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गेहूँ का हो रहा है कम दर पर निर्यात, ऊँची दर पर आयात, सरकार बताए क्यों?

लोकसभा में 5 मार्च, 1992 और 24 नवम्बर 1992 को चन्द्रशेखर

अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बड़े-बड़े दावे किए हैं कि हम गेहूँ का निर्यात कर सकते हैं और हम गेहँू का आयात कर सकते हैं। माननीय सदस्य पूछ रहे हैं कि आयात दर क्या है और निर्यात दर क्या है? क्या यह सच है कि आपने बहुत कम कीमतों पर गेहूँ का निर्यात किया है और बहुत ऊँची कीमतों पर इसका आयात कर रहे हैं? मंत्री जी को इस प्रश्न का उत्तर देना चाहिए।

अध्यक्ष महोदय, ऐसा लगता है कि सरकार को इस तर्क के आधार पर बचने की आदत है कि इसका निर्णय उनसे पहले ही ले लिया गया था। मैं सरकार से यह जानना चाहूँगा कि समझौता किस स्तर पर, किससे और किस समय किया गया था। व्यक्तिगत रूप से, मैं नहीं समझता कि इस देश में गेहूँ का आयात करने के लिए किसी प्रकार का कोई औचित्य है। जब मैंने इस मुद्दे को उठाया था, उस समय यदि सरकार ने कोई निर्णय ले लिया था तो उन्हें या तो उसे रद्द कर देना चाहिए था और या यह बताना चाहिए कि हम गेहूँ का आयात क्यों कर रहे हैं। तथ्यों में इस प्रकार की विकृति उत्पन्न करना सरकार की आदत नहीं होनी चाहिए। उन्हें इस प्रकार की बातों और विकारों में सम्मिलित नहीं होना चाहिए।

महोदय, मैं इस मामले में सम्बन्धी बहस में शामिल नहीं होना चाहता हूँ, लेकिन मंत्री के बाद मंत्री उठकर कह रहे हैं कि इसका निर्णय पहले ही लिया जा चुका था। माननीय मंत्री जी ने कहा है कि पिछले वर्ष वसूली कम हुई थी। मेरी सरकार जून में भंग हुई थी और जून में ही वसूली का समय आरम्भ होता है। यह उनकी असफलता है, यह मेरी असफलता नहीं थी, लेकिन वे समाचारपत्रों में इस बात का प्रचार करना चाहते हैं क्योंकि वे समझते हैं कि बंधुआ समाचार पत्र वास्तविकता से अलग स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।