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देश को विनाश की ओर ले जा रही है सरकार अयोध्या पर टिकी है विश्व की निगाहें

गृहमंत्री की अयोध्या यात्रा पर 13 जुलाई, 1992 को लोकसभा में चन्द्रशेखर

अध्यक्ष महोदय, अयोध्या में जो कुछ हो रहा है मैं उस पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूँ, बल्कि इस सभा में जो कुछ हो रहा है मैं आपका ध्यान उस ओर आकर्षित करना चाहूँगा। पिछले चार दिनों से सभा स्थगित की जा रही है और माननीय प्रधानमंत्री सभा में आने के लिए पाँच मिनट का भी समय नहीं निकाल पाये हैं। आज गृहमंत्री जी आये हैं। क्या मैं आपसे जान सकता हूँ कि उन्होंने अपने वक्तव्य में और क्या जोड़ा है, जिसको वह चार दिन पहले से नहीं कह सके थे, सिवाय इसके कि वह अयोध्या गये थे, वहाँ पूजा की थी और यह भी देखा था कि राज्य सरकार न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर रही थी? यही उन्होंने कहा है। यदि उनकी राय में, राज्य सरकार आदेश का उल्लंघन कर रही है तो क्या गृहमंत्री जी को यह स्पष्ट करने या अपने विचार प्रकट करने की जिम्मेदारी नहीं है।

यदि यह सच नहीं है, और यदि मैंने उनकी बात ठीक से सुनी है तो उन्हें अपना विवरण ठीक करना चाहिए। क्योंकि गृहमंत्री को यह अधिकार नहीं है कि वह बिना किसी आधार के राज्य सरकार को बदनाम करें। अतः मैं ठीक स्थिति जानना चाहता हूँ। यदि उल्लंघन किया गया है, तो क्या यह उनका कर्तव्य नहीं है और भारत सरकार का यह कर्तव्य नहीं है कि वह कुछ कार्यवाही करे?

दूसरी बात यह है कि मैं सभा के सभी वर्गों से नम्रतापूर्वक अपील करूँगा कि केवल इस देश के लोगों की, अध्यक्ष महोदय, आपकी और इस सभा के सांसदों की ही नहीं बल्कि समूचे देश की इस विषय पर निगाहें टिकी हैं। अयोध्या में हर रोज जो कुछ हो रहा है, उसको समूचा विश्व देख रहा है। स्टार टी.वी. और दूरर्शन सब कुछ दिखा रहे हैं। जब स्टार टी.वी. में यह सब कुछ दिखाया जा रहा है, तो इसका अर्थ है कि समूचा विश्व देख रहा है। अध्यक्ष महोदय, आप हमें केवल यह बता रहे हैं कि इस विषय पर विवरण दे दिया गया है और हमें अगले मद पर चर्चा करनी चाहिए। लेकिन अध्यक्ष महोदय ध्यान दीजिए कि इसके दुष्परिणाम केवल इस देश में ही नहीं होगा, बाहर भ्ीा होगा। इस मुद्दे पर अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए मैं स्वयं को समय नहीं दे पाया हूँ। अपने देश की तथा समूचे विश्व में इसके दुष्परिणाम बहुत विनाशपूर्ण होंगे।

मैं राम-भक्तों की शक्ति को जानता हूँ। मैं इससे इन्कार नहीं करता। वे बहुत शक्तिशाली हैं। वे समूचे विश्व को चुनौती दे सकते हैं, क्योंकि उनके मस्तिष्क में राम मुद्दा छाया हुआ है। लेकिन वे मुझे सभा में बोलने के अधिकार से वंचित नहीं कर सकते। समूचा विश्व उनके समक्ष झुकने जा रहा है, लेकिन जो कुछ वे कह रहे हैं, मैं उसे स्वीकार नहीं करूँगा। मुझे विनम्रता के साथ यह निवेदन करना है कि इस मामले को हल्के ढंग से लिया जाना एक गम्भीर बात होगी। मुझे

मुझे दुःख है कि भारत सरकार देश के नागरिकों के प्रति अपने प्रमुख कर्तव्य को पूरा न करने की दोषी है और यह भी नहीं जानती कि वह आग से खेल रही है। मुझे भाजपा के विरुद्ध कुछ नहीं कहना है। मुझे विश्व हिन्दू परिषद के विरुद्ध कुछ नहीं कहना है। मुझे बजरंग दल से कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि उनके अपने विचार हैं और वे इसे खुल कर व्यक्त कर रहे हैं। मुझे दुःख है कि लोगों ने आपको चुना है। आपके पास न तो अपने विचार हैं और न ही आपको पता है कि आप इस देश को कहाँ ले जा रहे हैं। अध्यक्ष महोदय, मैं कहता हूँ कि यह सरकार इस देश को विनाश की ओर ले जा रही है और हम इसे अकर्मण्यता से देख रहे हैं।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।