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राष्ट्रपुरुष चंद्रशेखर संसद में दो टूक खंड 5


कश्मीर समस्या पर 10 जनवरी, 1991 को लोकसभा में प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, कश्मीर की समस्या के बारे में कई सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। वित्तमंत्री जी ने जो विधेयक रखा है और बजट के लिए जो स्वीकृति चाही है, उन दोनों के बारे में मैं इतना ही निवेदन करूंगा कि कश्मीर की स्थिति जैसी है, उससे निपटने के लिए कुछ अधिकार तो सरकार को चाहिए। इसमें जो प्रावधान हैं, इसलिए हैं कि अगर कोई दिक्कत हो, लोगों को कठिनाई हो तो उनकी दिक्कतों की जांच हो सके। इसमें दो-तीन बातें कही गई हैं जिनका मैं जिक्र करूंगा। एक तो यह चर्चा की गई कि बात होनी चाहिए लेकिन सुभषिनी जी ने कहाकि फंड...

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जम्मू-कश्मीर के मामले पर लोकसभा में 10 जनवरी, 1991 को प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, कश्मीर की समस्या के बारे में कई सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। वित्तमंत्री जी ने जो विधेयक रखा है और बजट के लिए जो स्वीकृति चाही है, उन दोनों के बारे में मैं इतना ही निवेदन करूँगा कि कश्मीर की स्थिति जैसी है, उससे निपटने के लिए कुछ अधिकार तो सरकार को चाहिए। इसमें जो प्रावधान है कि कोई दिक्कत हो, लोगों को कठिनाई हो तो उनकी दिक्कतों की जांच हो सके। इसमें दो-तीन बातें कही गई हैं जिनका मैं जिक्र करूँगा। उपाध्यक्ष महोदय, एक तो यह चर्चा की गई कि बात होनी चाहिए लेकिन सुभाषिनी जी ने ...

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कश्मीर पर पाकिस्तानी दावे के सवाल पर 1 अगस्त, 2001 को लोकसभा में चन्द्रशेखर सभापति महोदय, मैं सरकार के लिए और विशेषकर विदेश मंत्री जी के प्रति सहानुभूति प्रकट करने के लिए खड़ा हुआ हूँ। मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है। शिकायत केवल एक ही है कि जिस भाषा का उपयोग पाकिस्तान के जनरल कर रहे थे, उस भाषा में नहीं, लेकिन अपने विचारों को उसी स्पष्टता से रखने में वह और उनके प्रधानमंत्री जी असफल रहें। बार-बार हमसे यह कहा गया कि जो कुछ कश्मीर में हो रहा है, वह आजादी की लड़ाई है। सभापति महोदय, हम यह नहीं समझ पाये कि हमारे प्रतिनिधि मंडल ने उन्हें यह क्यों नहीं बताया कि कश्मीर में आजादी की लड़ाई 194...

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तीन महीने तक फौज का इस्तेमाल नहीं होने पर 15 मई, 1995 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, तोड़-मरोड़ की भी कुछ सीमा होनी चाहिए। मैं माननीय सदस्य को रोकना नहीं चाहता हूँ। मैंने कभी भी किसी स्थिति में हिन्सा का प्रयोग करने के लिए नहीं कहा था। माननीय सदस्य का विचार है कि एक स्थिति में बल प्रयोग किया जा सकता है तो दूसरी परिस्थिति में भी वही तरीका अपनाया जा सकता है। मुझे नहीं मालूम कि प्रधानमंत्री जी के पास इस प्रकार के परामर्शदाता हैं। अध्यक्ष महोदय, कुछेक परिस्थितियों में हास-परिहास की अनुमति है। हम कुछ अधिक गम्भीर राष्ट्रीय संकट के बारे में चर्चा कर रहे हैं। जब हम मेल मिल...

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जम्मू कश्मीर के सवाल पर लोकसभा में 7 जनवरी, 1991 को प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार की नीतियों के बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है, वह माननीय सदस्य की अपनी राय होगी। मैं केवल यह कहना चाहता हूँ कि कश्मीर के हालात आज भी बहुत अच्छे नहीं हैं। पिछले कुछ दिनों में परिवर्तन हुआ है लेकिन सरकार की नीतियों की वजह से नहीं हुआ है, कुछ मौसम की वजह से और कुछ हमारे सुरक्षा बलों ने काम भी अच्छा किया है। वहाँ पर मिल-जुलकर काम करने की जरूरत है। अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन से कहूँगा कि कश्मीर जैसे सवाल पर सब लोग मिलकर सोचें तभी कोई समाधान निकल सकता है। हम एक एक्शन प्...

