सरकार कन्∂यूज़न में है, इसे और बढ़ाने से लगेगा कि एक करोड़ के लिए रोज झगड़ रहे हैं संसद
संदर्भ: सांसद निधि पर 16 दिसम्बर 1996 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर
अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे मित्र ने सवाल उठाए हैं, मैं समझता हूं यह सवाल इस सदन में पांचवीं बार उठ रहा है, इससे बड़ी लज्जा की बात और कोई नहीं हो सकती। यह योजना सोच-समझकर बनी थी। माननीय बीजू पटनायक ने भी यह सवाल उठाया है। हर समय ऐसा लगता है कि सांसद भिक्षाटन कर रहे हैं। अभी मंत्री महोदय ने कहा कि उनका यह भी कर्तव्य है कि इनको प्रोटेक्ट करें। संसद सदस्यों को उनके प्रोटेक्शन की जरूरत नहीं हैं, आपके प्रोटेक्शन की जरूरत है। अगर मंत्री लोगों को यह भ्रम है कि वे लोग संसद सदस्यों को प्रोटेक्ट कर रहे हैं तो वे अपने अधिकार सीमा के बाहर सोच रहे हैं। सारी योजना का मखौल बन रहा है। खासतौर से संसद में इस प्रकार की बहस से। मैं समझता हूं इसका बहुत अच्छा असर लोगों पर नहीं पड़ता।
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करूंगा। आप एक स्पष् निर्देश इस मामले में सरकार को दें कि जो योजना बनी है, उसकी प्रतिलिपि सब सदस्यों के पास भेज दें और ज़िलाधिकारियों को भी भेज दें। यह सरकार कुछ ज़्यादा कन्∂यूज़न में है। इसे और न बढ़ाएं, अन्यथा इस सदन में यही लगेगा कि एक करोड़ रुपये के लिए संसद सदस्य रोज झगड़ा कर रहे हैं। अध्यक्ष महोदय, इस मामले में कोई संसद की समिति बनाने की ज़रूरत नहीं है, आपके पास सचिवालय है, कानून जानने वाले लोग हैं, उसकी व्याख्या करके मंत्री महोदय को भी दे दें और संसद सदस्यों को भी दे दें। बड़ी क्रपा होगी अगर जेना साहब जिलाधिकारियों को भेज दें।
जवाब में अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मै अब योजना और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को निर्देश दूंगा कि मार्ग निर्देशों को दो दिन के भीतर अंतिम रूप दिया जाए और इस महीने की 28 तारीख से पहले एक करोड़ रुपये की पूरी धनराशि उन्हें प्रदान की जाए।