सदन के खिलाफ न्यायमूर्ति की टिप्पणी पर 27 फरवरी, 1996 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, इसके बारे में न्याय-सम्मत क्या होना है? यह फैसला दूरदर्शन पर ही नहीं बल्कि सभी टेलीविजन नेटवर्कों पर प्रसारित हुआ था। यह सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है। यदि न्यायाधीश ने कोई ऐसी टिप्पणी की है और यदि वह टिप्पणी सच है तो इस संसद को किसी पर भी कोई चर्चा करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। न्यायाधीश के फैसले के अनुसार यह जनता की संसद है जो पूरी तरह से भ्रष्ट है। अध्यक्ष महोदय यदि यह स्थिति है तो इस सभा के अभिरक्षक की हैसियत से इस सभा की बैठक बुलाने से पहले आपको भारत के मुख्य न्याय...
Read Moreराष्ट्रपुरुष चंद्रशेखर संसद में दो टूक खंड 3
जैन जाँच आयोग के बारे में 6 दिसम्बर, 1995 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, मैं पिछले साढ़े चार वर्षों से इस सवाल पर चुप रहा। आज यदि मैं न बोलूं तो मैं समझता हूँ कि सदन के साथ न्याय नहीं होगा। मैं आपसे एक दिशा-निर्देश चाहता हूँ। कोई भी जज किसी जगह बैठकर के कोई भी बयान दे दे, तो क्या उस बयान के आधार पर संसद की कार्यवाही रोकी जा सकती है या नहीं? अगर उस बयान पर बहस होती है, तो क्या जज के बारे में भी यहाँ पर बहस हो सकती है या नहीं? जिस तरह से यह आयोग काम कर रहा है, उस पर चर्चा करने का निर्देश देंगे या नहीं? ये सवाल ऐसे जटिल सवाल हैं जिनके उत्तर हमें, आपको इन सवालों को उठाने से पहले देने चाह...
Read Moreलोकसभा में 11 मई, 1993 को न्यायमूर्ति रामास्वामी के मामले पर चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, मुझमें सुनने का धैर्य है, लेकिन यह बिल्कुल असंगत बातें हैं। जो कुछ समिति ने कहा है और जो कुछ न्यायाधीश रामास्वामी ने सभा के समक्ष कहा है, वह सबको है, क्योंकि श्री रामास्वामी का कथन पहले ही सदस्यों को परिचालित किया जा चुका है और समिति का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया जा चुका है। मैं नहीं जानता कि ऐसा किन प्रावधानों के अन्तर्गत हुआ है। यदि मैं ऐसा कहता हूँ तो अध्यक्ष महोदय कहेंगे कि उनकी ईमानदारी पर शक कर रहा हूँ। अतः मैं ऐसा नहीं कहूँगा लेकिन मैं नहीं जानता कि श्री चटर्जी किन परिस्थितियों में ...
Read Moreलोकसभा में 15 दिसम्बर, 1994 को प्रतिवेदन पटल पर रखने के मामले में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता विरोधी दल ने जो सवाल उठाया ह ैउस पर जा ेशरद यादव जी का दृिष्टकाण्ेा है उससे मैं पूरी तरह से सहमत हूँ। उनकी भाषा दूसरी है वह भाषा मैं इस्तेमाल नहीं कर सकता लेकिन इसमें दो बातें ध्यान देने की हैं। एक तो एंटनी साहब का इस्तीफा, जो उन्होंने अभी यह कहा है, उनके बारे में जो कहा गया है वह सही नहीं है। उन्होंने बार-बार कैबिनेट, मंत्रिमंडल को बताया है कि चीनी की क्या स्थिति है, कितनी कमी है। दूसरा, पिछली बार जब माननीय कल्पनाथ राय जी ने यहाँ भाषण दिया तब उन्होंने भी यही कहा कि हमने बराबर यह...
Read Moreबार-बार उठ रहे बोफोर्स के मुद्दे पर लोकसभा में 10 मार्च, 1999 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, बहुत से लोग इस मुद्दे को कई दिनों से उठा रहे हैं। इस मामले की जाँच करना लोकसभा सचिवालय का कार्य है। आपको केवल यह घोषणा करनी है कि कोई निर्णय लेने में कितना समय लगेगा और यह मामला प्रतिदिन नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि सभी तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। अतः मैं आपसे निश्चित समय देने का अनुरोध करूँगा कि इस मामले को समाप्त करने के लिए आप कितने दिन लेंगे। अध्यक्ष महोदय, यह निर्णय आपको सचिवालय की सहायता से लेना है। अतः कृपया कोई समय निर्धारित कर दीजिए ताकि यह विवाद रुके और हम नियमित कार्य करें। मुझे ...
