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परियोजना अतिमहत्वपूर्ण, इसमें देर उचित नहीं, इसलिए राष्न्न्हित में हुआ स्थल चयन का निर्णय

संदर्भ: 4 मार्च 1991 को लोकसभा में राष्ट्रीय चांदमारी क्षेत्र बलियापाल के स्थान परिवर्तन पर प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष महोदय, यह सत्य है कि स्थानीय लोगों ने कुछ विरोध किया है। यह भी सत्य है कि इसमें एक मानवीय समस्या निहित है और यह मानवीय समस्या काफी गम्भीर है। सिर्फ इसी कारण के भारत सरकार स्थान का विकल्प तलाश रही है। ग्यारह स्थानों का सुझाव था पर हर स्थान पर कुछ समस्याएं थीं। इसीलिए सरकार कोई अन्य स्थान ढूंढ़ने में सफल नहीं हो पायी। इस प्रश्न पर ध्यान नहीं देने का कोई प्रश्न ही नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि बहुत पहले निर्णय ले लिया गया था। इस परियोजना पर बहुत सा धन खर्च किया गया है। देश के विकास के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण है। अतः सरकार सदन को स्पष् रूप से आश्वासन देने की स्थिति में नहीं है कि क्या हम स्थान को बदलने में समर्थ हो पाएंगे।

अध्यक्ष महोदय, मैंने सदन में बताया था कि ऐसा नहीं है कि इस मामले पर ध्यान नहीं दिया गया है, लेकिन समस्या यह है कि हम स्थिति की तुलना विश्व के अन्य देशों से नहीं कर सकते क्योंकि उन देशों में अन्य आधार थे। यह स्थान काफी सोच-विचार के बाद और आवश्यक जांच पड़ताल के बाद चुना गया था। मैं विस्तार में नहीं जाऊंगा कि किसने सहमति दी है, पूर्व सरकार भी, जो जनता दल सरकार थी, ने बलियापाल में स्थान को स्वीक्रति दी थी, लेकिन माननीय सदस्य ने अभी बताया है कि इससे एक लाख से अधिक लोग प्रभावित होंगे और रिपोर्ट के अनुसार केवल 41,000 प्रभावित होंगे, लेकिन यह संख्या भी काफी है। मैं नहीं जानता कि क्या कोई वैकल्पिक स्थल संभव होगा। हम यह बताने में समर्थ नहीं हैं क्योंकि पिछले दो या तीन वर्षों से सरकार इसका विस्तार से अध्ययन कर रही है और जैसा कि माननीय सदस्य जानते हैं कि ग्यारह स्थानों का प्रस्ताव रखा गया था।

अध्यक्ष महोदय, मैं विस्तार में नहीं बता सकता कि यह स्थान उपयुक्त क्यों हैं, यह न केवल उपग्रह छोड़ने के लिए उपयुक्त है बल्कि अन्य बातें भी हैं जिन पर विचार किया गया है।

अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा था कि अन्तिम निर्णय हो चुका था और इसे पूर्व सरकार द्वारा लिया गया था। प्रश्न यह है कि इस परियोजना को किसी अन्य स्थान पर ले जाने के लिए कतिपय सुझाव हैं। अतः हमने अन्य स्थानों को ढूंढने का प्रयास किया है, हम इसे ढंूढने में समर्थ नहीं हो पाए हैं। जब तक हम इसे ढूंढ नहीं पाते, तब तक यह निर्णय अन्तिम है।

महोदय, जब मैंने कहा था कि इसकी समीक्षा की जानी है तो मैंने उन्हें बताया था कि जिन 11 अन्य स्थानों का सुझाव दिया गया था, वह स्थान उपयुक्त नहीं थे। यह बहुत महत्वपूर्ण परियोजना है और हम इस परियोजना में देरी नहीं कर सकते। हम जानते हैं कि उस क्षेत्र में लोगों की कतिपय कठिनाइयां हैं। हमें देखना है कि उनकी कठिनाइयों पर ध्यान दिया जाए लेकिन यदि माननीय मंत्री कुछ उपयोगी सुझाव देते हैं तो मैं इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। इस समय मैं कोई आश्चर्यजनक परिवर्तन नहीं कर सकता।

महोदय, यह वैयक्तिक रूप से पसंद करने या पसंद नहीं करने का मामला नहीं है। मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता कि कोई क्या चाहता है? यह राष्ट्रीय मामला है और इसका निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है न कि व्यक्तिगत रूप से। चाहे कोई भी प्रधानमंत्री थे या कोई भी मुख्यमंत्री थेऋ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और मैं यह नहीं कहूंगा कि इस मामले में व्यक्तिगत रूप से क्या रवैया रहा होगा, यह निर्णय उन पर निर्भर है कि उनका रवैया क्या था और उन्होंने इसे क्यों बदला है? मेरी सरकार ने राष्ट्र के हित में निर्णय लिया है और इसकी ज़िम्मेदारी मैं लेता हूं।

अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का यह कहना सही है कि हम वैकल्पिक स्थान ढूंढ नहीं पाए हैं। इस क्षेत्र के लोगों की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने पुनर्वास के लिए 17 करोड़ रुपये मंज़ूर किए हैं। 14 करोड़ रुपये पहले ही, उड़ीसा सरकार को पुनर्वास कार्यों के लिए दे दिए गए हैं। औद्योगिक स्वरूप की 14 अन्य परियोजनाओं पर कार्य आरम्भ किया जा रहा है। अगर माननीय मंत्री चाहें, तो मैं इसे पढ़ सकता हूं, लेकिन इससे सभा का समय ही नष् होगा। इस क्षेत्र में लोगों के पुनर्वास के लिए और उनकी मुश्किलों को कम करने के लिए 14 औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए जा रहे हैं।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।