लोकसभा में 27 मई, 1998 को परमाणु बम की राजनीति पर चन्द्रशेखर सभापति जी, मैं प्रारम्भ में ही कहना चाहता हूँ कि मैं परमाणु बम की राजनीति के विरुद्ध हूँ। व्यक्तिगत तौर से मैं इस बारे में बहुत स्पष्ट हूँ कि परमाणु बम की राजनीति विनाश की राजनीति है, यह मृत्यु की राजनीति है, यह मानवता के संहार की राजनीति है, लेकिन परमाणु बम हमें बनाना चाहिए या नहीं यह अधिकार हमारा है। इसके ऊपर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। सभापति जी, दुनिया के बड़े राष्ट्र इस पर रोक लगाकर स्वयं परमाणु बम बनाएं, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसी नीति को भारत ने इतने वर्षों तक अपनाया और उसे चलाया भी। हमने कहा कि हम परमाणु ...
Read Moreराष्ट्रपुरुष चंद्रशेखर संसद में दो टूक खंड 2
पाकिस्तान के पास परमाणु बम होने के समाचार पर 24 अगस्त, 1994 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, नवाज शरीफ साहब ने जो बयान दिया है, वह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन मैं अपने यहाँ के विरोधी दल के नेता से एक ही निवेदन करूंगा कि अगर कोई गैर जिम्मेदाराना बयान पाकिस्तान की ओर से हो तो उसके जवाब में हमारी तरफ के विरोधी पक्ष के नेता भी वैसा ही जवाब न दे, न पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते कोई और व्यक्ति दे। उन्होंने सच ही कहा कि वह बयान भारत पर बम गिराने के लिए नहीं है, बल्कि पाकिस्तान में सरकार के जल्दी आने की कोशिश है। उस कोशिश के जरिये वह एक उत्तेजना फैला रहे हैं। यह हमारे लिए और ...
Read Moreबसन्त साठे द्वारा आमरण अनसन की घोषणा पर 17 सितम्बर, 1999 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, मैं एक चिन्ताजनक स्थिति की ओर आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ। 21वीं सदी हमारे लिए कहीं आर्थिक संकट की सदी न हो जाये, यह चिन्ता हमारे देश के अनेक वर्गों में है। मैं उसकी ओर ध्यान इसलिए दिलाना चाहता हूँ कि लोकसभा के बहुत दिनों तक सदस्य रहे, मंत्रिमण्डल में कई पदों को उन्होंने सुशोभित किया, वसन्त साठे जी ने इस सवाल को बार-बार उठाया है। पिछले पाँच वर्षों में उन्होंने इस पर कई बार टिप्पणी भी की है। उनका कहना है कि भारत जैसे देश में, जहाँ कहा जाता है कि 30 करोड़ मध्यम वर्ग के हैं, वहाँ केवल एक फीसदी लोग टैक्स...
Read Moreहरियाणा में प्रेस की बिजली कटने के सवाल पर लोकसभा में 7 जनवरी, 1991 को प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर मैं सार्क के बारे में वक्तव्य दूं उससे पहले विरोधी दल के नेता माननीय दण्डवते जी, गुजराल जी और नरसिंह राव जी ने जो सवाल उठाया है प्रेस की स्वतन्त्रता पर भजन लाल जी, सन्तोष मोहन देव जी ने भी उठाया है, मैं उस विवाद में नहीं पड़ता, में आपके जरिए केवल एक ही बात सदन और देश को बताना चाहता हूँ कि प्रेस की स्वतन्त्रता के ऊपर कोई भी आंच आए तो हम सबके लिए दुःख और लज्जा की बात है। प्रेस की स्वतन्त्रता हमेशा अक्षुण्ण रहनी चाहिए। आरोप, प्रत्यारोप में मैं नहीं जाऊँगा। एक विशेष घटना की ओर आज माननीय स...
