यशवंत जैसों का उत्पीड़न नहीं रुका तो पैदा होगी गृहयुद्ध की स्थिति
अध्यक्ष महोदय, पिछले दिनों में, मैं दो बार उत्तर प्रदेश गया हूँ। आज लखनऊ से वापिस आ रहा हूँ। उत्तर प्रदेश की स्थिति सामान्य नहीं है। वहाँ जो स्थिति है, मैंने कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री जी से मिल कर कहा था कि अगर इस स्थिति को नहीं रोका गया तो वहाँ गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी। मैं नहीं कहता कि दोष किसका हैं, किसका नहीं है लेकिन वहाँ जिस प्रकार शासन चल रहा है और जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग हो रहा है, वह अत्यंत लज्जाजनक है।
अध्यक्ष महोदय, मेरे पास कुछ लोगों ने एक कागज दिया है। मैं उस कागज को आपके सामने नहीं रखना चाहता। एक बड़े सीनियर पुलिस अधिकारी ने डेढ़ सौ लोगों का नाम लिख कर कहा है कि सारे एस.पी. इन लोगों के ऊपर मुकदमा बनाएँ और जो मुकदमा नहीं बनाएगा, उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। क्या यह देश चलाने का रास्ता है? क्या यह देश को बनाने का रास्ता है? जिस तरह से वक्तव्य दिए जाते हैं, मैं उसकी चर्चा नहीं करूँगा। श्री अमर सिंह हों, श्री मुलायम सिंह हों, चाहे श्री अखिलेश सिंह हों, न केवल इनके बारे में बल्कि इनके माँ-बाप के बारे में, इनके परिवार के बारे में, इनके समर्थकों के बारे में जिस भाषा का प्रयोग वहाँ की मुख्यमंत्री कर रही हैं, मैं नहीं जानता कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद चलाने वाले हमारे मित्र खुराना साहब और मल्होत्रा जी को उनका समर्थन कब तक प्राप्त रहेगा।
मैंने उत्तर प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से बात की। कल भी की थी। उसके पहले केन्द्र के नेताओं से बात की थी और सभी ने स्वीकारकिया कि उत्तर प्रदेश की स्थिति ऐसी है कि अगर तुरन्त कोई कदम नहीं उठाया गया तो हालत बिगड़ जाएगी। मुझे आश्चर्य होता है कि मुलायम सिंह जी इस मामले में बहुत भले आदमी नहीं हैं और वह भी कर सकते हैं लेकिन इन्होंने और इनके साथियों ने इस समय जिस संयम का परिचय दिया है, उसके लिए मैं उनको बिना बधाई दिये नहीं रह सकता क्योंकि उन्होंने अत्यन्त संयम दिखाया है।
एक दिन में 150 मुकदमे मुलायम सिंह पर चलाए जाएं यह कहकर कि मैं इनको जेल में भेजूंगी। अमर सिंह पर चलाए जाएं। जब तक राजा भैया की बात थी, यहाँ पर चर्चा होती थी लेकिन राजा भैया के घर वालों पर और उनकी बीबी को जाकर पुलिस के लोग धमकाते हैं और उनके जानवरों को लोग मारते हैं। एक यशवंत सिंह जी हैं। बचपन से मैं उनको जानता हूँ। वह इनकी पार्टी के नहीं हैं, किसी और पार्टी के हैं लेकिन इनके समर्थक हैं। उनके ऊपर एक मुकदमा चलाया गया। कोर्ट ने आर्डर किया कि यह मुकदमा नहीं चल सकता। दूसरे मुकदमे पर उनको फिर कहा गया कि जहाँ भी वह मिले, उनको पकड़कर ले आओ। ये बातें अगर होती रहीं तो कब तक चलेंगी? हमारे यहाँ कहा गया कि दलितों का इससे भला हो रहा है लेकिन दलितों का भला नहीं हो रहा है। मैं समझता हूँ कि दलितों के लिए बुरे दिन का आह्वान किया जा रहा है। वहाँ गृह-युद्ध होगा। उसमें कितने लोग मारे जाएंगे, कितने लोगों की हत्याएं होंगी, मैं नहीं जानता। यहाँ हमारे मित्र अजीत सिंह बैठे हैं। वह जानते हैं कि उनके इलाके में शांति रखना संभव नहीं हो पाएगा। यह केवल एक इलाके का सवाल नहीं है। आज सारे उत्तर प्रदेश में एक ज्योति, एक आग जलने के समान स्थिति पैदा हो गई है। वहाँ का अधिकारी चाहे आईएएस हो या पुलिस का कोई अफसर हो, अगर थोड़ा भी ईमानदार है तो यू.पी. में नहीं रहना चाहता। यहाँ गृहमंत्री जी नहीं बैठे हैं, उनके पास कितनी दरख्वास्तें आती होंगी कि हम उत्तर प्रदेश छोड़कर दिल्ली में आना चाहते हैं।
मेरे पास रोज एक न एक अधिकारी आकर कहता है कि किसी तरह से हमको यू.पी. से मुक्ति दिलाइए। आज वहाँ के शासन में यह बात कही जाती है कि किस अफसर को जांच दी जाए। किसी क्षत्रिय, यादव और मुसलमान को जांच का कोई काम न दिया जाए, ये लोग मुलायम सिंह जी के पक्षधर हैं-इस तरह से देश कैसे चलेगा, कैसे राज चलेगा? क्यों उत्तर प्रदेश में आजवहाँ की सरकार मौन है? क्यों केन्द्र की सरकार मौन है और क्यों भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली के नेता मौन हैं?
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नेता स्थिति से परिचित हैं और रोज-रोज कह रहे हैं कि स्थिति गम्भीर हैं। वे रोज कहते हैं कि कुछ फैसला कीजिए। वहाँ रोज मीटिंगें होती हैं और निर्णय सरकार की तरफ है लेकिन इस निर्णय से एक बड़ा भारी खतरा यू.पी. में जो पैदा होगा, उसका असर दूसरी जगह भी पड़ेगा। याद रखिए कि आपके यहाँ भी भाषण दिया गया है कि शिन्दे दलित नहीं हैं, सही दलित को वहाँ का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा-इसका मतलब क्या है? यह संकेत क्या है? इसको आप समझ सकते हैं और इस तरह की भाषा का अगर प्रयोग किया गया तो इस देश में और कुछ हो सकता है लेकिन जनतन्त्र नहीं चलेगा, शांति नहीं रहेगी और सभ्य समाज के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा।