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पानी की कमी पूरे राष्ट्र की गम्भीर समस्या

संदर्भ: 4 मई 1992 को लोकसभा में श्री चंद्रशेखर


अध्यक्ष जी, माननीय सदस्यों ने जो सवाल यहां उठाया है, वह अत्यंत गम्भीर है। केवल महाराष्ट्र में ही हालत बहुत खराब नहीं है, सात राज्यों में पीने के पानी का अभाव है। दुर्भाग्यवश मौसम विशेषज्ञों ने कहा है कि अगला मौसम हम लोगों के लिए बहुत हितकर होने वाला नहीं है। ऐसा हो सकता है कि अगले एक-दो महीनों में और लोग प्यास से मरने लगे क्योंकि पानी की भारी कमी है और पानी की कमी से महामारियां होंगी। इसलिए तुरंत कोई योजना, आपातकालीन योजना बनाने की आवश्यकता है। अध्यक्ष जी, यह सवाल केवल बयान देने का ही नहीं है, मई महीने में अगर इतनी बुरी हालत है तो जून आते-आते दो महीनों में क्या होगा? केवल यह सवाल उठ गया, यही नहीं होना चाहिए। सरकार इस पर तुरंत अपने विशेषज्ञों को बुलाकर कोई आपातकालीन योजना बनाएं। एक-एक जिले को 10 करोड़ रुपया देना तो उसके लिए सम्भव नहीं है, लेकिन एक ऐसी योजना अवश्य बननी चाहिए, जिससे पीने के पानी की कमी को रोका जा सके और उससे जनित अगर कोई बीमारियां होती हैं तो उनकी ओर ध्यान दिया जाए। पूरे राष्ट्र के लिए यह गम्भीर मामला है। इससे राष्ट्र एक बड़े संकट में पड़ सकता है।


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चंद्रशेखर जी

राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।