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गैर घातक सामग्री ले जाने के लिए दी गई थी अमेरिकी वायुसेना को इजाज़त

संदर्भ: अमेरिकी विमानों को इजाज़त देने के सवाल पर 4 मार्च 1991 को लोकसभा में प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर


सभापति महोदय सितम्बर, 1990 में अमेरिकी वायुसेना के 120 विमानों को भारतीय वायुक्षेत्र के ऊपर से गुजरने की इजाज़त दी गई थी और जनवरी तथा फरवरी, 1991 में 136 विमानों को पारगमन तथा ईधन भरने की सुविधाएं दी गई थीं। मौजूदा संदर्भ में जनवरी और फरवरी, 1991 के दौरान अमेरिकी वायुसेना के 136 परिवहन विमानों को पारगमन और ईंधन भरने की सुविधांए दी गई थीं और लगभग 32 लाख लीटर तेल स्पलाई किया गया। इस ईधन की लागत निश्चित की जा रही है और सदन के पटल पर रख दी जाएगी।

इन परिवहन विमानों को तेल भरने की अनुमति अमेरिकी सरकार के इस स्पष् आश्वासन पर दी गई थी कि इन विमानों में सिर्फ गैर-घातक सामग्री ही ले जाई जाएगी या फिर इनका इस्तेमाल, चिकित्सा तथा आपातकालीन परिस्थितियों में कामकों को ले जाने के लिए किया जाएगा। भारत सरकार का यह निर्णय किसी भी तरह भारत की सुस्थापित गुट निरपेक्ष नीति के विपरीत नहीं है।

महोदय, इराक से भारत सरकार को कोई औपचारिक विरोध प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन सरकार ने इराक के भारत स्थित राजदूत के बयान पर गौर किया है। सरकार ने इराकी प्राधिकारियों को स्थिति स्पष् करते हुए बताया है कि इन उड़ानों का उद्देश्य युह् प्रयत्नों में मदद देना नहीं था। इसकी इजाज़त सिर्फ इसलिए दी गई थी कि उनमें गैर घातक सामग्री ही ले जाई जा सकेगी या फिर इनका इस्तेमाल मानवीय और चिकित्सा के आधार पर और आपात परिस्थितियों में कामकों को ले जाने के लिए किया जाएगा।

सभापति महोदय, 17 जनवरी, 1991 को खाड़ी युह् शुरू होने के बाद से 1,440 भारतीयों को देश प्रत्यावतत किया गया है। इसके अलावा इस तारीख के बाद से अनुमानतः लगभग 3,000 लोग सऊदी अरब से भारत के लिए रवाना हुए। इराक में इस समय करीब 130 भारतीय फंसे हुए हैं और पाँच-छह हज़ार के करीब कुवैत में। अन्य देशों में देश-प्रत्यावर्तन की प्रतीक्षा करने वाले भारतीयों की संख्या इस प्रकार है-सऊदी-अरब में 10 और ईरान में 58 जार्डन में कोई नहीं है।

सभापति महोदय, खाड़ी क्षेत्र में स्थित हमारे राजदूतावास अपने-अपने प्रत्यायन के देशों की सरकारों का सहयोग लेकर भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर सम्भव सहायता कर रहे हैं। खाड़ी क्षेत्र में हमारे राजदूतावास स्थानीय सरकारों तथा सम्बह् अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से सम्पर्क बनाये हुए हैं जिनमें ‘‘इंटरनेशनल आर्गेनाइज़ेशन आॅफ माइग्रेशन’’ भी शामिल है। भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों को वापस लाने में अब तक करीब 3 अरब रुपये खर्च किए हैं। इंटरनेशनल आर्गेनाइज़ेशन आॅफ माइग्रेशन ने जार्डन से (5 उड़ानें) और ईरान से (1 उड़ान) भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने में सहायता की है।

सभापति महोदय, कुवैत और इराक से जोर्डन जाने वाले 1,40,000 से अधिक भारतीयों की यात्रा और उनकी देखभाल का काम कुवैत, इराक और जार्डन स्थित हमारे राजदूतावासों ने किया था। इन लोगों को निकालने की व्यवस्था तथा निकासी का काम दो महीने से कम समय में पूरा कर लिया गया था। इस भारी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए हमारे कर्मचारियों ने रात-दिन काम किया था।

इन्हें निकालकर लाने के काम में, जो पूर्व-नियोजित नहीं था, शुरू-शुरू में कुछ समस्याएं आई थीं, लेकिन हमारे राजदूतावासों ने जिस तरह इन भारतीयों की देखभाल की और उनकी निकासी में जिस तरह सहायता की, उसकी स्वयं इन लौटने वालों ने और उस क्षेत्र में काम करने वाले अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी बहुत प्रशंसा की है। कुछेक शिकायतें भी मिली थीं, जिनकी ओर सम्बह् मिशनों का ध्यान तुरंत आक्रष्ट किया गया था ताकि वे इन शिकायतों को दूर करने के लिए कार्रवाई कर सकें।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।