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वर्ण-क्रमानुसार लगी थी ब्रुसेल्स में सीट, इसलिए इज़रायली मंत्री के साथ सुब्रमण्यम स्वामी का बैठना गलत नही

संदर्भ: मंत्री गलत करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। 8 जनवरी 1991 को लोकसभा में प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने मित्र जसवंत सिंह का पूरा भाषण नहीं सुना, लेकिन ये सभी मामले किसी-न-किसी अवसर पर मेरे ध्यान में लाए गए थे। मैंने इनके बारे में सुब्र२णयम स्वामी से पूछताछ की थी और अधिकतर मामलों में, या मैं कहूंगा कि सभी मामलों में उन्होंने ऐसा कोई भी वक्तव्य देने से इन्कार किया।

महोदय, मैं इसे आपके निर्णय पर छोडता हूं कि अगर इस प्रकार के गम्भीर मामले किसी सदस्य के ध्यान में आते हैं तो क्या यह आवश्यक नहीं है कि वह आपको, इस बारे में नोटिस दे और सम्बह् मंत्री या सरकार को स्थिति स्पष् करने के लिए कहा जाए? तथ्यों की जांच किये बिना ही, केवल समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर अगर सभा में ऐसे आरोप लगाए जाते हंै तो मेरे लिए स्थिति स्पष् करना अत्यंत कठिन होगा।

महोदय, मैं समाचार पत्रों की खबरों पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा, क्योंकि मुझे समाचार पत्रों की स्वतंत्रता में पूर्ण विश्वास है। लेकिन मैं सभा से कहना चाहूंगा कि ये खबरें हमेशा सही नहीं होती। कई बार मैं पढ़ता हूं कि मैं ऐसे लोगों से मिला, जिन्हें मैंने पिछले कुछ महीनों से कभी नहीं देखा। कुछ समाचार पत्रों की खबरों की स्थिति ऐसी ही है।

एक अन्य मामला जो मेरे मित्र श्री जसवंत सिंह के अनुसार गम्भीर है, यह है कि श्री सुब्रमण्यम स्वामी ब्रुसेल्स में एक इज़रायली मंत्री से मिले। तथ्य यह है कि रात्रि भोज अथावा मध्यान्ह भोजन का अवसर था, जिसमें सभी मंत्री थे और इंडिया और इज़रायल की वर्ण-क्रमानुसार साथ-साथ सीटें थी। अध्यक्ष महोदय, आप अपना निर्णय दीजिए कि अगर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में रात्रि भोज या मध्यान्ह भोज हो तो क्या मंत्री उस स्थान से उठकर बाहर चला जाए। भारत सरकार ने यह रवैया नहीं अपनाया। अध्यक्ष महोदय, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जहां तक सरकार का साझा उत्तरदायित्व है, हम इसका पालन करेंगे और अगर इस संबंध में कोई मंत्री गलती करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। अतः मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि मेरे मंत्री डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने कुछ भी गलत नहीं किया है।

अध्यक्ष महोदय, मैंने स्पष् रूप से यह कहा है कि डा. सुब्र२णयम स्वामी ने अखबार में छपी बातों से इन्कार नहीं किया है। अध्यक्ष महोदय, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जिस दिन मुझे यह महसूस होगा कि कोई मंत्री अपने उत्तरदायित्व या मंत्रिमंडल में साझे-उत्तरदायित्व का निर्वाह नहीं कर रहा है तो उस मंत्री के विरुह् यथोचित कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह नहीं करना चाहिए कि आप एक व्यक्ति को लेकर रोजाना इस विषय को उठाएं। यह उचित तरीका नहीं है।

अध्यक्ष महोदय, सामान्यतः आपके इस आदेश के बाद कि मामला समाप्त हो गया है, उस पर बहस नहीं होनी चाहिए। लेकिन आपने निर्देश दिया है तो इस पद की गरिमा को देखते हुए आप यदि चाहते हैं कि नेता विरोधी दल बोलें तो हम यह जरूर कहेंगे कि यह परम्परा के विपरीत है। लेकिन फिर भी आपकी बात मानते हुए हम लोगों को आपके निर्देश को शिरोधार्य करना चाहिए। मैं सदन से प्रार्थना करूंगा कि आपके निर्देंश को मानकर विरोधी दल के नेता की बात सुन ली जाए।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।