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असम की सभी योजनाएं स्वीकृत, विकास पहली प्राथमिकता, आवंटन में भेदभाव नही

लोकसभा में 10 जनवरी, 1991 को असम के विकास कार्यों पर प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर

उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस सभा को तथा माननीय सदस्य श्री संतोष मोहन देव को यह सूचित करना चाहता हूँ कि पिछले ही सप्ताह मेरी असम के राज्यपाल के साथ बैठक हुई है जिसमें असम तथा भारत सरकार के अधिकारी उपस्थित थे। हमने यह फैसला किया है कि उन सभी योजनाओं को जो स्वीकृत हो चुकी हैं, कार्यान्वित किया जाना चाहिए। बरक विश्वविद्यालय के बारे में मैंने कहा कि कार्य तुरन्त होना चाहिए।

उपाध्यक्ष महोदय, कुछ समस्याएं हैं; कुछ योजनाओं की घोषणा परियोजना का ब्यौरा जाने बगैर ही कर दी गई। स्थल का पता नहीं है, इसलिए सरकार एक क्षण में सब कुछ नहीं कर सकती क्योंकि विश्वविद्यालय के बारे में कुछ विवाद है कि इसे गुवाहाटी या दिसपुर या किसी अन्य स्थान पर स्थापित किया जाए। पैसे के अभाव के कारण हम किसी भी योजना को नहीं रोक रहे।

मैं सभा को यह आश्वासन देना चाहता हूँ कि राष्ट्रपति शासन केवल इसलिए लागू किया गया क्योंकि उस राज्य में विकासात्मक कार्य बिल्कुल ठप्प हो गया था। उस शासन का उद्देश्य यह था कि हम वहाँ विकासात्मक कार्य पूरे जोर-शोर से करें ताकि असम के लोग यह न महसूस करें कि उनकी उपेक्षा की जा रही है। वह आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा क्षेत्र है। यह देखना हमारी जिम्मेवारी है तथा हमारा कर्तव्य है कि उन्हें भी देश के अन्य भागों के बराबर लाया जाए। मैं यह जानता हूँ कि पुलों और सड़कों की हालत खराब है। यह पैसे की कमी के कारण नहीं है बल्कि पैसे के दुरुपयोग के कारण भी है। सड़कों तथा पुलों के लिए आपको कम पैसे नहीं मिले हैं। दिमाग में यह नहीरहना चाहिए कि पैसे के आवंटन में असम के साथ मतभेद बरता गया है। पैसा आबंटित कर दिया गया है। यदि इसका इस्तेमाल सही रूप में न किया जाए तो यह देखना मेरे माननीय मित्र की जिम्मेवारी होगी कि सरकार अधिक उचित रूप में व्यवहार को तथा उन्हें आबंटित किए गए पैसे का सही प्रयोग करे। इसीलिए उपाध्यक्ष महोदय, मैं आश्वासन देता हूँ कि असम के विकास के लिए हम हर सम्भव प्रयास करेंगे, केवल असम के लिए ही नहीं बल्कि आर्थिक रूप से पिछड़े सभी क्षेत्रों के लिए तथा असम हमारी प्राथमिकता सूची में है।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।