गृहमंत्री, राज्यपाल और मुख्य सचिव के वक्तव्य में विरोधाभास, सरकार करे स्थिति स्पष्ट
अध्यक्ष महोदय, मुझे खेद है कि मुझे कुछ वह कहना है जो श्री जसवंत सिंह जी को अच्छा नहीं लगेगा। मुझे मालूम है कि इस सभा में और इसके बाहर कुछ घटित हुआ है जो एक विक्षुब्ध करने वाली स्थिति है। विशेषकर श्री इन्द्रजीत गुप्त, भारत के गृहमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा दिए गए वक्तव्य और कुछ हद तक उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के वक्तव्य से उत्पन्न विरोधाभास के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
संसदीय लोकतंत्र में इसकी अपेक्षा नहीं की जाती। मैं नहीं जानता कि भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच क्या मानदंड अपनाए जा रहे हैं। मैं यह भी नहीं जानता कि यदि आप इस मामले पर चर्चा प्रारम्भ करते हैं, हम इसे पसन्द करेंगे या नहीं? राज्यपाल के आचरण के बारे में क्या स्थिति उत्पन्न होगी? श्री जसवंत सिंह ने कहा कि वे राज्यपाल के आचरण पर चर्चा नहीं करना चाहते बल्कि इस विशिष्ट मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं। इस विशिष्ट मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मामले पर प्रधानमंत्री जी से चर्चा की थी। प्रधानमंत्री राज्यपाल के कार्यकाल और उत्तर प्रदेश की मौजूदा स्थिति से पूर्णतया सन्तुष्ट थे। यह एक ऐसा मामला है जिसमें सरकार को स्वयं आगे आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
इस बारे में एक वक्तव्य देना चाहिए कि वास्तविक स्थिति क्या है क्योंकि यदि गृहमंत्री, राज्यपाल और मुख्य सचिव के वक्तव्यों में विरोधाभास सामने आता है तो सरकार के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वह एक सुस्पष्ट वक्तव्य देकर स्थिति को स्पष्ट करे। यह एक अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी जब बाहर यह संकेत जाएगा कि गृहमंत्री और प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश राज्य और वहाँ मौजूदा स्थिति के महत्वपूर्ण मुद्दे पर सहमत नहीं हैं।
अध्यक्ष महोदय, इस आधार पर यदि कोई चर्चा होती है तो मैं समझ सकता हूँ। मैं समझता हूँ कि तकनीकी रूप से वे सही हो सकते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से यह एक गलत परम्परा होगी। मैं समझता हूँ कि यह उचित होगा कि कोई मध्यमार्ग निकाला जाए। यह बेहतर होगा यदि हम ऐसी चर्चा से बचें जिनका केन्द्र राज्यपाल का आचरण हो।