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सती प्रथा का समर्थन करने वाले किसी व्यक्ति का इस सरकार से कोई सम्बंध नहीं रहेगा

संदर्भ: सती प्रथा के कथित समर्थन के मामले पर 27 दिसम्बर 1990 को लोकसभा में प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष महोदय, सुबह श्री कल्याण सिंह कालवी के सम्बंध में कुछ माननीय सदस्यों ने कुछ मुद्दे उठाए थे। उस समय भी मैंने कुछ स्पष्टीकरण देना चाहा लेकिन दुर्भाग्यवश हम एक-दूसरे की बात नहीं सुन पाए। जब तीन या चार वर्षों पूर्व यह मुद्दा उठाया गया था, इस पर राजस्थान विधानसभा में भी वाद-विवाद किया गया था और तत्कालीन जनता पार्टी में भी इसकी चर्चा की गयी थी। श्री कालवी का वक्तव्य कि उन्होंने सती प्रथा का समर्थन कभी नहीं किया है, राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही वृत्तांत में सम्मिलित है। उन्होंने कहा था कि राजस्थान के लोग बुह्जिीवी हैं, वे सती प्रथा को फिर से शुरू किया जाना कभी पसंद नहीं करेंगे। एक जनसभा में भी उन्होंने यह वक्तव्य दिया था।

आज सुबह इस प्रतिष्ठित सभा में श्री कालवी यह वक्तव्य देने के लिए तैयार थे कि वे सती प्रथा का समर्थन नहीं करते हैं। मैं माननीय सदस्यों को यह स्पष् कर देना चाहता हूं कि कोई भी सती प्रथा का समर्थन नहीं करेगा। ऐसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को इस सरकार में जगह नहीं मिलेगी। मैं सभा को यह आश्वासन दे सकता हूं। श्री कालवी ने उस समय की स्थिति स्पष् कर दी थी और आज भी वे उसी बात पर डटे हुए हैं। इसे लेकर कुछ मतान्तर भी हैं जिन्हें मैं स्पष् कर देना चाहता हूं। झुनझुनु में एक सती मन्दिर है जो कि 400 या 500 वर्ष पुराना है। जब कुछ लोगों ने उस मन्दिर को गिरा देने की मांग की तो न सिर्फ श्री कालवी ने बल्कि अनेक अन्य लोगों ने इसका विरोध किया था। इसलिए मैं नहीं चाहता हूं कि माननीय सदस्यों को ऐसा कुछ कहना चाहिए जिससे कुछ लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचे। अन्यथा सती प्रथा की निंदा सभी को करनी चाहिए।

अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं यह आश्वासन देता हूं कि सती प्रथा का समर्थन करने पर श्री कालवी या अन्य किसी भी व्यक्ति का इस सरकार से कोई सम्बंध नहीं होगा।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।