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बजट प्रावधान के बगैर वित्तीय निहितार्थ सम्बंधी वायदे सदन और देश के लिए कोई अर्थ नहीं रखत

संदर्भ: आंगनबाड़ी श्रमिकों के मामले पर लोकसभा में प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार द्वारा किए गए वायदे के बारे में मैं कोई वक्तव्य नहीं देना चाहता। बिना किसी बजट सम्बंधी प्रावधान के वित्तीय निहितार्थ सम्बंधी वायदे इस सदन और देश के लिए कोई अर्थ नहीं रखते। किन्तु मैं माननीय सदस्य से अवश्य सहमत हूं कि आंगनबाड़ी कर्मचारियों की स्थिति बहुत गम्भीर है। उनका ज्ञापन मुझे हाल में दिया गया है। सरकार इस विषय की जांच कर रही है और हम यथासम्भव ऐसी कोशिश करेंगे जिससे उन्हें मदद मिले।

महोदय, हम समस्या के बारे में नहीं जानते, ऐसे में मेरे लिए आश्वासन देना बहुत कठिन है। यह सच है कि हमें क्षेत्रीय कर्मचारियों को प्रोत्साहन और बढ़ावा देना चाहिए, इससे कार्य में सुधार होगा। किन्तु केवल एक यही कारण नहीं है कि वे नगरों से या शहरी क्षेत्रों से सम्बन्धित होते हैं, बल्कि इसलिए वे अपने कार्य-स्थान पर उपस्थित रहते हैं। जैसा कि माननीय सदस्य ने बताया है, इन आंगनबाड़ी कर्मचारियों की स्थिति वास्तव में बहुत खराब है। इन्हें प्रोत्साहन देने के लिए कुछ करना आवश्यक है।

अध्यक्ष महोदय, इस में स्वैच्छिक संस्थाओं का स्वागत है और इस दिशा में उन्हें अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। मुझे दुःख है कि इस योजना की कार्यप्रणाली के दोष के कारण क्षेत्रीय जनसंख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। सरकार को कार्यक्रम की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के सभी पहलुओं की जांच करनी होगी।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।