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राजीव गांधी की मृत्यु देश के लिए दुखद घटना, स्थिति स्पष् करने के लिए गृहमंत्री सदन के पटल पर रखें गवर्नर का खत

संदर्भ: वर्मा कमीशन पर 14 मई 1993 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष जी, मैं एक निवेदन आपके ज़रिये गृहमंत्री महोदय से करना चाहता हूं। कल वर्मा कमीशन पर बहस हो रही थी। उस बहस में हिस्सा लेने का न मेरा कोई पहले इरादा था और न आज भी कोई इरादा है क्योंकि उसके कुछ ऐसे पहलू हैं जिनको अगर मैं न कहूं तो अशोभनीय होगा, उचित भी नहीं होगा।

महोदय, एक माननीय सदस्य ने गृहमंत्री जी से निवेदन किया है कि वे दो पूर्व प्रधानमंत्रियों विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर को दोषी ठहराएंगे। तो मैं चाहूंगा कि गृहमंत्री जी जो उस समय के कागजात हैं, उनको सदन के सामने और देश के सामने रखें, मैं अपनी ओर से उनको रखना नहीं चाहता हूं। मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि उस समय जो भी सतर्कता बरती जा सकती थी, बरती गयी। 13-14 सिक्योरिटी के लोग मारे गए। दुनिया के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी वीआईपी. की सुरक्षा में इतने सुरक्षाकर्मी मारे गये हैं। लेकिन दो दिन पहले का जो गवर्नर का खत है, जो आई.बी. की रिपोर्ट है। ए.आई.सी.सी. की जो भूमिका है। मीटिंग के बारे में जो सूचनाएं हैं, वे रखें, क्योंकि अगर ये नहीं रखी जाएगी तो उन लोगों को इस तरह के अनर्गल प्रचार करने का एक अवसर मिलेगा।

मैं गृहमंत्री जी से जरूर चाहूंगा कि या तो वे अपने सदस्यों को नियंत्रित करें या उन बातों को सदन के सामने और देश के सामने रखने की क्रपा करें क्योंकि मैं ऐसा समझता हूं कि मेरे लिए यह उचित नहीं होगा कि उन दिनों की याद दिलाऊं। उन पत्रों को लोगों के सामने रखूं जो मैंने लिखे थे, जो उस समय के गवर्नर ने लिखा था, जो बातें हुई थी, वह बातें अशोभनीय होंगी। लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी चाहती है और उसके सदस्य चाहते हैं तो वह सम्पूर्ण दस्तावेज सामने रखें। मैं आपके बताऊं कि राजीव गांधी की मृत्यु देश के लिए एक दुःखद घटना है और मैं यह भी कहूंगा कि सुरक्षा की कमी हुई थी, तभी वे मरे, लेकिन सुरक्षा की कमी सरकार की ओर से नहीं थी, उसके कारण अनेक थे। वी.पी. सिंह जी पर लांछन लगाया गया, उस समय कानून नहीं था कि एस.पी.जी. लगाई जाए। कम-से-कम हमसे किसी ने नहीं कहा कि एसपी.जी. का कानून बदला जाए। इन सवालों पर गृहमंत्री को अपने भाषण में सफाई देनी चाहिए, नहीं तो माननीय सदस्यों का अनुरोध स्वीकार करके सारे तथ्य सदन के सामने रखने चाहिए।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।