भाषा के आधार पर किसी समुदाय को मतदाता नहीं बनाना एक गम्भीर मामला, गृहमंत्री स्पष्टीकरण दे
संदर्भ: भाषा और धर्म के आधार पर दिल्ली में भेदभाव के मामले पर 30 मार्च 1993 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर
अध्यक्ष महोदय, एक बहुत ही गम्भीर मामला उठाया गया है और समूचे देश पर इसका प्रभाव पड़ेगा। बहुत से सदस्यों ने बहुत-सी बातें कही हैं। संसदीय कार्यों के माननीय मंत्री कहते हैं कि उनकी पार्टी का कोई भी सदस्य इसमें शामिल नहीं है, बल्कि कुछ सांप्रदायिक ताकतें या सांप्रदायिक तत्व यह सब कर रहे हैं। हम उनसे कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में नहीं बल्कि सरकार के सदस्य के रूप में पूछ रहे हैं क्योंकि आज चर्चा में यह मामला नहीं उठाया गया है। ये दो अलग-अलग मामले हैं।
अध्यक्ष महोदय, उन्हें मतदाता न बनाना एक गम्भीर मामला है, लेकिन इतना गम्भीर नहीं है जितना कि यह, देश में एक ऐसी भावना फैलती जा रही है कि किसी एक भाषा विशेष से सम्बन्धित लोगों के साथ देश की राजधानी में भेदभाव किया जा रहा है। मैं नहीं सोचता कि वे इसे चुनौती दे पाएंगे। लेकिन सरकार को इस प्रकार की भावना को जितनी जल्दी हो सके दूर करना चाहिए। मेरे विचार से यदि यह सारी कार्यवाही प्रेस में जाती है और यदि कल सरकार की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता कि वह शीघ्र ही कोई कार्यवाही कर रही है और पुलिस को एक विशेष भाषाई ग्रुप को तंग करने से रोका नहीं जाता तो स्थिति बिगड़ जाएगी।
महोदय, न केवल यह मुद्दा है बल्कि प्रत्येक मुद्दे पर इस प्रकार वक्तव्य दिए जाते हैं कि जैसे हम मामले को टालना चाहते हैं। हम वास्तविकताओं का सामना नहीं करना चाहते। श्री जार्ज फर्नान्डीज ने कुछ प्रश्न उठाए थे। मेरे मित्र मनमोहन सिंह ने कहा था कि वह इसे वाणिज्य मंत्री को भेजेंगे। वाणिज्य मंत्री यहां क्यों नहीं आते और कहते कि वह ऐसा कर रहे हैं। अध्यक्ष महोदय हर बार आप यह कहते हो कि आप नियमों के तहत नोटिस देते हैं। लेकिन सरकार ऐसे विषयों पर स्पष्टीकरण क्यों नहीं देती जो राष्ट्र के हित में है तथा जहां राष्ट्र की इज्जत का सवाल है? क्या सरकार का यह कर्क्राव्य नहीं है कि वह गम्भीर विषयों को स्पष् करे? अतः गृहमंत्री को सदन में आना चाहिए तथा बताना चाहिए कि दिल्ली में बंगलादेशी लोगों के बारे में क्या नीति अपनाई जा रही है।