम्मेदारी की भी कोई सीमा होनी चाहिए। हम बहुत ही गम्भीर मसले पर विचार कर रहे हैं। मेरे मित्र माक्र्सवादी नेता श्री आचार्य ने बताया कि मैं खालिस्तानियों के साथ बात कर रहा हूँ। मैंने किसी खालिस्तानी के साथ बात नहीं की। उनके मन में कोई खालिस्तानी होगा। जब कोई खालिस्तान ही नहीं है तो खालिस्तानी नागरिक कहाँ से हो सकता है। वे सभी भारतीय हैं। हम खालिस्तान के बारे में बात कर रहे हैं। मैं कह चुका हूँ कि हम केवल भारतीयों से बात करेंगे और देश की एकता तथा अखण्डता के प्रश्न पर कोई समझौता नहीं हो सकता।

अध्यक्ष महोदय, मैं अपने मित्र श्री आचार्य को यह आश्वासन देना चाहता हूँ कि श्रीमान के साथ मेरी जो बातचीत हुई थी और श्रीमान और उनके अन्य साथियों से जो सूचना मिली थी वह सभी मैं उनके नेताओं को देख चुका हूँ और यदि उनके नेताओं ने उन्हें सूचित नहीं किया है तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मैं कोई बात चोरी-छिपे नहीं कर रहा हूँ। जो कुछ भी किया जा रहा है वह देश में तथा सभा में महत्वपूर्ण दलों के नेताओं की पूर्ण जानकारी से किया जा रहा है। मैं कोई भी बात गुप्त रूप से नहीं करना चाहता। यदि कोई बात होगी तो सभा के जिम्मेदार नेताओं तथा सभा से बाहर के जिम्मेदार नेताओं को उसकी जानकारी दी जाएगी। लेकिन मैं ऐसी किसी जानकारी को उन लोगों को नहीं दे सकता जो अपने आप को बहुत महत्वपूर्ण समझते हैं। मुझे खेद है, मैंने उन्हें वही महत्व दिया है जिसके वे पात्र हैं। इस बारे में मैं इतना ही कह सकता हूँ।

मेरे मित्र श्री विजय कुमार मल्होत्रा ने बताया है कि सिमरन जीत सिंह यान के साथ हुई मेरी बातचीत के कारण कुछ लोगों को गलत संकेत मिल रहे हैं। अध्यक्ष महोदय, ऐसा हो सकता है। मैं इस बात से इन्कार नहीं कर सकता। लेकिन इस सभा के माध्यम से मैं उस तत्वों को सचेत करना चाहता हँू कि यदि उन्हें ऐसा कोई संकेत मिला है कि हम हिंसा तथा निर्दोष व्यक्तियों की हत्याओं को बर्दाश्त करेंगे तो वे गलती पर हैं। मैंने बातचीत के दौरान सिमरन को बताया था कि सरकार की सर्वप्रथम जिम्मेदारी है कि वह पंजाब के या पूरे देश के लोगों में सुरक्षा की भावना बनाये। पंजाब में हुई निर्दोष व्यक्तियों की हत्याओं के बाद हमने कुछ कदम उठाये हैं। मेरे मन में किसी प्रकार के बदले या निरंकुशता की भावना नहीं है। लेकिन राज्य का शासन स्थापित करने के लिए हर सम्भव कार्यवाही की जाएगी। हमें इसमें कोई संकोच नहीं होगा कि जनता में सुरक्षा की भावना बनाएं रखने के लिये सरकार की पूरी शक्ति का उपयोग किया जाए।

अध्यक्ष महोदय, मैं आपको और आपके माध्यम से अपने मित्र श्री विजय कुमार मल्होत्रा को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि यदि सरकार की किसी कार्यवाही से यह गलत धारणा बनी है तो मेरे यहाँ बोलने के 24 घंटे के अन्दर वह गलत धारणा दूर कर दी जाएगी।

मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि सरकार का श्री करुणानिधि की सरकारको बर्खास्त करने का कोई इरादा नहीं है लेकिन इस सम्बन्ध में उस सरकार की कार्यवाही संतोषजनक नहीं है। मैं आशा करता हूँ कि श्री करुणानिधि को भारत सरकार को चुनौती नहीं देनी चाहिये। आज सुबह उन्होंने एक वक्तव्य दिया कि वे इसका जवाब देंगे। मैं किसी झगड़े में नहीं पड़ना चाहता। मैं किसी प्रकार का कोई तनाव उत्पन्न नहीं करना चाहता। लेकिन अब वे दिन नहीं रहे हैं जब भारत सरकार मद्रास से चलायी जाए। यह सरकार इस सभा से और इस संसद से चलायी जाएगी।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।