केवल इस पालयामेंट के लिए नहीं, बल्कि मुल्क की सियासत के लिए एक नयी शुरुआत
संदर्भ: पी.एम. सईद के लोकसभा उपाध्यक्ष चुने जाने पर 17 दिसम्बर 1998 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर
मोहतरम सदर, मैं पहली बार किसी को इस सदन में मुबारकबाद देने के लिए खड़ा हुआ हूं। मैं पी.एम. सईद जी को पहले दिन से जानता हूं, उस समय मैं भी कांग्रेस पार्टी में था। कांग्रेस पार्टी के कुछ नये सदस्यों ने कुछ बुनियादी मुद्दों पर सवाल उठाये थे। उस समय पी.एम. सईद सबसे कम उम्र के मेम्बर थे जिन्होंने उसमें हिस्सा लिया था। उन्होंने लक्षद्वीप में, सर्मुी के बीच में, आदिवासी इलाके में जन्म लिया। उन्होंने बेबसी को, पीड़ा को नज़दीक से देखा है। उन्होंने कुदरत के रूप को भी देखा है और उसके खिलाफ जद्दोजहद की है। इंसानियत को बुलन्दियों पर ले जाने के लिए उनके दिल में एक तमन्ना है और वह तमन्ना उन्हें सियासत में लायी तथा उस तमन्ना को उन्होंने हमेशा ज़ाहिर किया। उनके दिल में एक गहराई है, जिस गहराई से इंसानियत को बुलंदियों पर ले जाने के लिए वह हमेशा कोशिश करते रहे। विवेकानन्द जी ने एक बार कहा था कि इंसान ने अपने को मज़हब के छोटे-छोटे दायरों में, कुओं मे बांट लिया है। उन्होंने इंसानियत के सर्मुी को नहीं पहचाना है। वह केवल सर्मुी की गोद में पले नहीं, उन्होंने इंसानियत के बड़े सर्मुी को पहचाना है और इसीलिए उन्होंने इस तरह के समाज के लिए समता के समाज के लिए बार-बार कोशिश की। उन्होंने हरदम अपने स्वभाव, तहजीब और तरबीयत से लोगों के दिलों को जीता। उनका चेहरा बड़ा मासूम है, कभी-कभी उनकी मुस्कराहट लोगों को धोखा देती है। लोग समझते हैं कि उनमें अल्हड़पन, बालकपन है लेकिन उनके दिल में पुख्ता इरादा है, जिस पुख्ते इरादे से समाज को बदलने की नीयत से वह हरदम जद्दोजहद करते रहे हैं।
महोदय, मुझे इस बात से खुशी है कि आज जब चारों तरफ तारीकी नज़र आ रही है, जम्हूरियत में और खासकर पालयामेंट में हम एक-दूसरे के खिलाफ ही सब कुछ देख रहे हैं, उस समय उन्होंने एक नयी शुरुआत की है। उनकी खूबियों की वजह से आज सारे हाउस ने उनको एक राय से चुना है, यह केवल इस पालयामेंट के लिए नहीं बल्कि इस मुल्क की सियासत के लिए भी एक नयी शुरुआत है। मुझे लगता है कि उन्होंने इस तारीकी में जो एक नया चिराग जलाया है, यह चिराग हमेशा बुलन्द रहेगा। उन्होंने हर समय, चाहे वह किसी ओहदे पर हों, वहां उसे बखूबी अंजाम दिया। मुझे उम्मीद है कि यह चिराग हमेशा रोशन रहेगा, जहां भी जायेगा अपनी रोशनी बिखेरेगा, किसी चिराग का अपना मकां नहीं होता।