Read Moreसदन में 16 दिसम्बर, 1996 को किसी मंत्री के नहीं होने पर चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, इस मामले को इतना सरल नहीं समझना चाहिए। मेरे विचार में, मेरे पिछले 30 अथवा 34 वर्ष के संसदीय जीवन में, यह पहला अवसर है कि मुझे यह अनुभव हुआ है कि जब सदन में कोई मंत्री ही उपस्थित नहीं है, अपितु सरकार का कोई भी प्रतिनिधि उनकी ओर से उत्तर देने के लिए भी तैयार नहीं है। यह ऐसी बात है जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है। अध्यक्ष महोदय, संसदीय व्यवहार के सभी मानकों के विरुद्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस सभा के प्रति अपने कत्र्तव्य का निर्वहन करने में लापरवाही बरत रही है। यह एक बहुत गम्भीर विषय है। आप इस मामल...
Read Moreलोकसभा में 30 दिसम्बर 1993 को विशेष सत्र में प्रधानमंत्री के न होने पर चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, अगर नई संसदीय परम्परा अभी से लागू न हुई हो तो संसदीय परम्परा के अनुसार प्रधानमंत्री जी को यहाँ उपस्थित रहना चाहिए। मेरे लिए उनका रहना या नहीं रहना कोई प्रभाव नहीं डालता। वे यहाँ रहें या नहीं रहें, कोई अंतर नहीं आने वाला है। यह मैं जानता हूँ, लेकिन अगर संसदीय परम्परा थोड़ी भी अवशिष्ट है तो नेता विरोधी दल की सलाह केा उन्हें मानना चाहिए। अध्यक्ष महोदय, आपकी कृपा होगी अगर आप प्रधानमंत्री को सद्बुद्धि दें कि वे सदन में मौजूद रहें। अध्यक्ष महोदय, जब तक वित्तमंत्री का त्यागपत्र स्वीकार नह...
Read Moreसदन के बाहर बयान देने के प्रकरण पर 14 दिसम्बर, 2000 को लोकसभा में चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष जी, मैं आपका आभारी हूँ कि आपने मुझे बोलने के लिये अवसर दिया। मैंने कल सोचा था कि मैं इस विषय पर न बोलूँ लेकिन ममता जी के भाषण से मुझे आज बोलने की प्रेरणा मिली है। मैं समझता हूँ कि यदि मैं इस विषय पर नहीं बोला तो कहीं कोई गलत अर्थ न लगा लें। मैं सब से पहले ममता जी से यह कहना चाहूँगा कि जो सलाह वे आज प्रधानमंत्री जी को दे रही हैं, यह विवाद न उठा होता यदि यह सलाह उन्हांेने पहले दिन ही दिया होता तो प्रधानमंत्री जी ने अपना वक्तव्य बदल दिया होता। उपाध्यक्ष जी, मुझे दुःख के साथ कहना पड़ता है कि मैंने भी अख...
Read Moreआंतरिक मामले में हो रहा है तीसरे देश का हस्तक्षेप, लोकसभा में 18 दिसम्बर, 2001 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, मैं इस बहस में हिसा लेने को तैयार नहीं था, अचानक आपने मेरा नाम ले लिया, इसलिए केवल दो-चार मिनट में अपनी बात रखना चाहूँगा। श्री सोमनाथ चटर्जी ने इस बहस को सही पर्सपैक्टिव में रखने का प्रयास किया है। इससे पहले श्री शिवराज पाटिल ने कुछ बिन्दु उठाए। इनमें से दो-चार बातों का जवाब सरकार को देना चाहिए। पहला सवाल यह है कि अगर इनको पहले से ज्ञात था और जैसा इनके भाषण से भी मालूम होता है कि इनको हमले के बारे में मालूम था, तो क्यों कार्यवाही नहीं की गई? अध्यक्ष जी, वह कार्यवाही न करने के लि...
