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रीसेटलमेंट एक्ट लागू हुआ तो 52 साल से हमारे खिलाफ लड़ने वाले वापस आ जाएंगे देश में

पाक गए कश्मीरियों को फिर से नागरिकता देने के सवाल पर 28 नवम्बर 2001 को लोकसभा में चन्द्रशेखर

अध्यक्ष जी, रीसेटलमेंट एक्ट, जे. एंड के स्टेट, 1982 के अनुसार 1 मार्च, 1947 के बाद जो लोग पाकिस्तान चले गये थे, अगर लिखकर दे दें तो स्थायी रूप से जम्मू कश्मीर में बसाये जा सकते हैं। यह भी कहा गया कि जो लोग प्रापर्टी छोड़कर गये, उन्हें मुआवजा मिलेगा। लगभग 5 लाख लोग उस समय पाकिस्तान से आये जो कश्मीर में बसे हुए हैं। उन लोगों को 52 साल की आजादी के बाद पार्लियामेंट के चुनाव में वोटिंग का अधिकार तो है, लेकिन असेम्बली के चुनाव में वोट देने का हक नहीं है। जब यह बिल पास हुआ तो तत्कालीन गवर्नर श्री बी.के. नेहरू ने यह बिल वापस कर दिया लेकिन यह फिर पास हुआ। उसी समय गवर्नर ने इस बिल के खिलाफ सेंट्रल गवर्नमेंट को लिखकर भेजा और कहा कि यह बिल असंवैधानिक है, माइग्रेशन का मामला सेंट्रल गवर्नमेंट के हाथ में है, इसमें राज्य सरकार तय नहीं कर सकती क्योंकि लोग दूसरे देश से यहाँ आये हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि अगर यह बिल लागू हो गया तो यहाँ आई.एस.आईके लोग और आतंकवादी इसके अंदर आयेंगे।

तत्पश्चात् यह मामला राष्ट्रपति जी ने सुप्रीम कोर्ट की राय लेने के लिये रेफर कर दिया ‘‘क्या यह विधेयक वैध है या नहीं’’ हालांकि 1982 में यह बिल स्थगित हो गया लेकिन 6 नवम्बर, 2001 को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर बिल फिर से वापस भेज दिया है कि चूंकि जम्मू कश्मीर से यह कानून बन गया है, इसलिए हम कोई राय नहीं देंगे। इस समय जम्मू कश्मीर के स्पीकर और लाॅ मिनिस्टर ने कह दिया है चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने कोई राय नहीं दी है, इसलिये यह कानून हम जम्मू कश्मीर में लागू करना चाहते हैं। यह बहुत सीरियस मैटर है। अगर यह कानून जम्मू कश्मीर में लागू हो गया तो वे लोग जिन्होंने 52 साल से भारत के खिलाफ जंग लड़ी है, वे वापस आ सकते हैं। वे लोग आई. एस.आई. के लोग होंगे तो भी वापस आ सकते हैं। उस बिल को वहाँ लागू न करने का केन्द्र सरकार को अधिकार है।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।