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अराजकता की ओर अग्रसर है उत्तर प्रदेश गठित हो संसद की सलाहकार समिति

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर 24 फरवरी, 1997 को लोकसभा में चन्द्रशेखर

अध्यक्ष महोदय, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो सवाल उठाया है वह गंभीर सवाल है। उत्तर प्रदेश की हालत रोज बद से बदतर होती जा रही है। हत्याओं का दौर बढ़ता जा रहा है। फर्रूखाबाद में ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी की हत्या हुई। मथुरा में हम लोगों के पुराने साथी थे जोगेन्द्र सिंह जी, जिनको रक्षामंत्री जी 20-25-30 वर्षों से जानते थे। उनकी जान को खतरा था।

अध्यक्ष महोदय, मैंने स्वयं राज्यपाल को पत्र लिखा था। दिन में कचहरी के अन्दर उनकी हत्या हो गई। तीन हत्यारे आए। एक ने वकील को पकड़ लिया और दो चले गए। वहाँ पुलिस खड़ी थी लेकिन उसने कुछ नहीं किया। जब मैंने पूछा कि ऐसा क्यों किया तो कहा कि जिलाधिकारियों ने कहा कि इनके ऊपर कोई खतरा नहीं है, इसलिए सुरक्षा की व्यवस्था जो कुछ दिन पहले थी, वह हटा ली गई।

हमारे जिले में हत्याएं पहले नहीं होती थीं, अब वहाँ पिछले कुछ महीनों से हर हफ्ते लगभग एक हत्या हो रही है। मैंने बार-बार राज्यपाल महोदय को कहा, अधिकारियों को कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यह व्यक्ति का सवाल नहीं है। उत्तर प्रदेश अराजकता की ओर बढ़ता चला जा रहा है। विकास के कामों की बात छोड़ दीजिए। भ्रष्टाचार की बात करना आज कोई आवश्यक नहीं है लेकिन मुझे उस समय बहुत आश्चर्य हुआ जब मैं बहुत दिनों के बाद कुछ घंटे के लिए लखनऊ गया। कुछ अधिकारियों के ऊपर इनकम टैक्स के छापे पड़े तो उनके स्थानांतरण करने के लिए जब कहा गया तो कई दिनों तक उनका तबादला नहीं हुआ। यदि मेरी जानकारी सही है तो भारतके गृहमंत्री ने जब आदेश दिया कि इनका स्थानांतरण किया जाए तो स्थानांतरण किया गया।

हम यह नहीं जानते कि क्या हो रहा है? गृहमंत्री यहाँ बैठे हैं। एक बहुत वरिष्ठ व्यक्ति ने बताया कि जिनके ऊपर इनकम टैक्स के छापे पड़े थे, उनका हफ्ते या दस दिन तक स्थानांतरण नहीं किया जा सका। वहाँ का कोई वरिष्ठ अधिकारी जब गृहमंत्री से मिला तो उन्होंने जब निर्देश दिया तो केवल उनका स्थानांतरण किया गया। यह वहाँ की हालत है। मैं नहीं जानता कि कौन इसके लिए जिम्मेदार है। बहस से कुछ नहीं हो सकता। सवाल यह है कि यहाँ संसद है, यहाँ सरकार है जो कि केन्द्र को चलाती है और जिसके द्वारा राष्ट्रपति शासन संचालित होता है। क्या यह सम्भव नहीं कि गृहमंत्री जी, प्रधानमंत्री जी और संयोग से रक्षामंत्री जो कि उसी राज्य से आते हैं, सब बैठ कर कोई ऐसा रास्ता निकालें कि उत्तर प्रदेश बरबादी की ओर जाने से रुक सके।

मैं समझता हूँ कि कई बार ऐसा हुआ। जहाँ सरकार बन जाए तो अच्छी बात है। वह जब तक नहीं बनती है तब तक क्या जन प्रतिनिधियों की सलाह लेना आवश्यक नहीं है? कई बार ऐसा हुआ है कि संसद की समिति सलाहकार समिति के रूप में काम करती है। उत्तर प्रदेश में संसद की सलाहकार समिति क्यों नहीं बनती, क्यों नहीं लोगों को बुलाया जाता, क्यों नहीं किसी के सामने यह शर्त रखी जाती है कि अचानक कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश की हालत इतनी क्यों बिगड़ गई। अध्यक्ष महोदय, कहीं इसकी जड़ में कोई ऐसी बुराई है जिसे केन्द्र सरकार को समझना चाहिए। मैं न किसी पर आरोप लगा रहा हूँ और न किसी पर इंगित कर रहा हूँ। उत्तर प्रदेश की हालत के बारे में जो भी मेरे पास सूचना है, वह बता रहा हूँ।

अध्यक्ष महोदय, मैं आपके जरिये गृहमंत्री जी से निवेदन करूंगा कि अब पानी नाक के ऊपर चला गया है। अगर आप कुछ नहीं करेंगे तो उत्तर प्रदेश की अराजकता हम सब के लिए खतरनाक बन जाएगी। इससे न केवल वह प्रदेश बरबादी की ओर जाएगा बल्कि आपकी मर्यादा भी नहीं बचेगी। उत्तर प्रदेश में संसदीय जनतंत्र की मर्यादा कितनी बच पायी है, वह कहना कठिन है। मुझे विश्वास है कि केन्द्र सरकार इसको गम्भीरता से लेगी।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।