Read Moreसदन नहीं चलने पर 19 सितम्बर, 1995 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, नौ दिनों से संसद नहीं चल रहा है। आज प्रसन्नता इस बात की है कि आपके हस्तक्षेप से कम से कम हम यहाँ पर बात कर रहे हैं। दुःख इस बात का है कि आपके कक्ष में जो बातें होती हैं, उसकी चर्चा यहाँ पर होती है। आपने एक बार मुझसे उलाहना दिया था, यह गुस्सा दिखाया था कि मैं आपके कक्ष में नहीं जाता। मेरी यही विवशता थी। वहाँ जो बातें होती हैं, उसको यहाँ कहने में मुझे बड़ा संकोच होता है। वह बातें मुझे एक अजीब दुविधा की स्थिति में डाल देती हैं। अध्यक्ष जी, एक पक्ष से एक बात कही जाती है, दूसरे पक्ष से दूसरी बात कही जाती है और मैं उसका दृष...
Read Moreधन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में 16 अप्रैल, 1999 को चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष जी, आज की बहस में हर तरह की बातें कही गईं। मैं इस बहस की उपयोगिता के बारे में शुरू से ही संदेह रखता हूँ। मैं नहीं जानता कि यह बहस किसलिए हो रही है। मैंने प्रारम्भ में भी यह कहा था, मैं क्षमा के साथ कहूँ तो राष्ट्रपति महोदय ने इस बहस की इजाजत क्यों दी, यह बात भी मेरी समझ में नहीं आती। पार्लियामैंट का बजट सेशन चल रहा था और सरकार किसी समय भी गिराई जा सकती थी। उपाध्यक्ष जी, विरोधी पक्ष के नेता गये, यदि मैं होता तो शायद मैं भी जाता। इस सदन का जो निरर्थक समय बर्बाद किया जाता है, केवल उसकी मुझे चिंता नहीं है बल्कि नयी-नय...
Read Moreभारतीय यूनिट ट्रस्ट की निधियों के कुप्रबंधन पर लोकसभा में 21 अगस्त, 2001 को चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, मै ंयह सवाल इसलिए आपके सामने रख रहा हूँ कि सारे देश में चर्चा है कि एक औद्योगिक घराना सारी राज व्यवस्था पर काबिज हो गया है। चाहे वह हमारी व्यवस्थापिका हो या हमारी कार्यपालिका हो, हर जगह पर उसका प्रभाव दिखाई पड़ता है। उसके बारे में एक बार नकवी जी ने चर्चा उठाई और एक बार प्रियरंजन दासमुंशी जी ने उठाई, लेकिन उस चर्चा के बावजूद भी कुछ नहीं हुआ। उपाध्यक्ष महोदय, कई दिनों तक अखबारों में खबरें छपती रहीं कि उस घराने ने 390 रुपये पर जो शेयर भारत सरकार को बेचा था, उस शेयर को 60 रुपये में खर...
Read Moreसंयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों पर लोकसभा में 27 जुलाई, 1994 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, मैं एक्शन टेकन रिपोर्ट के बारे में कुछ कहना नहीं चाहता था, लेकिन एक निवेदन आपसे करना चाहता हूँ। बार-बार यह कहा जाता है कि विरोधी पक्ष के लोग राजनैतिक भाषण कर रहे हैं। मैं समझता हूँ कि संसद राजनैतिक भाषण के लिए ही बुलाई जाती है। विरोधी पक्ष एक राय वाला है और सरकार पक्ष दूसरी राय वाला है लेकिन दोनों ओर से राजनीतिक बातें ही होती हैं। अध्यक्ष महोदय, मैं देख रहा हूँ कि आज मंशा कुछ गैर राजनीतिक कार्यवाही करने की दिखाई पड़ रही है। उन मित्रों के जरिये जो बार-बार यह आरोप लगा रहे हैं कि राजनीति से विवश...
