सर्वोच्च न्यायालय से स्पष्टीकरण आने तक सदन रहे स्थगित, नहीं तो करूंगा पहली बार वाकआऊट
अध्यक्ष महोदय, इसके बारे में न्याय-सम्मत क्या होना है? यह फैसला दूरदर्शन पर ही नहीं बल्कि सभी टेलीविजन नेटवर्कों पर प्रसारित हुआ था। यह सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है। यदि न्यायाधीश ने कोई ऐसी टिप्पणी की है और यदि वह टिप्पणी सच है तो इस संसद को किसी पर भी कोई चर्चा करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। न्यायाधीश के फैसले के अनुसार यह जनता की संसद है जो पूरी तरह से भ्रष्ट है।
अध्यक्ष महोदय यदि यह स्थिति है तो इस सभा के अभिरक्षक की हैसियत से इस सभा की बैठक बुलाने से पहले आपको भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायपालिका से स्पष्टीकरण प्राप्त होने तक इस सभा को स्थगित रखा जाना चाहिए। उस जजमेंट में कहा गया है। ‘‘प्राचीन भारत में राजा और सम्राट किसी विद्वान के चरणों में बैठना अपना सौभाग्य समझते थे। आज के भारत में संसद सदस्य और मंत्रीगण गुप्त चन्दा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अपराध जगत के सरगना और बड़े व्यापारियों के चरणों में बैठना अपना सौभाग्य समझते हैं।’’
अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं किया। मैं 34 वर्ष से पार्लियामेंट में हूँ। मैंने आज तक वाकआउट नहीं किया है, लेकिन इस रिमार्क के बाद भी यदि पार्लियामेंट चलेगी, तो मुझे ऐसा करने के लिए विवश होना पड़ेगा।