खाने की वस्तुओं के लिए दूसरे पर निर्भर देशों की आज़ादी बहुत दिनों तक टिकी नहीं रह सकती
संदर्भ: किसानों को मिलने वाली सब्सिडी कम करने के मामले पर 6 मई 1997 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर
अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय ने अभी थोड़ी देर पहले दुनिया के देशों की क्रषि के बारे में बात की है। क्या मैं उनसे यह जान सकता हूं कि उनको यह जानकारी है कि दुनिया के सारे विकसित देशों जिनको हम औद्योगिक देश कहते हैं, उन्होंने अपने खाने के अनाज को सुरक्षित रखने के लिए हर तरह की सुविधाएं दी हैं और वे बड़ी-से-बड़ी सब्सिडी देकर अपने खाने की वस्तुओं को सुरक्षित रखते हैं क्योंकि दुनिया में माना जाता है कि जो देश खाने की वस्तुओं के लिए दूसरे पर निर्भर हैं, उसकी आज़ादी भी बहुत दिनों तक टिकी नहीं रह सकती। अपने देश में सब्सिडी देने की बात हम करते हैं तो एक विदेशी प्रोफेसर के सामने हमारे वित्तमंत्री कहते हैं कि हम सब्सिडी कम करने वाले हैं। आप सब्सिडी देने की बात करते हैं और वित्तमंत्री सब्सिडी कम करने की बात करते हैं। जो कुछ आज गेहूं के किसानों के साथ हो रहा है, उसका नतीजा यह होगा कि किसान दूसरी चीजों को पैदा करने के लिए जाएगा। आप ही नहीं दूसरे विभाग भी यहां पर फूल पैदा करने के लिए, एक्सपोर्ट करने के लिए बढ़ावा दे रहे है। बड़ी संख्या में किसान, कर्नल राव राम सिंह बताएंगे कि हरियाणा में किसान फूल पैदा कर रहे हैं और पंजाब में किसान दूसरी वस्तुएं पैदा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में लोगों ने आलू पैदा करना शुरू कर दिया है। फैजाबाद के मेरे एक मित्र बता रहे थे कि वहां इतना आलू पैदा हुआ है कि उसको कोई पूछने वाला नहीं है। क्रषि मंत्री एक बात बोलेंगे, वित्तमंत्री दूसरी और बागवानी के मंत्री कोई तीसरी बात बोलेंगे। क्या आपकी कोई राष्ट्रीय नीति है और अगर राष्ट्रीय नीति है तो आप कैसे सब्सिडी दे पायेंगे? वित्तमंत्री सब्सिडी कम करने का आश्वासन पालयामेंट में न देकर बाहर किसी विदेशी प्रोफेसर के सामने देते हैं, जबकि संसद चल रही है।