Read Moreपंजाब का जख्म उकेरने पर 16 अप्रैल, 1999 को लोकसभा में चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, 1984 का दंगा एक बड़ा दुःखद एवं संवेदनशील मामला है। पन्द्रह वर्षों के पश्चात अब इस मामले पर छानबीन करना निरर्थक रहेगा। मुझे भी इस सम्बन्ध में कुछ जानकारी है और यदि मैं बोलूँगा तो कई लोगों को बुरा लगेगा। अतः मुझे बोलने से रोके नहीं। मेरा श्री जार्ज फर्नान्डीज से अनुरोध है कि वे इस मुद्दे को उठाये नहीं। मैं कांग्रेस सदस्यों से भी अनुरोध करूँगा कि वे इस मुद्दे को भूल जायें। उपाध्यक्ष महोदय, यदि आप लोगों की राय में कुछ आपत्तिजनक है तो आप उसे निकाल दीजिये। ऐसा श्री जार्ज फर्नान्डीज अथवा कांग्रेस दल ...
Read Moreपंजाब की स्थिति पर 11 जनवरी, 1991 को लोकसभा में प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, पंजाब के बारे में जो चिन्ता व्यक्त की गयी है, वह बहुत वास्तविक है। पंजाब की हालत में कोई सुधार नहीं है, मैं मानता हूँ। यह भी सही है कि लोगों के मन में आशंका और डर बना हुआ है। लेकिन स्थिति इतनी भयावह नहीं है कि हम उससे घबराकर के हाथ-पैर छोड़ दें और यह समझें जैसा कि कुछ सदस्यों ने कहा है, कि ऐसा लगता है कि वहाँ खालिस्तान बन गया और कोई कहीं पर पुरसाहाल में नहीं है। अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि पिछले कुछ दिनों में कुछ ऐसे आदेश अपने को कहने वाले आतंकवादियों द्वारा जारी किये गये हैं, जिनके जरिये लो...
Read Moreपंजाब की समस्या पर लोकसभा में 16सितम्बर, 1991को चन्द्रशेखर सभापति जी, पंजाब की समस्या पर सदन विचार कर रहा है। कुछ सदस्यों ने ऐसे सवाल उठाए हैं, जिनके बारे में दो शब्द मैं न कहूँ, तो मैं अपने राष्ट्रीय उत्तरदायित्व का निर्वाह नहीं कर पाऊंगा। पंजाब के बारे में मेरी राय आज से नहीं बहुत पुरानी है। मैं ऐसा मानता हूँ कि पंजाब की समस्या का समाधान दमन शक्तियों के सहारे नहीं हो सकता है। मैं भी जानता हूँ कि पंजाब की समस्या को समझने में और उसके समाधान को ढूंढने में प्रारम्भ से ही भयंकर भूल की गई है। सभापति जी, मुझे दुःख इस बात का है कि वह भूल आज भी दोहराई जा रही है और मुझे दुःख है कि श्री च...
Read Moreराष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाये जाने पर 12 मार्च, 1991 को लोकसभा में प्रधानमंत्री अध्यक्ष महोदय, पंजाब के बारे में कई बार इस सदन में चर्चा हो चुकी है। आज भी चर्चा हुई, तो हम लोग उन्हीं कठिनाइयों का जिक्र करते रहे। यह दुःख की बात है कि फिर हमें सदन के सामने इसलिए आना पड़ा कि वहाँ पर राष्ट्रपति शासन छः महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए। यह सही है कि कोई नहीं चाहता है कि चुनाव टलें, किसी भी इलाके में चुनाव टलें यह बुरी बात है। पंजाब में बहुत दिनों से चुनाव नहीं हुए, इसलिए लोगों के मन में शंका पैदा होना एक स्वाभाविक बात है। पंजाब के जिन मित्रों ने इस चिन्ता को यहाँ पर प्रकट किया, मैं पूरी तरह स...
Read Moreराज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच कथित तनाव पर 25 अप्रैल, 1995 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे एक अनुरोध है। श्री शरद यादव ने कुछ टिप्पणियां की हैं। श्री सोमनाथ चटर्जी ने अपनी शंका व्यक्त की है। इस मामले की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। राज्य में सम्पूर्ण प्रशासन ठप्प हो गया है। यह भी सच है कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल लड़ते हुए सड़कों पर आ गए हैं। तमिलनाडु में प्रत्येक व्यक्ति की जबान पर यह बात है। कल मैं मद्रास में था। वहाँ सम्पूर्ण वातावरण पूरी तरह दूषित हो गया है। हम आपसे केवल यह चाहते हैं कि भारत सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे क्योंकि प्रेस रिपोर्टों के अनुसा...
