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संदर्भ: सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव की पिटाई मामले पर 10 दिसम्बर 2002 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर

संदर्भ: सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव की पिटाई मामले पर 10 दिसम्बर 2002 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष जी, मैं देवेन्द्र प्रसाद यादव को विद्यार्थी जीवन से जानता हूं। जयप्रकाश जी के आंदोलन में इनकी जो भूमिका रही है, मैं उससे परिचित हूं। मैं कल यहां नहीं था, जो कुछ घटना घटी है, उसे मैंने समाचार-पत्रों से देखा। आज देवेगौड़ा जी ने बताया, वह और दुःखद था। लेकिन सबसे दुःखद बात यह है कि जब इस विषय पर इस सदन में चर्चा हो रही है, उस समय भी दिल्ली की पुलिस अपनी चाल से बाज नहीं आ रही है और लोगों को गिर∂तार किया जा रहा है। शायद किसी भी संसद के लिए यह पहली घटना होगी, जब अध्यक्ष महोदय, आपके नेतृत्व में सदन उस विषय की चर्चा कर रहा है, कम-से-कम उस समय सरकार के इन अधिकारियों को, पुलिस के लोगों को थोड़ा संयम बरतना चाहिए। अगर वह संयम नहीं बरत रही है तो मैं आपके ज़रिये आडवाणी जी से निवेदन करूंगा कि ऐसे अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए कुछ सोचें। मैं माननीय गृह मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि राममनोहर लोहिया अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट है और उस रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि उनको चोटें आयी हैं। चोटें अचानक देवलोक से तो आयी नहीं होंगी। चोटें किसी ने लगायी होंगी, तो आयी हैं। इन्हें देखें। अध्यक्ष जी, यह सवाल केवल किसी संसद की अवमानना का नहीं है, सवाल किसी पर लाठीचार्ज करने का नहीं है, सवाल संसद की गरिमा को नीचे गिराने का है। अगर पुलिस अधिकारी इस हद तक जा सकते हैं, तो मैं नहीं जानता यह जनतंत्र रहेगा या नहीं रहेगा। इस मामले को इस गम्भीरता से लेते हुए इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि गृह मंत्री जी इस मामले को अधिक गम्भीरता से लेंगे।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।