अध्यक्ष जी, श्री गुजराल जी देश के प्रधानमंत्री चुने गये। वह मेरे पुराने मित्र हैं, राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, उनमें सूझ-बूझ है। मैं उनको बधाई देता हूं और मेरी शुभकामनाएं हैं कि वह देश को नयी दिशा में ले जाने का प्रयास करें। मुझे उनसे बड़ी आशाएं थीं और हैं, लेकिन आज सवेरे जब उनका वक्तव्य पढ़ा तो मुझे थोड़ी निराशा हुई। उन्होंने अपने भाषण के प्रारम्भ में आज़ादी के दिनों की याद दिलायी। जेल के सीखचों में उन्होंने जो अनुभव किया था, उसकी याद दिलाई, पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी की याद दिलाई। जिन लोगों ने शहादत दी है, उनकी कुर्बानी की याद दिलाई और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ग...
Read Moreराष्ट्रपुरुष चंद्रशेखर संसद में दो टूक भाग २ लोकसभा
सभापति जी, मैं इस विषय पर बोलना नहीं चाहता था लेकिन चूंकि नाम आया तो केवल दो शब्द कहना चाहता हूं। एशियन डेवलपमेंट बैंक की कॉपी मुझे कुछ दिनों पहले मिली थी। 20 अप्रैल को मैंने माननीय वित्त मंत्री को खत लिखा। उसकी प्रतिलिपि मैंने प्रधानमंत्री जी को भेजी, स्पीकर साहब को भेजी और 20 अप्रैल से कल तक मैं इंतजार करता रहा कि कम-से-कम, कोई न कोई उत्तर वहां से आएगा। पत्र की सूचना भी मुझको कल तक नहीं मिली। कल जब कुछ मित्रों ने राज्यसभा में सवाल उठा दिया तब मैंने सदन के कुछ सदस्यों को, जिसमें श्री जसवंत सिंह, सोमनाथ चटर्जी, जार्ज फर्नान्डीज जी, अटल बिहारी वाजपेयी जी हैं, उस पत्र की प्रतिलि...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बहुत दुःखद घटना की ओर आपका ध्यान आकषत करना चाहता हूं। बलिया ज़िले के बासडीह कस्बे के 12 गरीब लोग कश्मीर में मजदूरी करने के लिए गये थे। छह तारीख की रात को वे आतंकवादियों की गोली के शिकार हुए और सूचना के अनुसार वे 12 व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हुए। आज 19 तारीख है। कश्मीर सरकार ने कोई सूचना उनके परिवार वालों को नहीं दी। कल पहली बार उनमें से कोई बचा हुआ आदमी जब बलिया पहुंचा और उसने उस परिवार के लोगों को सूचना दी, तो उन्होंने मेरे पास एक फैक्स भेजा। डिस्टिन्न्क्ट मजिस्टन्न्ेट को भी उन्होंने फैक्स से सूचना दी। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने पूरी कोशिश की, मगर वे ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मैं इसका जवाब नहीं देता, लेकिन एक अनावश्यक आरोप लगाया गया है और आरोप मेरे ऊपर होता तो जवाब नहीं देता, आरोप कांग्रेस पार्टी के ऊपर लगाया गया है। कांग्रेस पार्टी ने किसी भी समय, उसके किसी सदस्य या किसी व्यक्ति ने हम से कभी बोफोर्स के बारे में कोई चर्चा नहीं की है। अध्यक्ष महोदय, जो भी बोफोर्स के बारे में इन्क्वायरी करता है, उसको मैं सब इंस्पैक्टर ही समझता हूं, उससे अधिक नहीं समझता हूं। इसलिए जो-जो लोग उसमें अपना नाम जोड़ना चाहें, उसमें जोड़ लें, हमें कोई एतराज नहीं है। मैं दूसरी बात यह कहना चाहता हूं कि खुराना साहब मेरी साख की आप चिंता में न पड़े। बहुत दिनों से साख ...