Read Moreबिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति पर 10 जनवरी, 1991 को लोकसभा में चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री अध्यक्ष महोदय, मुझे खेद है कि इस प्रश्न में अनेक असम्बद्ध मामले शामिल कर दिये गये हैं। मैं उन सभी के बारे में बात नहीं करूँगा परन्तु मेरे मित्र श्री इन्द्रजीत गुप्त ने एक बहुत ही विचित्र वाद प्रस्तुत किया है जिससे मैं सहमत नहीं हूँ। उन्होंने कहा है कि एल0टी0टी0ई0 अलगाव की बात नहीं कर रहा है परन्तु वह दूसरे देश में आगे बढ़ने के लिए कुछ कर रहा है और इस प्रकार उनकी तुलना दूसरे उन संगठनों से नहीं करनी चाहिए जो विद्रोह में अन्तग्र्रस्त हैं। यदि यह एक तकनीकी प्रश्न है तो मैं उनकी बात से सहमत हू...
Read Moreगिरफ्तारी के प्रकरण पर 9 दिसम्बर, 1996 को लोकसभा में चन्द्रशेखर सभापति महोदय, मैं यहाँ सुश्री जयललिता के खिलाफ की गई कार्यवाही पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहता। लेकिन, जिस तरह इसे पेश किया गया है, जिस तरह से इसे देश के लोगों तथा पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि हम एक असभ्य समाज की ओर जा रहे हैं। यह सब रोज हो रहा है और यह असाधारण मामला है। ऐसी तो एक जांच एजेन्सी की प्रवृत्ति रही है। मुझे कहते हुए दुःख हो रहा है कि न्यायपालिका भी थोड़ा-बहुत संयम से काम लेना आवश्यक नहीं समझती है। सभापति महोदय, तमिलनाडु में जो घटना हुई है तथा जो व्यवहार सुश्री जयल...
Read Moreगुजरात नरसंहार पर 30 अप्रैल, 2002 को चन्द्रशेखर सभापति जी, सदन में जब बहस शुरू हुई तो मुलायम सिंह जी ने कुछ सवाल उठाए। उसके बाद सरकारी पक्ष की ओर से जो पहली वक्ता थीं वह उमा भारती जी थीं। कुमारी उमा भारती जी के भाषण को सुनकर मुझे ऐसा लगा कि हम लोग संसदीय जनतंत्र के अंतिम छोर पर पहुंच गए हैं। मुझे बहुत जानकारी तो नहीं है लेकिन थोड़ी बहुत राजनीति की जानकारी मुझे भी है। मैंने राजनीति-शास्त्र का अध्ययन किया है और 50 वर्षों से देश की राजनीति में हूँ। सभापति जी, एक जमाने में नाजी लोगों ने इसी तरह से संसद का उपयोग किया था। वही भाषा, वही भावना, वही अभिव्यक्ति आज हमें देखने को मिली। जिस प्...
Read Moreसामना में प्रकाशित वक्तव्य खतरनाक जसवन्त सिंह जीए अपनी जीत को राष्ट्र की पराजय में मत बदलिए अध्यक्ष जी, एक व्यक्ति का बयान जो बम्बई से आया, वह अत्यन्त खतरनाक बयान है। वह बयान पहला नहीं है, जैसा कि शरद जी ने कहा। हमारे कांग्रेस के मित्र और सरकारी पक्ष के लोग यह समझेंगे, मैंने उनसे पहले भी कहा था कि कभी-कभी जो निर्णय होता है, वह देश को खतरनाक गलियों में ढकेल देता है। अगर दो-तीन साल पहले आपने निर्णय लिया होता तो ये बुरे दिन देश को नहीं देखने को मिलते। मैं इस बयान पर चिंतित हूँ, जैसे सब लोग चिंतित हैं, लेकिन उससे अधिक चिन्ता मुझे तब हुई, जब मैंने श्री राम नाईक जी का वक्तव्य यहाँ स...