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अयोध्या में ढांचा गिराये जाने पर 17 दिसम्बर, 1992 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, आज जो सदन में चर्चा चल रही है, वह अत्यन्त दुःखद है। आज प्रातःकाल जब शरद यादव बोल रहे थे और उन्होंने कहा कि अगर ढोंग का ही वातावरण बनाना है तो आप इस बहस को चलाइये तो मुझे ऐसा लगा कि शरद यादव कुछ अत्यन्त कटु भाषा का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन इस बहस को जिस प्रकार चलाया गया है, जो भाषण हुये हैं, उससे मुझे ऐसा संकेत मिला या मेरा यह विश्वास बना कि शरद यादव इस बहस की भूमिका को ज्यादा अच्छी तरह समझते थे, अपेक्षाकृत मेरे। अटल जी के भाषण से प्रारम्भ हुआ, जो यहाँ पर नहीं हैं, जिन्होंने शालीनता, सद्भावना, सहि...

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जम्मू-कश्मीर में चुनाव के एलान पर 28 नवम्बर, 1995 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, सोमनाथ चटर्जी जी ने जो बात कही है, वही अपने मायने में मायने रखती है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के सवाल पर हम सब को एक राष्ट्रीय रुख अपनाना चाहिए, नेशनल-एप्रोच। क्या हम लोग जो आज सबेरे से करीब एक घण्टे से, पचास मिनट से जो कह रहे हैं, इससे राष्ट्रीय रुख अपनाने में सहायता मिलेगी या नहीं मिलेगी, इस सवाल के ऊपर हमको जरा दिल पर हाथ रख कर सोचना चाहिए। हमारे अन्तिम वक्ता ने जो भाषण दिया है आपकी अनुमति से, संसद में। इसका वीडियो टेप लिया जा रहा है और दुनिया में इसको देखा जाएगा। इसे देखने के बाद क्या यह ...

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23 फरवरी, 1993 को लोकसभा में अयोध्या विवाद पर चन्द्रशेखर सभापति महोदय, अत्यन्त वेदना के साथ मैं इस विवाद में हिस्सा ले रहा हूँ। मैं नहीं चाहता था कि इस पर मैं भी अपनी बात कहूँ। मैंने कहा भी था कि अगर अटल जी नहीं बोलेंगे, तो कम-से-कम एक क्षीण आशा रहेगी कि कुछ विचारों में उधर तब्दीली होगी, लेकिन मैं दुःख के साथ कहता हूँ कि अटल जी के बोलने के बाद मैं कुछ कहने के लिए विवश हूँ। मंै अयोध्या के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता था। अटल जी ने कहा, उस पर चर्चा हुई और उस समय मैंने अपनी बातें रखी थीं, लेकिन अयोध्या के नायक आडवाणी जी उस समय नहीं थे और उन्होंने अयोध्या से आने के बाद जो कुछ कहा, उससे म...

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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर 9 जुलाई 1992 को लोकसभा में चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस अत्यधिक गम्भीर बहस में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। मैं एक अति गम्भीर प्रकृति के मामले में जानकारी हासिल करना चाहता हूँ। फैजाबाद में मन्दिर-निर्माण कार्य पहले ही आरम्भ हो चुका है। मैं श्री आडवाणी जी और श्री वाजपेयी जी से अपील करूँगा कि उन्हें श्री नरसिंह राव जी और श्री चव्हाण जी के साथ बैठकर इस देश को विध्वंस से बचाने के लिए बातचीत करनी चाहिए। मैंने गृहमंत्री, श्री एस.बी. चव्हाण को इस बारे में सूचित कर दिया है। उन्हें भी यह जानकारी मिली है। उन्होंने मुझे बताया है कि वह आज साय...

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गृहमंत्री की अयोध्या यात्रा पर 13 जुलाई, 1992 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, अयोध्या में जो कुछ हो रहा है मैं उस पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूँ, बल्कि इस सभा में जो कुछ हो रहा है मैं आपका ध्यान उस ओर आकर्षित करना चाहूँगा। पिछले चार दिनों से सभा स्थगित की जा रही है और माननीय प्रधानमंत्री सभा में आने के लिए पाँच मिनट का भी समय नहीं निकाल पाये हैं। आज गृहमंत्री जी आये हैं। क्या मैं आपसे जान सकता हूँ कि उन्होंने अपने वक्तव्य में और क्या जोड़ा है, जिसको वह चार दिन पहले से नहीं कह सके थे, सिवाय इसके कि वह अयोध्या गये थे, वहाँ पूजा की थी और यह भी देखा था कि राज्य सरकार न्यायालय क...

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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 25 मार्च, 1992 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, अत्यन्त दुःख का विषय है कि यह विषय बार-बार सदन के सामने पहले भी आया और आज फिर यह विषय अत्यन्त उत्तेजनापूर्ण वातावरण में हम लोगों के सामने प्रस्तुत हुआ है। मुझे दुःख के साथ कहना पड़ता है कि इसमें संविधान की धाराओं का उल्लेख भी किया गया है। अध्यक्ष महोदय, अगर राज्य और केन्द्र सरकार की सीमाओं का इसमें विवेचन किया गया तो मामला और उलझेगा। यह बात मैं पहली बार नहीं कह रहा हूँ, मैंने पहले भी इस सदन में कई बार कहा है और मुझे याद है, जब नेशनल इंटिग्रेशन काउन्सिल की मीटिंग हुई थी, उसमें भी आडवाणी ज...