Read Moreसभापति महोदय, मुझे दुःख के साथ आज इस बहस में हिस्सा लेने के लिए विवश होना पड़ा है। मैं नहीं चाहता था कि हमारे सामने ये सवाल उठे, लेकिन ज़िंदगी की वास्तविकता ऐसी है कि इससे हम नज़र को बंद नहीं कर सकते। हमारे मित्र साठे साहब ने जो चेतावनी दी है, यह वक़्त की चेतावनी है और समय रहते अगर हमने उसे स्वीकार नहीं किया तो हमारा भविष्य अंधेरे में पड़ जाएगा। हम ऐसा मानते हैं। मैं किसी व्यक्ति या समूह की ओर संकेत नहीं करता, लेकिन यह कहना चाहूंगा कि हजारों बरसों की सभ्यता और संस्क्रति का हमारा देश है, हमारी पुरानी तहजीब और तमद्दुन है, इतिहास की अनेक करवट हमने देखी हैं। राजनीतिक ढंग से कई बार ह...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मेरे जैसा आदमी हिस्ट्री के बारे में ज़रा नासमझ है। इतनी देर से जो बहस हो रही है, मैं नहीं समझ पाया कि यह बहस किस मुद्दे पर हो रही है, सिवाय श्री शिवराज पाटिल और मुलायम सिंह जी ने जो एक सवाल उठाया, उसमें कुछ तथ्य रखे गए, जिस पर राय देना सम्भव है लेकिन अन्य बातों पर राय देना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह मान लेना कि इतिहासकार ने कुछ लिख दिया और वह शाश्वत सत्य हो गया। मैंने इतिहास के बारे में यह धारणा न कभी पढ़ी है, न इतिहास की यह धारणा है। जो इतिहास लिखने वाले लोग हैं, वे भी समय-समय पर अपनी परिस्थितियों और समझ के अनुसार लिखते हैं। एन.सी.ई.आर.टी. की जो किताब है, मैं और किताबो...
Read Moreअध्यक्ष जी, मैं एक निवेदन आपके ज़रिये गृहमंत्री महोदय से करना चाहता हूं। कल वर्मा कमीशन पर बहस हो रही थी। उस बहस में हिस्सा लेने का न मेरा कोई पहले इरादा था और न आज भी कोई इरादा है क्योंकि उसके कुछ ऐसे पहलू हैं जिनको अगर मैं न कहूं तो अशोभनीय होगा, उचित भी नहीं होगा। महोदय, एक माननीय सदस्य ने गृहमंत्री जी से निवेदन किया है कि वे दो पूर्व प्रधानमंत्रियों विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर को दोषी ठहराएंगे। तो मैं चाहूंगा कि गृहमंत्री जी जो उस समय के कागजात हैं, उनको सदन के सामने और देश के सामने रखें, मैं अपनी ओर से उनको रखना नहीं चाहता हूं। मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि उस स...