Read Moreलोकनिधि के दुरुपयोग के मामले पर 8 मई, 1992 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, अभी इन्द्रजीत जी ने या किसी ने कहा कि जिम्मेदारी आपके ऊपर है। मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ कि देश के लोग किससे जानें कि देश में क्या हो रहा है। जब ये नीतियां बनाईं जा रही थीं, तब हम लोगों ने कहा था कि इसके घातक परिणाम होंगे, तब हमने कहा था कि विदेशी ताकतों के जरिए नीतियां चलाई जा रही हैं, तब हमने कहा था कि आप देश की परिस्थितियों के अनुसार देश को चला नहीं रहे हो। उसके दुष्परिणाम तीन महीने में आ रहे हैं। मैं अटल जी से कहता हूँ, लिबरलाइजेशन का आप जरूर समर्थन कीजिए, लेकिन उस समय जो खतरे बताए गए थे और वे खतरे तीन...
Read Moreलोकसभा में 12 मार्च, 1996 को हवाला मामले से सम्बन्धित आरोपों पर चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, मैं आपके जरिये प्रधानमंत्री जी से एक ही बात जानना चाहँूगा कि अगर उनको एक वाक्य भी नहीं बोलना था तो आज आये क्यों? यदि वह सदन में आते हैं और उनसे निरन्तर एक प्रश्न पूछा जाता है तो उसका उत्तर देना इस संसद और देश की जनता के प्रति उनका कत्र्तव्य ही नहीं अपितु दायित्व भी बन जाता है। उनकी चुप्पी का न केवल देश में वरन् सम्पूर्ण विश्व में गलत संकेत जायेगा। संसदीय प्रजातन्त्र के इतिहास में यह एक अकेला उदाहरण होगा जब एक प्रधानमंत्री पर बार-बार आरोप लगाये जा रहे हैं और यहाँ पर बैठकर उनमें इतना शिष्टा...
Read Moreलोकसभा में प्रतिभूति घोटाला में सरकार की गरिमा पर 31 जुलाई, 1992 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, प्रतिभूति घोटाला इस सरकार की गरिमा, विश्वसनीयता के लिए धक्का साबित हुआ है। आज जो कुछ समाचार पत्रों में आया है, मेरे विचार में वह स्थिति की चरम सीमा है। मैं श्री माधवन को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता हूँ। मैं उन्हें जानता हूँ तो एक ऐसे अफसर के नाते, जो अपना काम सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और निपुणता के साथ करता है। उनकी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पर कोई शक नहीं कर सकता। अध्यक्ष महोदय, अगर ऐसे अधिकारी पद सेवानिवृत्ति के लिए जबकि उनके सेवा के तीन वर्ष बाकी रहते हों, दबाव डाला जाता है और ऊपरी तौर पर ...
Read Moreलोकसभा में 5 मार्च, 1992 और 24 नवम्बर 1992 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बड़े-बड़े दावे किए हैं कि हम गेहूँ का निर्यात कर सकते हैं और हम गेहँू का आयात कर सकते हैं। माननीय सदस्य पूछ रहे हैं कि आयात दर क्या है और निर्यात दर क्या है? क्या यह सच है कि आपने बहुत कम कीमतों पर गेहूँ का निर्यात किया है और बहुत ऊँची कीमतों पर इसका आयात कर रहे हैं? मंत्री जी को इस प्रश्न का उत्तर देना चाहिए। अध्यक्ष महोदय, ऐसा लगता है कि सरकार को इस तर्क के आधार पर बचने की आदत है कि इसका निर्णय उनसे पहले ही ले लिया गया था। मैं सरकार से यह जानना चाहूँगा कि समझौता किस स्तर पर, किससे और किस समय किया गय...
Read Moreहर्षद मेहता मामले में लोकसभा में 16 जुलाई, 1992, 3 अगस्त 1992 और 27 अगस्त 1992 को चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, वे कहते हैं कि ऐसा स्टेट बैंक ने किया था। आप भी कहते हैं कि स्टेट बैंक ने किया था तो फिर रिजर्व बैंक ने क्या किया? क्या मैं कम्पनी कानून के सम्बन्ध में मंत्री महोदय से यह जान सकता हूँ कि उन्हें इसके बारे में कुछ सूचना प्राप्त है? श्री मनमोहन सिंह जी, उन मामलों में बचाव करने का प्रयास मत कीजिए, जिनका बचाव आप नहीं कर सकते हैं, जाँच-पड़ताल चल रही है तथ्य आपके सामने हैं। अध्यक्ष महोदय, ये कार्यवाही करने में असमर्थ हैं, इसलिए इस मामले में देर लगा रहे हैं। मैं राजेश पायलट को इसका एक ही जवाब द...
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