बंटवारे की आग में जल जाएगा यह देश, संसद देश की कमजोरी बखान करने की जगह नहीं
राज्यों के गठन के सवाल पर लोकसभा में 9 सितम्बर, 1996 को चन्द्रशेखर
उपाध्यक्ष जी, मैं किसी विशेष विषय पर आपसे निवेदन नहीं कर रहा हूँ। आज 12 बजे से जितने सवाल उठाए गए हैं, चाहे वे सुरक्षा के सवाल हों, चाहे भ्रष्टाचार के सवाल हों, चाहे विभिन्न राज्यों के बंटवारे के सवाल हों; इनमें से किसी पर नहीं। मेरे निवेदन का कोई असर पड़े तो मैं आपसे निवेदन करूंगा कि दिल्ली दखल करने के लिए कई बार इस देश में खून बहा है।
उपाध्यक्ष जी, यह खून और कब तक बहता रहेगा? राज्य सरकारों द्वारा कुछ वोट और बनाने के लिए हम कब तक नारे लगाते रहगंे,े आरै कब तक ये घटनाए ंहातेी रहगंेी, म ंैउनका जिक्र करना नही ंचाहता ह।ँू छोटे राज्य बनने चाहिए, यह भी मैं चाहता हूँ, लेकिन क्या आज यह देश इस स्थिति में है कि हम राज्यों का विभाजन कर सकें। क्या आज हम छोटे राज्य बनाने की स्थिति में है? जिस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल थे, उस समय भाषावार राज्य बनाने के लिए कितनी आग लगी थी, कितना खून बहा था।
आज देश की हालत मैं नहीं जानता, कैबिनेट ने सोच-समझकर ही फैसला किया होगा। चुनावों से ठीक पहले उत्तराखण्ड राज्य बनाने की घोषणा, लेकिन वह कब लागू होगी, इसका मुझे मालूम नहीं है। फिर झारखण्ड बनेगा, फिर गोरखालैंड बनेगा, बोडोलैंड बनेगा। 15-16 जगहों से इस प्रकार की मांगें हैं। उपाध्यक्ष जी, यह देश इसी आग में जल जाएगा।
उपाध्यक्ष जी, मेरा आपसे नम्र निवेदन है कि इन नेताओं को बुलाकर एक बार तो कहिये कि कुछ तो सीमा वे रखें। चुनाव से कुछ मत बनाने के लिए, कुछ वाटे बनान ेक ेलिए इस दश्ेा क ेभविष्य क ेसाथ खिलवाड ़न कर।ंे मै ंकिसी एक व्यक्ति को, एक पार्टी को नहीं कहता परन्तु जो कुछ हमारे नैवल चीफ ने कहा है, उनके बयान से पूर्णतया सहमत हूँ। लेकिन क्या वे यह बात अपनी रिपोर्ट में सेना विभाग से नहीं कह सकते थे? क्यों ये बातें सार्वजनिक रूप से बहस में लायी जायेंगी? अभी हमारे एक मित्र कह रहे थे वह सत्य है या असत्य है, मैं नहीं जानता लेकिन रोज इस तरह की चर्चा करना, क्या संसद इसलिए है? क्या देश की जितनी कमजोरी है, उसी का बखान यहाँ करना है? क्या इस देश की कोई शक्ति या क्षमता नहीं है? क्या इस देश को टूटने, बिखरने या मरने से बचाने के लिए हम लोग दो शब्द भी नहीं कह सकते?
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करूंगा कि सब नेताओं को बुलाकर कुछ मर्यादा का निर्वाह होना चाहिए ताकि हम दुनिया से कह सकते हैं कि देश में शक्ति है, क्षमता है और हम सब में मिलकर काम करने की ताकत भी है।