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काम करने का माहौल नहीं होगा तो नहीं सफल होगा कोई उद्योग, मंत्री जी कम्यूनिस्ट पार्टी को कोसना बंद करे

संदर्भ: फूड कारपोरेशन बिल, 1964 2 दिसम्बर 1964 को राज्यसभा में श्री चंद्रशेखर


उपसभापति महोदय, मैं आपकी इजाजत से सदन में अपनी कुछ बातें रखना चाहता हूं। माननीय मंत्री महोदय बार-बार यह कह रहे हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी एक प्रोपेगंडा के तहत उन्हें बदनाम करने का कुचक्र रच रही है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि माननीय मंत्री महोदय, ऐसा क्यों कह रहे हैं। मेरा मानना है कि कोई भी सरकारी उद्योग हो या निगम हो, वह तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक वहां काम करने का बेहतर माहौल नहीं बनाया जाता। अभी तक देखने में यह आया है कि सरकार अपनी सुविधा के अनुसार वहां पर सब कुछ करती है।

मुझे बहुत खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि माननीय मंत्री महोदय बेवजह कम्युनिस्ट पार्टी का नाम लेकर उसे महत्व दे रहे हैं। अगर आप इस मसले का सामाजिक समाधान चाहते हैं तो आपको हमेशा याद रखना होगा कि इस देश में दो वर्ग हैं। पहला वर्ग उनका है जो शोषण करते हैं। दूसरा वर्ग उनका है जिनका शोषण किया जाता है। जो लोग शोषण के शिकार हैं। अगर हमारे माननीय मंत्री जी की समझ में यह बात नहीं आ रही है तो मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि फूड कारपोरेशन या कोई अन्य निगम सफल नहीं होगा। गरीबों की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार जो भी कार्यक्रम या योजना लागू करेगी, अगर वे सही दृष्किोण और साफ नीयत के साथ लागू नहीं किए गए तो सफल नहीं होंगे। इसलिए माननीय मंत्री जी कम्युनिस्ट पार्टी को दोष देना बंद कीजिए क्योंकि जब आपकी पार्टी की सरकार है तो जाहिर है कि जो योजनाएं लागू होंगी, वह आपकी पार्टी की आइडियोलॉजी के अनुसार होंगी। अगर आप चाहते हैं कि निजी क्षेत्र की तरह राष्न्न्ीयœत संस्थाएं आगे बढ़े तो आपको इस दिशा में कई कदम उठाने होंगे।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।