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बनाएंगे सम्पूर्ण प्रक्रिया को सरल, सुनिश्चित करेंगे कि समय से मिले लघु उद्यमों को मदद

संदर्भ: लघु उद्योगों की मदद प्रक्रिया के सवाल पर 4 मार्च 1991 को प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की बात से सहमत हूं कि यह प्रक्रिया बहुत कठिन रही है। हमने पहले ही उद्योग मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कह दिया है। मैं उनकी इस बात से भी सहमत हूं कि छोटे और लघु उद्योगों को विशेष सुविधाएं दी जाएं और उन पर विशेष रूप से विचार किया जाए। मैं सम्मानीय सदन को आश्वासन देता हूं कि शीघ्र ही हम सम्पूर्ण प्रक्रिया को सरल बना देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि लघु उद्योगों को समय पर मदद मिले। अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो कहा, उस कठिनाई की जानकारी हमको है, लेकिन हमारी भी कुछ अपनी कठिनाई है। वह कठिनाई यह है कि जब औद्योगिक नीति की घोषणा हुई थी, तब यह पूरी तरह से घोषित नहीं हुई थी और उसके ऊपर पहले हम विचार करना चाहते हैं। अभी हमारे माननीय सदस्य जी बंगाल से आते हैं, उन्होंने कुछ सवाल उठाए। यह केवल बैंको की नीति का सवाल नहीं है। हमारी कोई इन्वेस्टमेंट पालिसी पिछले दिनों नहीं रही है, इसकी वजह से जगह-जगह ऐसे यूनिट लग गए हैं, जो अब चलते नहीं है। इसलिए सरकार देख रही है कि इन्वेस्टमेंट पालिसी और इंडस्ट्रियल पालिसी और उसके साथ फाइनेन्शियल सपोर्ट पालिसी, इस सबका कोआडनेशन करके कोई नीति निर्धारित की जाएगी। जहां तक छोटे उद्योगों का सवाल है, इस पर कोई बात नहीं है, लेकिन केवल एक पहलू पर घोषणा करके नोटीफिकेशन कर दिया जाए और बाकी सवाल पहले जैसे अनदेखे छोड़ दिए जाएं तो यह सही नहीं होगा।

समस्या यह है कि निवेश नीति और औद्योगिक नीति के बारे में हमें समन्वित रूप से विचार करना पड़ेगा और यह भी विचार करना है कि किनको कितनी आर्थिक सहायता दी जाए। एक समस्या यह है। दूसरी समस्या यह है कि हमें लघु और छोटे उद्यमों का विस्तार से अध्ययन करना होगा और बड़े उद्यमों का भी जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं और जो सक्षम नहीं हैं, उनका भी अध्ययन करना होगा। इसमें कुछ समय लगेगा क्योंकि कई वर्षों का काम निपटाना है। पांच दिनों में हम निर्णय नहीं ले सकते। अस्थायी निर्णय लिए जा सकते हैं किन्तु, वे हमें उसी परेशानी में डाल देंगे, जिनका आज हम सामना कर रहे हैं।

मैं माननीय सदस्य से सहमत हूं कि कई जटिलताएं, उन विशेष नीतियों के कारण पैदा हुई हैं, जिनका उन्होंने ज़िक्र किया है। मैं नही कहता, क्योंकि मैं उस पर कुछ कहना नहीं चाहता, किन्तु ये समस्याएं कई वर्षों से चली आ रही हैं। ये बिना सुविचारित नीतियों के कारण पैदा हुई हैं। इसी कारण हमें तुरन्त किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में मुश्किलें आती हैं, क्योंकि ये सभी चीजें परस्पर सम्बह् हैं। अगर हमें एक सक्षम नीति पर वक्तव्य देना है, तो उसमें उस पूरी समस्या पर विचार करना चाहिए, जो भविष्य में मुश्किल पैदा करेगी।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।