Read Moreबिहार के चारा घोटाला में सीबीआई लोकसभा में 30 अप्रैल 1997 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, बनातवाला जी ने बहुत बुनियादी सवाल उठाया। जिस तरह का घटनाचक्र देश में चल रहा है, आज से नहीं पिछले कुछ वर्षों से, उससे ऐसा लगता है कि राजनीतिज्ञों की छवि जो खराब हो रही है, उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदार राजनीति में काम करने वालों की है। हम मानते हैं कि आजकल बहुत आरोप लग रहे हैं। इस सदन में बार-बार पुरानी परम्पराओं का जिक्र किया गया। अध्यक्ष जी, मैं भी संसद में पिछले 35 वर्ष से (पांच वर्ष को छोड़कर) हूँ। मैंने बहुत सारे सवाल भी उठाए हैं। जैसा शरद यादव ने कहा, लेकिन मुझे कभी याद नहीं कि हमने सवाल उठाने के पहल...
Read Moreलालू यादव के प्रकरण में 14 अगस्त, 1997 को लोकसभा में चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहूँगा कि पटना हाईकोर्ट ने जो अपनी बात कही है, वह बिल्कुल उसकी सीमा से बाहर है। वह कोई ऐसा इश्यू नहीं है, जिस पर भारत सरकार के गृहमंत्री को बयान देना चाहिए। अगर होना चाहिए तो सदन की ओर से आपको यह चेतावनी देनी चाहिए कि न्यायपालिका को अपनी सीमाओं से बाहर नहीं जाना चाहिए। मैं यह बात बहुत जिम्मेदारी के साथ बता रहा हूँ। मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि जब कभी संविधान तोड़े गए हैं, जब कभी अधिनायकवाद आया है, तब लोग अपनी सीमाओं से बाहर गए हैं। अपराधी जो अपराध करता है, वह अपनी मौत मर जाता है लेकिन ...
Read Moreबिहार विधान सभा की स्थिति पर 15 मार्च 1995 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, सोमनाथ जी ने एक अच्छी बात कही कि यहाँ पर सारी चीजों पर चर्चा नहीं हो सकती कि चुनाव कैसे होगा, चुनाव आयुक्त कैसे हैं, हालांकि उन्होंने स्वयं उसकी चर्चा की। उस बारे में मैं कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन एक बात जरूर कहना चाहता हूँ जो चन्द्रजीत जी ने उठाई। उसका जवाब प्रधानमंत्री जी को देना होगा। क्या राज्यपाल महोदय ने आपसे कहा है या नहीं कहा कि बिहार की सरकार उनके साथ इस मामले में सहयोग नहीं कर रही है। क्या यह सही है या नहीं है, कि हमारी बी.एस.एफ., सी.आर.पी.एफऔर दूसरे राज्यों की पुलिस फोर्स के अधिकारियो...
Read Moreयू.पी. के राज्यपाल को वापस बुलाए जाने के मामले में 3 मार्च 1997 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, मुझे खेद है कि मुझे कुछ वह कहना है जो श्री जसवंत सिंह जी को अच्छा नहीं लगेगा। मुझे मालूम है कि इस सभा में और इसके बाहर कुछ घटित हुआ है जो एक विक्षुब्ध करने वाली स्थिति है। विशेषकर श्री इन्द्रजीत गुप्त, भारत के गृहमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा दिए गए वक्तव्य और कुछ हद तक उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के वक्तव्य से उत्पन्न विरोधाभास के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। संसदीय लोकतंत्र में इसकी अपेक्षा नहीं की जाती। मैं नहीं जानता कि भारत सरकार...
Read Moreउत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर 24 फरवरी, 1997 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो सवाल उठाया है वह गंभीर सवाल है। उत्तर प्रदेश की हालत रोज बद से बदतर होती जा रही है। हत्याओं का दौर बढ़ता जा रहा है। फर्रूखाबाद में ब्रह्मदत्त द्विवेदी जी की हत्या हुई। मथुरा में हम लोगों के पुराने साथी थे जोगेन्द्र सिंह जी, जिनको रक्षामंत्री जी 20-25-30 वर्षों से जानते थे। उनकी जान को खतरा था। अध्यक्ष महोदय, मैंने स्वयं राज्यपाल को पत्र लिखा था। दिन में कचहरी के अन्दर उनकी हत्या हो गई। तीन हत्यारे आए। एक ने वकील को पकड़ लिया और दो चले गए। वहाँ पुलिस खड़ी थी लेकिन उसन...
