बार-बार प्रार्थना पर भी टेलीफोन विभाग ने नहीं दिया उत्तर, सात घण्टे बाद मिली दिल्ली से बम्बई की काल
संदर्भ: दूर संचार विभाग की कथित शिथिलता के सम्बंध में 3 दिसम्बर 1965 को राज्यसभा में श्री चंद्रशेखर
महोदय, सभापति महोदय ने मुझे सलाह दी थी कि मैं इस प्रश्न को उस समय उठां जब संचार मंत्री यहां उपस्थित हों। यह एक अत्यन्त दुखद्पूर्ण घटना है। इस सभा के एक माननीय सदस्य श्री फरीदुल हक़ अन्सारी, आल इण्डिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ में दाखिल हैं। कल शाम को उनके डाक्टर ने मुझसे कहा कि मुझे उनके लड़के को तुरंत सूचित कर देना चाहिए। मुझे कुछ मित्रों से पता चला कि उनका लड़का बम्बई है। यह संदेश देने के लिए संसद्-कार्य मंत्रालय की सहायता से मैं कल शाम तक संसद्-कार्य मंत्री के कार्यालय में बैठा रहा। परन्तु कोई उत्तर नहीं मिला। तब मैं घर चला गया। जाते समय जो व्यक्ति वहां मौजूद थे, उनसे मैंने कह दिया था कि वे अंसारी के लड़के को उनके पिता की बीमारी का संदेश दे दें। शाम को 6 बजे घर से मैंने बम्बई के लिए एक आवश्यक काल बुक की। 7 बजे मुझे सूचित किया गया कि काल मिलने में 5 घण्टे का समय लगेगा। तब मैंने फोनोग्राम से पूछताछ की।
उन्होंने मुझे बताया कि एक घण्टे के पश्चात तार बुक किया जायेगा। तब मैंने 8 बजकर 10 मिनट पर राज्य सभा के अपर सचिव श्री केवल कृष्ण से कहा कि वह मेरी कुछ सहायता करें। उन्हें टेलीफोन विभाग के किसी अधिकारी ने विश्वास दिलाया कि 5 मिनट में काल मिल जायेगी। परन्तु 11 बजे तक बार-बार प्रार्थना करने पर भी टेलीफोन विभाग से कोई उत्तर नहीं मिला। रात को साढे़ 11 बजे मुझे सूचित किया गया कि उनके पास कोई काल लम्बित नहीं है। रात के 12 बजकर 10 मिनट पर मैंने सहायक इंजीनियर को सारी कहानी सुनाई और साथ ही उनको यह चेतावनी दी कि मैं इस बात को संसद में उठांगा तथा उसको संचार मंत्री के नोटिस में भी लांगा। इस प्रकार रात के 12 बजकर 15 मिनट पर मुझे काल दी गयी। इस सम्बंध में मैंने संचार मंत्री को एक पत्र पहले ही लिख दिया है। संचार मंत्री द्वारा सभा को एक आश्वासन दिया जाना चाहिए कि कम से कम दिल्ली में संचार विभाग इस प्रकार का रवैया नहीं अपनायेगा। उपसभाध्यक्ष महोदय, मैं इस बात को, आपके, सभापति महोदय के, तथा सरकार के नोटिस में लाता हूं और निवेदन करता हूं कि उन व्यक्तियों के खिलाफ़ गम्भीर कार्रवाई की जाये, जो इस बारे में दोषी सिह् हों।