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नियम 193 के तहत हुई चर्चा में 27 फरवरी, 2003 को लोकसभा में चन्द्रशेखर सभापति महोदय, मैं इस विषय पर बोलना नहीं चाहता था लेकिन हमारे मित्र श्री मुलायम सिंह यादव जी ने दो वाक्य ऐसे कहे जिससे मैं दो शब्द कहने के लिए विवश हूँ। मैं इस मामले में निष्पक्ष नहीं हूँ। मैं पूरी तरह से उसी विचार का हूँ जिस विचार के श्री मुलायम सिंह यादव हैं। उनकी और मेरी भाषा अलग हो सकती है। वह भाषा शायद मैं न इस्तेमाल करूं। प्रधानमंत्री जी का हिमाचल प्रदेश में दिया गया वक्तव्य दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं समझता हूँ कि आज जो यहाँ कहा जा रहा हे, चाहे एक तरफ से या दूसरी तरफ जो कुछ कहा जा रहा है, वह मामले को और पेचीदा ...

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जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर 28 जुलाई, 1997 को लोकसभा में चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, जो कुछ भी जसवंत सिंह जी ने कहा है, वह बहुत आपत्तिजनक है। देश के भविष्य के लिए एक खतरनाक संकेत है। मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता हूँ। लेकिन, बाहर से खबरें आई हैं कि कोई विदेशी राज्य या सत्ता हमें इंगित करती है कि कौन सी दिशा अपनाई जानी चाहिए और हमारी सरकार उस पर मौन रह जाए, इससे बड़ी अशोभनीय बात कोई और नहीं होगी। मैं याद करूं, पुराने समय में जब आर्थिक नीतियां अपनाई जा रही थी, तब मैंने कहा था कि अगर आर्थिक नीतियों में हम हस्तक्षेप सहन करेंगे, तो राजनीतिक हस्तक्षेप सहन करने ...

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अयोध्या विवाद पर 15 और 29 जुलाई, 1992 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष महोदय, प्रसन्नता है कि शांति है। इससे बड़ी प्रसन्नता इस बात से है कि प्रधानमंत्री जी ने बार-बार कहा है कि चार महीनों में कोई आशा की किरण, उम्मीद की रोशनी दिखाई पड़ेगी। मैं इस पर उनसे कोई सफाई नहीं चाहूँगा। जैसा हमारे मित्र इन्द्रजीत जी गुप्त ने कहा है। कुछ बातें दो-चार मिनट में आशंका के रूप में उनके सामने रखना चाहता हूँ। वह आशंका आज की नहीं, बहुत पुरानी है। हमारे मित्र अंतुले जी ने बहुत भावुकता भरा भाषण दिया है। यह सही है कि लोग मरते हैं। हम लोग नहीं मरते हैं, लेकिन उतना ही सही है कि संसद में बैठकर हम इस बात के ...

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अमरनाथ यात्रा के दौरान हुई त्रासदी पर 26 अगस्त, 1996 को लोकसभा में चन्द्रशेखर उपाध्यक्ष महोदय, यह राष्ट्रीय शोक है। श्री जसवन्त सिंह और श्री चमन लाल जी ने इस सदन में जो कुछ कहा है, यदि उसका 50 प्रतिशत अंश सही है तो इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार खराब मौसम के कारण उत्पन्न स्थिति के प्रति न केवल असंवेदनशील थी बल्कि उस दुर्घटना के बाद सरकार निर्दय भी है, उस पर अपने कत्र्तव्यपालन में ढील बरतने पर दोषरोहण किया जाना चाहिए। कोई भी आशा नहीं कर सकता कि इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद राज्यपाल दिल्ली में रहे। ऐसा कोई कारण नहीं कि वे जम्मू या कश्मीर नहीं जाते और वहाँ प्रबन्ध व्यवस्था नहीं क...

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पाक गए कश्मीरियों को फिर से नागरिकता देने के सवाल पर 28 नवम्बर 2001 को लोकसभा में चन्द्रशेखर अध्यक्ष जी, रीसेटलमेंट एक्ट, जे. एंड के स्टेट, 1982 के अनुसार 1 मार्च, 1947 के बाद जो लोग पाकिस्तान चले गये थे, अगर लिखकर दे दें तो स्थायी रूप से जम्मू कश्मीर में बसाये जा सकते हैं। यह भी कहा गया कि जो लोग प्रापर्टी छोड़कर गये, उन्हें मुआवजा मिलेगा। लगभग 5 लाख लोग उस समय पाकिस्तान से आये जो कश्मीर में बसे हुए हैं। उन लोगों को 52 साल की आजादी के बाद पार्लियामेंट के चुनाव में वोटिंग का अधिकार तो है, लेकिन असेम्बली के चुनाव में वोट देने का हक नहीं है। जब यह बिल पास हुआ तो तत्कालीन गवर्नर श्री बी.के. ने...

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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।