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मामला पुलिस इंसपेक्टर का, संसद को इसे लेकर नहीं व्यर्थ करना चाहिए अपना समय

बार-बार उठ रहे बोफोर्स के मुद्दे पर लोकसभा में 10 मार्च, 1999 को चन्द्रशेखर

अध्यक्ष महोदय, बहुत से लोग इस मुद्दे को कई दिनों से उठा रहे हैं। इस मामले की जाँच करना लोकसभा सचिवालय का कार्य है। आपको केवल यह घोषणा करनी है कि कोई निर्णय लेने में कितना समय लगेगा और यह मामला प्रतिदिन नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि सभी तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। अतः मैं आपसे निश्चित समय देने का अनुरोध करूँगा कि इस मामले को समाप्त करने के लिए आप कितने दिन लेंगे।

अध्यक्ष महोदय, यह निर्णय आपको सचिवालय की सहायता से लेना है। अतः कृपया कोई समय निर्धारित कर दीजिए ताकि यह विवाद रुके और हम नियमित कार्य करें। मुझे एक सुझाव देना है। मुझे नहीं मालूम कि इस सभा के माननीय सदस्यों को यह स्वीकार्य होगा अथवा नहीं? सदन में भ्रष्टाचार के मामलों पर चर्चा के सम्बन्ध में हमारा अनुभव काॅफी निराशाजनक है। विगत कई वर्षों से हमने भ्रष्टाचार के अनेक मामलों पर चर्चा की है, किन्तु हम किसी निर्णय पर नहीं पहुँचे हैं। क्या मैं आपके माध्यम से सभा को यह सुझाव दे सकता हूँ कि आप कुछ ऐसे वरिष्ठ सदस्यों को, जिन्हें इस मामले में रुचि हो, वह संसद सदस्यों के एक समूह के सम्मुख सभी सम्बद्ध मामले रखे।

अध्यक्ष महोदय, मैं केवल यह सुझाव दे रहा हूँ कि आपको एक समिति अथवा श्री इन्द्रजीत गुप्त, श्री सोमनाथ चटर्जी, श्री शरद पवार, कांग्रेस पार्टी के उपनेता तथा अन्य जो इस मामले में रुचि रखते हैं, को मिलाकर संसद सदस्यों का एक समूह गठित करना चाहिए तथा इन सभी भ्रष्टाचार के मामलों को उसके समक्ष लाना चाहिए।

पहले इस मामले को ले जिस पहले चर्चा का आश्वासन दिया जा चुका है और यदि इस पर कुछ सहमति हो जाती है कि वाद-विवाद को कुछ मामलों तक सीमित रखा जाना चाहिए, तो इस मामले को उठाया जा सकता है। अन्यथा वाक्युद्ध वाला वाद-विवाद कई दिनों तक होता रहेगा और कीचड़ उछालने के अतिरिक्त हम किसी निर्णय पर नहीं पहुँच सकेंगे। फिर दूसरी ओर, हम दूसरे मामलों को लायेंगे। महोदय, आप क्षमा करें, फिर आप इस मुद्दे को उठाने से नहीं रोक पायेंगे। मेरे विचार से समय हमारे पास कम है और बहुत सा कार्य करना है। हमें अपने काम को इस तरह से नियोजित करना होगा ताकि इस विषय पर हम कुछ सकारत्मक काम कर सकें और कुछ परिणाम प्राप्त कर सकें।

अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने एक स्पष्टीकरण के रूप में यह मामला उठाया है। चाहे वह बोफोर्स का ही मुद्दा हो, जब यह मामला उठा, मैंने उस बात को बार-बार कहा है कि संसद को अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए, उसे बोफोर्स पर अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। यह मामला तो पुलिस इंस्पेक्टर का मामला है।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।