शुरु है मंदिर निर्माण, अटल-अडवाणी, राव और चव्हाण साथ बैठकर देश को बचाएँ विध्वंस से
उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस अत्यधिक गम्भीर बहस में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। मैं एक अति गम्भीर प्रकृति के मामले में जानकारी हासिल करना चाहता हूँ। फैजाबाद में मन्दिर-निर्माण कार्य पहले ही आरम्भ हो चुका है। मैं श्री आडवाणी जी और श्री वाजपेयी जी से अपील करूँगा कि उन्हें श्री नरसिंह राव जी और श्री चव्हाण जी के साथ बैठकर इस देश को विध्वंस से बचाने के लिए बातचीत करनी चाहिए। मैंने गृहमंत्री, श्री एस.बी. चव्हाण को इस बारे में सूचित कर दिया है। उन्हें भी यह जानकारी मिली है। उन्होंने मुझे बताया है कि वह आज सायं राजनैतिक मामलों पर मंत्रिमण्डलीय बैठक बुला रहे हैं। मैं समझता हूँ कि यह एक अति-गम्भीर मामला है। मैं इस पर बहस नहीं करना चाहता। मैं इस सभा के सभी वर्गों से नम्र-निवेदन करता हूँ कि इस मामले को और अधिक गम्भीरता से लिया जाये।
श्री आडवाणी जी और श्री वाजपेयी जी, मुझे श्री नरसिंह राव जी और श्री एस.बी. चव्हाण जी से बहुत कम उम्मीद है, क्योंकि उनमें दोषसिद्ध का कोई रुख अपनाने का साहस नहीं है। क्या आप इस विध्वंस से देश को बचाने के लिए कोई समाधान निकालने का प्रयत्न करेंगे?
उपाध्यक्ष महोदय, अगर अदालत की बात है, तो केवल एक ही निवेदन यह अवश्य किया जाता है कि आप भी यह बात मान जाइए, अदालत का जब तक फैसला नहीं होता है, तब तक मंदिर मत बनाईए। अगर अदालत पर इतना ही विश्वास है, तो इस बात को आप मान जाइए। इसीलिए मैंने अडवाणी जी और अटल जी से विशेष रूप से निवेदन किया। नेशनल इनटैगरेशन कांउसिल मे मैंने माननीय प्रधानमंत्री जी से कहा था कि यह निरर्थक प्रस्ताव आप मत पास कीजिए। आडवाणी जी, इसको नहीं मानेंगे और कोर्ट में जाकर इस मामले को और पेचीदा बनाएंगे। आडवाणी जी से भी मैंने कहा था, पाँच वर्ष के लिए मैनडेट मिला है, देश आजकल संकट में है, एक साल अगर मन्दिर नहीं बनेगा तो कोई कष्ट नहीं होगा, चार साल बाकी रहेंगे। मैं किसी को बहका नहीं रहा हूँ। मैं अपनी बात कह रहा हूँ। मैं जानता हूँ जितनी बहादुरी से बातें की जाती हैं, उतनी बहादुरी से थोड़े दिन बाद बात नहीं की जाएगी क्योंकि यह देश इतनी आसानी से टूटने वाला भी नहीं है। हमको इस देश को बरबादी और हिंसा से बचाना है। मैं इसलिए आडवाणी जी से और अटल जी से निवेदन कर रहा हूँ कि अगर प्रधानमंत्री जी और श्री चव्हाण जी को कुछ पुरुषार्थ, कुछ संकल्पशक्ति दे सकें, कुछ निर्णय लेने की क्षमता दे सकें तो उनकी मदद कीजिए। हमारी वजह से उनको कोई पुरुषार्थ और शक्ति नहीं मिलती है।
मैं जानता हूँ कल, सुबह देश के सारे अखबारों में यह खबर छपेगी कि एक हजार लोग वहाँ मन्दिर बनाने का काम कर रहे हैं। सुबह सात बजे से बात हो रही है, मुझे दुःख है कि देश की सरकार और आप जो विपक्ष के नेता हंै, सदन के नेता और विपक्ष के नेता दोनों इस गम्भीर मसले पर एक साथ बैठकर देश को बचाने की बात नहीं सोच रहे हैं। दूसरे सारे घपलों के बारे में आडवाणी जी रोज श्री नरसिंह राव से मिलते रहते हैं जैसे अभी हमारे मित्र श्री जसवन्त सिंह ने कहा। तीन-चैथाई स्पीच ठीक दी और एक-चैथाई मिलने वाली स्पीच दे दी। उससे अच्छा यह था कि इस मसले पर भी आप विचार करते।
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको पक्की जानकारी देता हूँ। छह बजे वहाँ पूजा हुई थी। सात बजे शिलान्यास स्थल से छतरी हटा दी गयी थी और नींव खोदी गई थी। तकरीबन एक हजार लोग कार्य कर रहे हैं। तीन मिक्सर दिन-भर चल रहे हैं और आज एक बजे मध्याह्न पश्चात् से कंकरीट उस नींव में डाली जा रही है और वे वहाँ मन्दिर का निर्माण कर रहे हैं।