विश्वनाथ सरकार अक्षम व निकम्मी सरकार थी, मेरे भाषण में कुछ भी असंसदीय या अनुपयुक्त नही
संदर्भ: लोकसभा में 11 जनवरी, 1991 को श्री चंद्रशेखर
अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपके समक्ष आपके विचारार्थ कल सदन में सभी सदस्यों के सामने दिये गये भाषण को प्रस्तुत करना चाहूंगा। किसी भी सदस्य ने यह नहीं कहा कि भाषण में कुछ आपत्तिजनक या अनुपयुक्त है। लोकसभा में यह एक नयी परम्परा स्थापित की जा रही है कि भाषण को बाद में उद्धृत किया जा रहा है और यह बताया जा रहा है कि भाषण कैसे दिया जाना चाहिए था? सदन में विपक्ष के नेता ने कहा कि यह एक अशोभनीय टिप्पणी थी।
मैं उनके विचार पर बहस नहीं करना चाहता हूं लेकिन प्रत्येक वक्ता के पास समान भाषा में बोलने की समान योग्यता नहीं होती है जैसी कि विपक्ष के नेता के पास है। मैंने अपने भाषण में कुछ भी असंसदीय, अनुपयुक्त नहीं कहा था। मैंने केवल इतना कहा था कि मैंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का एक वक्तव्य देखा है और उसी के आधार पर मैंने यह वक्तव्य दिया। यह अच्छा होता अगर विपक्ष के नेता ने इसका संदर्भ भी दिया होता।
मेरे एक मित्र कुंडू ने कहा कि मुझे यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि अमुक राज्य सरकार संतोषजनक रूप से कार्य नहीं कर रही है। मेरी समझ में प्रधानमंत्री अगर यह समझता है कि कार्य ठीक नहीं हो रहा है तो उसे इस विषय में प्रमाणपत्र देने की कोई बाध्यता नहीं है। यह कहना मेरा अधिकार ही नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी भी है कि अमुक राज्य सरकार ठीक कार्य नहीं कर रही है।
मैं अपने मित्र श्र्री इन्द्रजीत गुप्त को आश्वासन देता हूं कि मेरा धमकी देने का कोई इरादा नहीं है। मैं झगड़ा नहीं चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि मेल-मिलाप की भावना होनी चाहिए।
अपने मित्र प्रो. मधु दंडवते के लिए मेरे ॉदय में बहुत प्रेम और सम्मान है। लेकिन उन्होंने समान भावना प्रकट नहीं की है। यही मुझे कहना है। इसी सदन में एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार यह कहा गया है कि यह सरकार ए.आई.ए.डी.एम. के द्वारा चलायी जा रही है। उस वक्त आपने औचित्य की बात नहीं की थी। मैं सरकार चला रहा हूं और इस बारे में अगर आपको कोई संदेह है तो उसे शीघ्र दूर किया जा सकता है, लेकिन उस समय मेरे मित्र मधु दंडवते के मस्तिष्क में औचित्य का प्रश्न नहीं कौंधा। मधु दंडवते जी मैं आपकी तरह से समवेत स्वरों मे इसी सदन में लगाए गए अभ्यारोपणों के उत्तर में कठोर भाषा का प्रयोग नहीं करूंगा। लेकिन आपको इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।
मेरे मित्र श्री जार्ज फर्नान्डीज ने इस स्थिति को स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि वह तमिलनाडु सरकार के बारे में चिंतित नहीं है। वह विश्वनाथ सरकार को दिए गए प्रमाणपत्र के बारे में चिंतित हैं, जिसका मैं भी एक हिस्सा था। अगर उनकी यह आपत्ति है तो मेरा यह कहना है कि वह सरकार बिल्कुल अक्षम और निकम्मी सरकार थी और मैं यह सोच के शमंदा हूं कि मैं भी उसमें शामिल था।