Read Moreलोकसभा में 3 जून, 1995 को उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, उत्तर प्रदेश की जो स्थिति है, वह अत्यंत भयावह है। यह भयावह स्थिति दो दिनों से नहीं है बल्कि पिछले कुछ सालों से वहाँ हालत बिगड़ रही है। हमारे माननीय सदस्य श्री दीक्षित जी कह रहे थे कि सरकारी अफसर बैठे रहे और सदस्यों को घसीटा जा रहा था लेकिन दीक्षित जी शायद भूल गये कि सरकारी अफसर बैठे रहे और देश की परम्परा घसीटी जा रही थी। उस दिन को हम लोग नहीं भूले हैं। अध्यक्ष जी, राजनैतिक लोग हर अपराध के लिए नौकरशाही पर अंगुली उठा दें, यह एक सामान्य बात बन गयी है। हम लोगों की यह भी धारणा है कि हम जो पुराने लोग ह...
Read Moreउत्तर प्रदेश में जंगल राज पर लोकसभा में 23 फरवरी, 1999 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, पिछले दिनों में, मैं दो बार उत्तर प्रदेश गया हूँ। आज लखनऊ से वापिस आ रहा हूँ। उत्तर प्रदेश की स्थिति सामान्य नहीं है। वहाँ जो स्थिति है, मैंने कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री जी से मिल कर कहा था कि अगर इस स्थिति को नहीं रोका गया तो वहाँ गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी। मैं नहीं कहता कि दोष किसका हैं, किसका नहीं है लेकिन वहाँ जिस प्रकार शासन चल रहा है और जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग हो रहा है, वह अत्यंत लज्जाजनक है। अध्यक्ष महोदय, मेरे पास कुछ लोगों ने एक कागज दिया है। मैं उस कागज को आपके सामने ...
Read Moreलोकसभा में 10 जनवरी, 1991 को असम के विकास कार्यों पर प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस सभा को तथा माननीय सदस्य श्री संतोष मोहन देव को यह सूचित करना चाहता हूँ कि पिछले ही सप्ताह मेरी असम के राज्यपाल के साथ बैठक हुई है जिसमें असम तथा भारत सरकार के अधिकारी उपस्थित थे। हमने यह फैसला किया है कि उन सभी योजनाओं को जो स्वीकृत हो चुकी हैं, कार्यान्वित किया जाना चाहिए। बरक विश्वविद्यालय के बारे में मैंने कहा कि कार्य तुरन्त होना चाहिए। उपाध्यक्ष महोदय, कुछ समस्याएं हैं; कुछ योजनाओं की घोषणा परियोजना का ब्यौरा जाने बगैर ही कर दी गई। स्थल का पता नहीं है, इसलिए सरकार एक ...
Read Moreअसम में सेना तैनात किए जाने की उत्पन्न स्थिति पर लोकसभा में 16सितम्बर, 1991को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, असम की घटना जितनी गम्भीर है, उतनी ही दुःखद है। दो बातें ज्यादा गम्भीरता को बढ़ा देती हैं। एक जिसका जिक्र अटल जी ने अभी किया कि असम के मुख्यमन्त्री ने एक बयान दिया। उन्होंने केवल चीन का नाम नहीं लिया, पाकिस्तान और बंगलादेश का नाम भी लिया। मुझे आश्चर्य और दुःख के साथ कहना पड़ता है कि न विदेश मंत्री ने, न विदेश मन्त्रालय ने इस बारे में कुछ कहना उचित समझा। किसी भी सरकार के लिए, जो देश के पड़ोसियों से संबंध बनाये रखना चाहती है, मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य पर चुप रह जाना, कुछ सही बात म...
