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प्रधानमंत्री आरोपों को अस्वीकार करें तो विपक्ष हो जाएगा खामोश

संदर्भ: अल्प सूचना प्रश्न तथा उत्तर 7 दिसम्बर 1966 को राज्यसभा में श्री चंद्रशेखर


उपसभापति महोदय, सर्वप्रथम मैं यह जानना चाहता हूं कि किस कारण से मंत्री ने उसे काम का आदमी समझा। मैं समझता हूं कि श्री दुरायराजन एक काम का आदमी है और सभी प्रकार की सहायता का पात्र है। यह तार की भाषा अंग्रेज़ी है लेकिन यह स्पष्ट है कि वह एक काम का आदमी है? किस प्रकार उसे काम का आदमी समझा गया? फाइल पर यह लिखने का क्या विशिष्ट कारण है कि वह एक काम का आदमी है। माननीय मंत्री को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए।

महोदय, मैं जानना चाहता हूं कि क्या वह उसी रूप में काम के आदमी हैं, जिस रूप में श्री अमीनचंद प्यारेलाल थे? दूसरी बात यह है कि मंत्री के पी.ए. द्वारा एक अन्य पत्र दिनांक 16-9-62 को टाइप किया गया था। क्या यह सच है कि पत्र को टाइप किया गया था और उसे भेजा गया था? ये ठोस प्रश्न हैं और इनके उत्तर स्पष्ट होने चाहिए। वह कह सकते हैं कि मैं यह बात जानता हूंऋ अथवा मैं यह बात नहीं जानता हूंऋ परन्तु यदि वह जानते हैं तो उन्हें वह सूचना हमें देनी चाहिए। मैं सरकार से यह पूछना चाहता हूं कि इन प्रश्नों का स्पष्ट उत्तर क्यों नहीं दिया जाता है। यदि सरकार के किसी व्यक्ति के खिलाफ गम्भीर आरोप लगाए जाते हैं तो मंत्री को स्पष्टता के साथ उनका खंडन करना चाहिए क्योंकि इस बारे में कतिपय फाइलों का उल्लेख किया जा रहा है। हो सकता है दिए गए उह्रण गलत हों। देश में इस प्रकार का वातावरण क्यों उत्पन्न किया जाता है कि सरकार कतिपय लोगों को बचाने पर तुली हुई है और वह स्पष्ट उत्तर देने के लिए तैयार नहीं है विशेषकर इस अवस्था में जब भ्रष्टाचार का एक प्रश्न उठाया गया है।

श्रीमन् इसे लेकर मैं उत्तेजित नहीं हो रहा हूं। मैं कांग्रेस दल का एक सदस्य हूं। मैं देश में यह वातावरण उत्पन्न नहीं करना चाहता हूं कि हम भ्रष्ट लोगों के एक ग्रुप से सम्बंध रखते हैं। अधिकारी अथवा मंत्री अथवा कोई भी व्यक्ति जो भ्रष्टाचार करता है उसके विरुह् कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और सरकार का यह कर्तव्य है कि वे एक विवरण दें कि क्या फाइल में ऐसी टिप्पणियां है अथवा नहीं है। मैं बिल्कुल उत्तेजित नहीं हूं। मैं कांग्रेस दल तथा उसके प्रत्येक सदस्य के नाम को बचाना चाहता हूं।

श्रीमन्, मुझे यह विचार प्रकट करते हुए खेद होता है परन्तु मुझे ऐसा करना पड़ रहा है। जो कुछ श्री ब्रजकिशोर प्रसाद सिंह ने कहा है वह अंशतः ठीक है। यदि लगाए गए आरोप व्यक्तिगत प्रकार के है तो मंत्री विशेष अथवा सदस्य विशेष को सूचित किया जाना चाहए और सम्बह् दस्तावेज़ आपको दिखाया जाना चाहिए। यदि यह मामला प्रशासनिक कर्तव्य के सम्बंध में है तो कोई भी सदस्य, जिसकी पहुंच उन फाइलों तक हो, उनसे उह्रण दे सकता है और यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह इन आरोपों को अस्वीकार करें तथा यह बताए कि ये आरोप ठीक नहीं है तथा फाइलों में ऐसी टिप्पणी नहीं हैं। श्री सभापति, इन सब बातों को सहन करना बहुत कठिन होता जा रहा है। आरोप लगाए जाते हैं और सरकार की ओर से आकर कोई यह नहीं कहता कि ये आरोप बिल्कुल झूठे हैं और हम उनको अस्वीकार करते हैं। इसे लेकर यदि आप अन्तर्बाधा डालना चाहते हैं तो आप डालें क्योंकि इससे बाहर यही प्रभाव उत्पन्न होगा कि जो आरोप लगाए गए है वे ठीक हैं। यह प्रभाव नहीं उत्पन्न किया जाना चाहिए। जब मैं यह प्रश्न उठाता हूं तो इसलिए उठाता हूं क्योंकि इस प्रभाव से सरकार को तथा इस दल को हानि पहुंच रही है। इससे न केवल सरकार और इस दल को हानि पहुंच रही है अपितु समग्र संसदीय प्रजातंत्र खतरे में पड़ गया है।

मैं सभा के नेता से प्रार्थना करता हूं कि यह अच्छा अवसर है कि सरकार यह नीति निर्णय करे कि जो कोई व्यक्ति चाहे वह कितना ही ऊंचा क्यों न हो चाहे मैं हूं अथवा कोई अन्य व्यक्ति हो, सरकार के खिलाफ ऐसे आरोप लगाए गए तो सरकार को चाहिए कि वे या पूर्ण रूप से उन्हें अस्वीकार करे और या आकर बताए कि वे आरोप ठीक हैं और उनके लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों को जाना चाहिए। किसी एक व्यक्ति की स्थिति की तुलना में सरकार की स्थिति कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। मैं उत्तेजित नहीं हूंऋ मैं भावुक नहीं हूं। मैं इन बातों को सहन करता आ रहा हूं। श्री सभापति, मैंने बहुत से लोगों के पास यह दस्तावेज भेजे है। मैंने सभा में उन दस्तावेजों को नहीं पढ़ा हैऋ परन्तु मेरे पत्रों का जवाब तक नहीं दिया गया है अतः मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप प्रध् ाानमंत्री से कहें कि यदि वह इन आरोपों को अस्वीकार करेंगी तो विरोधी पक्ष के लोग खामोश हो जाएंगे और भविष्य में झूठे आरोप लगाने का उन्हें साहस नहीं होगा।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।