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जब भी कोई मरता है, हिन्दुस्तानी मरता ह

संदर्भ: 11 अगस्त 1992 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष जी, मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता। लेकिन अटल जी ने जो कहा, उसकी सफाई देना चाहता हूं। जो कुछ पंजाब में हो रहा है, उसे लेकर मुझे चिंता है। मैं आतंकवाद के विरुह् हूं। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि सुरक्षा बल और पुलिस से आतंकवाद को दबाने की कोशिश पिछले कई वर्ष से हो रही है। यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी। नतीजा वही होगा जो आज है। मैं यह बात बार-बार कहता हूं कि मौत-मौत है, चाहे वह पुलिस की गोली से हो या चाहे आतंकवादी की गोली से और जब कोई मरता है तो एक हिन्दुस्तानी मरता है, उस पर चिंता मेरी बराबर की चिंता है।

अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि जो सुरक्षा बल काम कर रहे हैं, उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए। वे अपने कर्तव्यका पालन कर रहे हैं। हम सुरक्षा बल के भरोसे के बिना कोई नीति-निर्धारण कर समस्या के मूल में गये तो इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। यह बात मैंने पहले भी कही है और आज भी कह रहा हूं।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।