Read Moreलोकसभा में 24जुलाई, 2001को नागालैण्ड की समस्या पर चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, अभी कुछ माननीय सदस्यों ने मणिपुर के सवाल को उठाया। नागालैण्ड की समस्या के बारे में इस सरकार का जो रुख रहा है वह प्रारम्भ से ही आपत्तिजनक रहा है। नागालैण्ड में शांति होनी चाहिए, इस बात पर किसी के दो मत नहीं हो सकते। नागालैंड के मुख्यमंत्री को मैं वर्षों से जानता हूँ और अभी कुछ दिन पहले वे हमसे मिले भी थे। शायद यह पहली बार होगा कि सरकार वार्ता कर रही हो और वहाँ के मुख्यमंत्री को उसके बारे में इसकी कोई सूचना भी नहीं है। अध्यक्ष जी, नागालैंड के मुख्यमंत्री में जो भी कमजोरियां हों लेकिन वे 20-25 वर्षों से अकेल...
Read Moreहुबली (कर्नाटक) में पुलिस द्वारा गोलीबारी के मामले पर लोकसभा में 22अगस्त, 1994को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, दिल्ली दखल के लिये इतिहास में बहुत खून बहा। पता नहीं कितना खून दिल्ली को दखल करने के लिये आगे बहने वाला है? जब अटल जी ने सवाल उठाया तो मुझे ऐसा लगा कि केवल हम लोग इस बात की चिन्ता कर रहे हैं कि गोली क्यों चली और मासूम लोगों की जान क्यों गई, लेकिन उसके बाद जो बातें कही गईं, शायद आपने उन्हें ध्यान से सुना होगा। मैं अटल जी से निवेदन करूंगा कि वह उन पहलुओं पर जरा विचार करें। मामला कश्मीर और हुबली तक सीमित नहीं रहा। हिन्दुस्तान में कहाँ-कहाँ पाकिस्तानी झण्डे फहराये गये, मुझे इ...
Read More16 जुलाई, 1998 को लोकसभा में गोडसे को महिमामंडित किए जाने पर चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, अजीत जोगी जी ने आज एक अहम सवाल उठाया है। पिछले कई दिनों से यह सवाल समाचार पत्रों में उठ रहा है। देश की जनता इसके बारे में बहुत चिन्तित है। मैं इस सवाल पर कुछ कहना नहीं चाहता था लेकिन शिवसेना के नेता हमारे मित्र ने जो भाषण दिया और दूसरे मित्र श्री चैबे जी ने जो भाषण दिया, उसके बाद मैंने समझा कि इस देश की और सदन की मानसिकता कुछ विकृत होती जा रही है। इस मानसिकता को परिष्कृत करने के लिए हमको अपने अन्तःकरण में सोचना चाहिए। यह सवाल सांकृतिक स्वतन्त्रता का नहीं है, यह सवाल देश की बुनियादी मान्यता...
Read Moreअगस्त क्रांति के स्वर्ण जयंती समारोह के मामले पर लोकसभा में11अगस्त, 1992को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, जो सवाल यहाँ राम विलास जी ने उठाया है, मैं नहीं चाहता कि 1942 के आन्दोलन के स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर राष्ट्र में कोई विवाद उठे लेकिन यह बात सही है कि जिस तरह से इसकी शुरुआत हुई है, वह बहुत दुःखद है। मैं यह कहने के लिए आपसे क्षमा चाहूँगा कि उस दिन केन्द्रीय कक्ष में भी जो भाषण हुए। जिस भाषण में 1942 की क्रांति की बात हुई, उसमें जयप्रकाश नारायण, डाॅराममनोहर लोहिया और आचार्य नरेन्द्र देव को याद नहीं किया गया। इण्डिया गेट पर जो फंक्शन हुआ, उसमें एक मंत्री महोदय ने इस तरह कहा- ‘‘अखिल भार...
Read Moreइंडिया गेट के समीप महात्मा गाँधी की मूर्ति स्थापित करने के संबंध में 31 जुलाई, 1997 को लोकसभा में चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष जी, मैं एक ऐसे सवाल पर आपके सामने खड़ा हुआ हूँ जिस पर इस सदन में शायद कोई विवाद नहीं होगा। मैंने कल ही अध्यक्ष महोदय से अनुमति ली थी। महात्मा गाँधी की स्टेच्यू इंडिया गेट पर लगाने का सवाल 30 वर्षों से चल रहा है। गत तीन वर्ष पहले श्री नरसिंहराव जी ने वहाँ शिलान्यास किया था कि अगस्त क्रान्ति उद्यान बनेगा और उसमें महात्मा गाँधी की स्टेच्यू लगायी जाएगी। इस देश क ेकुछ विचारक, विद्वान जिनकी साचे सार ेदश्ेा स ेनिराली है, वे लोग अदालत में गये थे और उस अदालत में उन्होंने...