Read Moreमहोदय, मुझे खेद है कि मैं कुछ विलम्ब से पहुंचा हूं। मैं विपक्ष के नेता का वक्तव्य नहीं सुन पाया था। इस मुद्दे को सभा में कई बार उठाया गया है और यह मुद्दा पूर्ववर्ती सभाओं में भी उठता रहा है। कुछ मित्रों ने आपत्तियां की हैं और वे आपत्तियां काफी हद तक वैध भी हैं। मुझे याद है कुछ समय पहले तक, श्री शरद यादव जो कि इस समय मंत्री हैं, इस विधेयक के विरुह् बोलने वाले सबसे ज्यादा मुखर वक्ता थे। इसे श्री लालू प्रसाद यादव और श्री मुलायम सिंह यादव ने भी उठाया था। उन्होंने क्या कहा, वह सभी जानते हैं। मेरे मित्र, सभा में हंगामा खड़ा करने वाले व्यक्ति ने कहा, ‘इसमें आशंका है’ और वास्तविक आशं...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले आपको सर्वसम्मति से चुने जाने के लिए बधाई देता हूं और विशेष रूप से इस बात के लिए बधाई देता हूं कि आपने (श्री सोमनाथ चटर्जी) इस पद को स्वीकार किया। इससे न केवल इस सदन की महत्ता बढ़ी है, बल्कि जनतंत्र की भी महत्ता बढ़ी है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जब आप सदस्य के रूप में यहां पर बैठे हुए थे, तब मैंने जो कुछ भी संसद में कहा, उसमें अधिकांश समय केवल आपकी प्रेरणा रही। आपने जब कहा कि इस विषय पर मैं बोलूं, तभी मैं बोला। मैं समझता हूं कि वह प्रेरणा देने वाला अब मेरे लिए कोई नहीं रहा, इसलिए आज भी मैं मौन ही रहना चाहता था। आज भी आप ही से मुझे प्रेरणा मिली, यह मेर...
Read Moreमोहतरम सदर, मैं पहली बार किसी को इस सदन में मुबारकबाद देने के लिए खड़ा हुआ हूं। मैं पी.एम. सईद जी को पहले दिन से जानता हूं, उस समय मैं भी कांग्रेस पार्टी में था। कांग्रेस पार्टी के कुछ नये सदस्यों ने कुछ बुनियादी मुद्दों पर सवाल उठाये थे। उस समय पी.एम. सईद सबसे कम उम्र के मेम्बर थे जिन्होंने उसमें हिस्सा लिया था। उन्होंने लक्षद्वीप में, सर्मुी के बीच में, आदिवासी इलाके में जन्म लिया। उन्होंने बेबसी को, पीड़ा को नज़दीक से देखा है। उन्होंने कुदरत के रूप को भी देखा है और उसके खिलाफ जद्दोजहद की है। इंसानियत को बुलन्दियों पर ले जाने के लिए उनके दिल में एक तमन्ना है और वह तमन्ना उन्ह...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, बीजू जी के देहावसान से भारत की राजनीति में एक रिक्तता आई है। जैसा कि नेता विरोधी दल ने कहा कि बीजू की सामथ्र्य, उनका साहस, उनके बलिदान की भावना, उनका राष्ट्र-प्रेम, नये भारत के लिए उनके मन में जो कल्पना थी, वह हम सबको प्रेरणा देती रहेगी। बीजू को मैंने विशेष तौर से इमरजेंसी के दिनों के बाद से नज़दीक से देखा था। उनमें जो ममत्व की भावना थी, लोगों को आगे बढ़ाने के लिए उत्साह देने की जो क्षमता थी, वह हमारे लिए अनुकरणीय थी। वह उम्र में मुझसे बहुत बड़े थे लेकिन बात करते समय एक सहयोगी के समान, एक सामान्य व्यक्ति के समान बात करते थे। पिछले बीस वर्षों से मुझे जब कभी मिले, एक ह...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय ने अभी थोड़ी देर पहले दुनिया के देशों की क्रषि के बारे में बात की है। क्या मैं उनसे यह जान सकता हूं कि उनको यह जानकारी है कि दुनिया के सारे विकसित देशों जिनको हम औद्योगिक देश कहते हैं, उन्होंने अपने खाने के अनाज को सुरक्षित रखने के लिए हर तरह की सुविधाएं दी हैं और वे बड़ी-से-बड़ी सब्सिडी देकर अपने खाने की वस्तुओं को सुरक्षित रखते हैं क्योंकि दुनिया में माना जाता है कि जो देश खाने की वस्तुओं के लिए दूसरे पर निर्भर हैं, उसकी आज़ादी भी बहुत दिनों तक टिकी नहीं रह सकती। अपने देश में सब्सिडी देने की बात हम करते हैं तो एक विदेशी प्रोफेसर के सामने हमारे वित...