सुरक्षा बल अपना कर्तव्य निर्वाह करते हैं और हम लोग अपनी चमड़ी बचाने के लिए करते हैं दोषारोपण
संदर्भ: केन्द्रीय सुरक्षा बलों के उपयोग पर 22 अगस्त 1995 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर
अध्यक्ष महोदय, यह अति दुर्भाग्य की बात है कि कुछ मंत्रियों की हर बात को भूतपूर्व सरकार पर लादने की आदत हो गई है। यह सच है कि सी.एन.एन. खाड़ी देशों और कुछ युह् स्थानों में सशस्त्र युह् का ब्यौरा प्रस्तुत कर रहा था। उसे खाड़ी क्षेत्रों में हो रही घटनाओं की निगरानी रखने का काम सौंपा गया था। मुझे नहीं पता कि यह मंत्री महोदय इसके बार में क्या कह रहे हैं। यहां हम सरकार की नीति की चर्चा कर रहे हैं न कि इसकी कि भारत सरकार के कार्यालयों में क्या-क्या संस्थापित किए गए थे। विश्व में सुरक्षा विभागों में क्या हो रहा है। हम पूरी आबादी में नेटवर्क उपलब्ध करा रहे हैं।
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री महोदय ने यह कहा कि केन्द्रीय सुरक्षा बल भेजा जाए और उसके बाद वक्तव्य दिया, उसमें सिपाही ऐसे थे या कुछ अधिकारी ऐसे थे, जो गड़बड़ पैदा करना चाहते थे, तो क्या इस सदन में उसकी बहस की जाएगी। गुरुजी (अटल बिहारी वाजपेयी) मैं आपसे ज्ञान चाहता हूं। अगर कोई राज्य सरकार सुरक्षा बल मांगे और केन्द्रीय सरकार सुरक्षा बल भेजे, तो क्या एक-एक आदमी की स्क्रुटनी होगी कि कौन क्या काम करने वाला है या नहीं? अगर मुख्यमंत्री ऐसा वक्तव्य देता है, तो वक्तव्य देने के पहले उसके पास क्या आधार है। हमारे यहां एक परम्परा बनती जाती है। मैं उस मुख्यमंत्री की नहीं कहता। केन्द्रीय सरकार के लोगों ने भी यह काम किया है और मैंने इस सदन में यह बात उठाई है। जब भी सुरक्षा बल के लोग अपना कर्तव्य निर्वाह करते हैं, तो हम लोग राजनैतिक कारणों से अपनी चमड़ी बचाने के लिए उनके ऊपर दोषारोपण करते हैं। यह प्रवृत्ति, अध्यक्ष महोदय, चलती रही तो इस देश में शंति और व्यवस्था कैसे रह सकेगी?