Read Moreसरकार के प्रसारण के सवाल पर लोकसभा में 4 मार्च, 1991 को प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की बात सही है। जो राष्ट्र अपन ेअतीत क ेगौरव का ेसजंा ेनही ंसकता, वह राष्ट्र नया भविष्य नहीं बना सकता है। हमारे अतीत से संस्कृत का गहरा संबंध है और उसमें हमारे सभ्यता और संस्कृति की अनुपम कृतियां भरी पड़ी हैं। मैं माननीय सदस्य की बात से सहमत हूँ। हम देखेंगे और दूरदर्शन से बात करेंगे। अब उसमें समाचार दिये जायेंगे या नहीं लेकिन संस्कृत के जो हमारे नीति वाक्य हें या जो हमारे नीतिकारों के वाक्य हैं और जो आज के दिन कल्याणकारी और शुभ हैं, उनको दूरदर्शन पर प्रसारित करने के लिए...
Read Moreराज्यों के गठन के सवाल पर लोकसभा में 9 सितम्बर, 1996 को चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष जी, मैं किसी विशेष विषय पर आपसे निवेदन नहीं कर रहा हूँ। आज 12 बजे से जितने सवाल उठाए गए हैं, चाहे वे सुरक्षा के सवाल हों, चाहे भ्रष्टाचार के सवाल हों, चाहे विभिन्न राज्यों के बंटवारे के सवाल हों; इनमें से किसी पर नहीं। मेरे निवेदन का कोई असर पड़े तो मैं आपसे निवेदन करूंगा कि दिल्ली दखल करने के लिए कई बार इस देश में खून बहा है। उपाध्यक्ष जी, यह खून और कब तक बहता रहेगा? राज्य सरकारों द्वारा कुछ वोट और बनाने के लिए हम कब तक नारे लगाते रहगंे,े आरै कब तक ये घटनाए ंहातेी रहगंेी, म ंैउनका जिक्र करना नही ंचाहता ह।ँू छ...
Read Moreनदवा के छात्रावास में तलाशी लिए जाने मामले पर 9 दिसम्बर, 1994 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, मैं नहीं समझता कि नदवा में जो कुछ हुआ, वह दुःखद हुआ लेकिन उसके बाद जो हो रहा है, वह अत्यंत लज्जाजनक और दुःखद है क्योंकि नदवा में जो कुछ हुआ, हमारी खुफिया एजेंसी ने कुछ कारणों से वहाँ जाने की बात सोची। वे कहते हैं कि उ.प्र. सरकार को इसकी खबर थी लेकिन उ.प्र. सरकार कहती है कि उनको खबर नहीं थी। अध्यक्ष जी, मैं एक बात आपके माध्यम से सरकार से कहना चाहूँगा कि आई.बी. के लोग जिन हालात में काम करते हैं, वह सामान्य हालात नहीं होती है। कई जगह तो अपनी जान को खतरे में डालकर देश की रक्षा का काम करते हैं। ...
Read Moreस्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगदीश भाई के निधन पर 9 मई, 2003 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, मैं इस विषय में कुछ नहीं कहना चाहता था क्योंकि यह अत्यन्त दुःखद सवाल है। यह बात सही है कि श्री जगदीश भाई की मृत्यु सही मायने में 5 तारीख को ही हो गई थी। उस दिन मुझे सायंकाल 4 बजे खबर आई, लेकिन डाक्टरों ने उसकी घोषणा नहीं की। उसके आधार पर प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और मुझे बताया गया और गृह मंत्री महोदय को भी सूचना दी गई। प्रधानमंत्री महोदय ने शोक संदेश भी भेजा। उपराष्ट्रपति महोदय ने भी उनकी मृत्यु पर शोक-संदेश भेजा। अखबार में छपा, गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत...
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