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, मेरी राय में ये दोनों बिल, दोनों विधेयक बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। एक हरिजन-आदिवासियों के सवाल से जुड़ा हुआ है और दूसरा भूमिहीनों तथा छोटे किसानों से जुड़ा हुआ है। अगर इस पर कोई दो-एक सदस्य जिन्हें अवसर दिया जाता है, वह अपनी बात कहतें हैं और उनको अवसर दिया जाता है और दोनों बिल सर्वसम्मत्ति से पास हो जाते हैं तो हमको उसको मान लेना चाहिए। मैं विरोध पक्ष के नेताओं और सदस्यों से निवेदन करूंगा कि कम-से-कम सदन को इन दोनों सवालों पर बांटना नहीं चाहिए, इन्हें लेकर विभाजन नहीं होना चाहिए। हम सब मिलकर इसको सर्वसम्मति से पास कर दें। उपाध्यक्ष महोदय, हम यह आपके ऊपर छोड़ते ...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, श्री राम नाईक ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है। यह केवल कुछेक लोगों का प्रश्न नहीं है बल्कि इसमें वह सारा समुदाय शामिल है जिनकी जीविका का आधार शताब्दियों से यह धन्धा रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार एक काल्पनिक दुनिया बसाने के चक्कर में एक आत्मघाती नीति का पालन कर रही है। मैं नहीं जानता कि यह कब अपनी नींद से जागेगी। हालांकि लोग इसे अपने-अपने कार्यों से जगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोगों और विशेषकर गरीब मछुआरों को इन बहुराष्ट्रियों का शिकार क्यों बनाया जाये? मैं नहीं समझता कि इसमें कोई उच्च प्रौद्योगिकी अथवा ऐसी कुछ महत्वपूर्ण बात है जिससे...
Read Moreअध्यक्ष जी, कल से नहीं बल्कि पिछले 15 दिनों से हम लोग सुनते आ रहे हैं कि देश चुनौतियों का सामना कर रहा है और आम सहमति की आवश्यकता है लेकिन प्रारम्भ में जो हुआ है, वह बड़ा अशोभनीय है। सहमति कहीं दिखायी नहीं पड़ती। मुझे दुःख इस बात का है कि प्राक्रतिक आपदा जैसी स्थिति पर भी हम लोग उलझ जाते हैं। उलझन सुलझ जाती अगर आप बड़ी क्रपापूर्वक एक-दो लोगों की बात सुन लेते। यह बात सही है कि आप इस पद पर नये हैं लेकिन हमारे पालयामेंटरी अफेयर्स मिनिस्टर बिल्कुल पुराने हैं। इस सदन की परम्परा को वह जानते हैं। सोमनाथ चटर्जी अगर खड़े होते हैं तो हमारे शर्माजी को नियम की बात नहीं उठानी चाहिए थी। नियम ...
Read Moreउपाध्यक्ष जी, अध्यक्ष महोदय ने कहा था कि एक अपवाद के रूप में इस सवाल पर कोई बहस करना चाहे, सवाल पूछना चाहे, स्पष्टीकरण चाहे तो उसके लिए पूरा समय दिया जाएगा। चाहे दो घंटा लगे या तीन घंटा लेकिन इस सवाल पर चर्चा पूरी तरह से होगी। मैं वहां पर उपस्थित था, इसलिए कहना अपना फर्ज समझता हूं। महोदय, श्रीमती फूलन देवी की जिस तरह से हत्या कर दी गयी है, वह हम सबके लिए अत्यंत लज्जाजनक और दुःख की बात है। संसद का अधिवेशन चलते समय संसद से एक किलोमीटर व्यास के अंदर दिन के डेढ़ बजे उनके घर के सामने हत्या हो जाये, उसके बारे में गम्भीरता से सोचने के लिए हमारे लिए ही नहीं बल्कि सारे देश के लिए दुर्भाग...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, कल से इस मुद्दे पर बहस हो रही है। हम लोग वास्तविकता को झुठलाना चाहते हैं। उससे नियम हमारे लिए सहायक नहीं होंगे। श्री जसवंत सिंह जी ने एक बात कही कि सरकार ने जो काम किया है, वह स्वाभाविक प्रवृत्ति सैंसर करने की है। मैं भी ऐसा ही समझता हूं। जो सरकार ने किया, वह किसी तरह से उचित नहीं था। विद्वान वित्तमंत्री जी, यहां नहीं है। जो कारण उन्होंने कल दिये, शायद कोई भी आदमी, जिसको संसदीय परम्परा का थोड़ा भी ज्ञान होगा तो वह उस भाषा में उसका जवाब नहीं देता। बी.जे.पी. क्या है? आईसोलेटेड है, अलग है। ये सवाल अलग हैं, राजनीतिक झगड़ा अलग है, संसद को चलाने का मामला दूसरा है। आज इस तर...
Read Moreअध्यक्ष जी, मैं देवेन्द्र प्रसाद यादव को विद्यार्थी जीवन से जानता हूं। जयप्रकाश जी के आंदोलन में इनकी जो भूमिका रही है, मैं उससे परिचित हूं। मैं कल यहां नहीं था, जो कुछ घटना घटी है, उसे मैंने समाचार-पत्रों से देखा। आज देवेगौड़ा जी ने बताया, वह और दुःखद था। लेकिन सबसे दुःखद बात यह है कि जब इस विषय पर इस सदन में चर्चा हो रही है, उस समय भी दिल्ली की पुलिस अपनी चाल से बाज नहीं आ रही है और लोगों को गिर∂तार किया जा रहा है। शायद किसी भी संसद के लिए यह पहली घटना होगी, जब अध्यक्ष महोदय, आपके नेतृत्व में सदन उस विषय की चर्चा कर रहा है, कम-से-कम उस समय सरकार के इन अधिकारियों को, पुलिस के लोगों ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मैं इस विवाद में नहीं पडूंगा कि क्या यह एक विभाजन है या दल-बदल है। मुख्य बात यह है कि यह काम उस समय हुआ जबकि सभा का सत्रकाल चल रहा है। मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या यह बात औपचारिक नहीं है कि अध्यक्ष महोदय को यह घोषणा करनी चाहिए कि एक नई पार्टी गठित की गई है, सदस्यों को उनके नये स्थान आवंटित कर दिये गये हैं या इसको एक दल-बदल या विभाजन माना गया है? जो भी बात सामने आई है, वह अध्यक्ष पीठ के माध्यम से आनी चाहिए थी। अध्यक्ष पीठ से ऐसा निर्णय आने से पहले सत्ताधारी दल को सार्वजनिक वक्तव्य देने की क्या जरूरत थी? अध्यक्ष महोदय, केवल इतना ही नहीं इससे अधिक आपत्तिजनक बात तो ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मैं इस विषय के औचित्य के बारे में एक शब्द भी नहीं कहूंगा। माननीय नेता विरोधी दल ने परम्पराओं की चर्चा की और उन्हीं परम्पराओं की याद मैं नेता विरोधी दल को दिलाना चाहूंगा। इनकी एक बात की शिकायत है कि सदस्यों को सूचना नहीं दी गयी। पहले के बारे में, पूर्व के अध्यक्ष ने जब 62 सदस्यों को अनअटैच किया था, तो माननीय विरोधी दल के नेता को मैं स्मरण दिलाने के लिए कह रहा था कि उन्होंने किसी को सूचना नहीं दी। उस समय हमारे जैसे बहुत से लोग उस रूलिंग से सहमत नहीं थे। लेकिन माननीय नेता विरोधी दल के जो सदस्य थे और हमारे इस पक्ष के सारे मित्रों ने कहा कि जो कुछ हो, इस डिफेक्शन लॉ क...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपके समक्ष आपके विचारार्थ कल सदन में सभी सदस्यों के सामने दिये गये भाषण को प्रस्तुत करना चाहूंगा। किसी भी सदस्य ने यह नहीं कहा कि भाषण में कुछ आपत्तिजनक या अनुपयुक्त है। लोकसभा में यह एक नयी परम्परा स्थापित की जा रही है कि भाषण को बाद में उद्धृत किया जा रहा है और यह बताया जा रहा है कि भाषण कैसे दिया जाना चाहिए था? सदन में विपक्ष के नेता ने कहा कि यह एक अशोभनीय टिप्पणी थी। मैं उनके विचार पर बहस नहीं करना चाहता हूं लेकिन प्रत्येक वक्ता के पास समान भाषा में बोलने की समान योग्यता नहीं होती है जैसी कि विपक्ष के नेता के पास है। मैंने अपने भाषण में क...
Read Moreअध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जिस मुद्दे को उठाया है, वह बहुत ही गम्भीर है। आपको इस पर अपनी टिप्पणी तो देनी ही चाहिए क्योंकि यदि कोई भी संसद के सदस्यों को गुंडा कहता है और कोई भी समाचार-पत्र चाहे वह कितना भी प्रख्यात क्यों न हो, इस बात को प्रकाशित करता है तो क्या इस पर आपकी टिप्पणी अपेक्षित नहीं है? अध्यक्ष जी, किसी भी सदस्य द्वारा किसी भी समाचार-पत्र में दिया गया यह एक गैर-ज़िम्मेदाराना वक्तव्य है और यदि यह प्रथा जारी रही तो मैं नही जानता कि इस सदन की मर्यादा को किस तरह से कायम रखा जा सकता है। यह कोई इस तरह का मामला नहीं है कि जिसका केवल उल्लेख कर दिया जाए। आप यह मामला तत्काल ही ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की बात से सहमत हूं कि यह प्रक्रिया बहुत कठिन रही है। हमने पहले ही उद्योग मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कह दिया है। मैं उनकी इस बात से भी सहमत हूं कि छोटे और लघु उद्योगों को विशेष सुविधाएं दी जाएं और उन पर विशेष रूप से विचार किया जाए। मैं सम्मानीय सदन को आश्वासन देता हूं कि शीघ्र ही हम सम्पूर्ण प्रक्रिया को सरल बना देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि लघु उद्योगों को समय पर मदद मिले। अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो कहा, उस कठिनाई की जानकारी हमको है, लेकिन हमारी भी कुछ अपनी कठिनाई है। वह कठिनाई यह है कि ...
Read Moreसभापति महोदय, जो अटल जी ने सवाल उठाया,यह काफी गम्भीर है। हम देखते हैं कि एक परम्परा बनती जा रही है, क्षमा कीजिएगा सभापति महोदय सब तरफ से ऐसा लगता है कि सदन को एक मजाक की जगह बनाया जा रहा है। इसमें सब लोगों को थोड़ा-बहुत कॉन्ट्रिब्यूशन है। यदि मैं कहूं कि अध्यक्ष के पद से भी वह काम नहीं हो रहा है जो सदन की गरिमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है तो गलत नहीं होगा। क्योंकि यह सवाल व्यक्तियों का नही है। हमारे मित्र रवि राय जी परेशान हैं कि अमेरिका के लोग हमारे बारे में क्या कह रहे हैं। देश का रक्षा मंत्री रात के अंधेरे में किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बन गया और सदन को खबर नहीं, सदन को कोई ...
Read Moreउपाध्यक्ष जी, फिरोजाबाद के सदस्य ने जो भावना व्यक्त की ह,ै मैं उससे अपने को जोड़ता हूं। यह राष्ट्रीय शोक का अवसर है। उन्होंने जिस पीड़ा का इज़हार किया है और जिन शब्दों में इस दुर्घटना का वर्णन किया है, वे सबका दिल दहला देने वाले हैं। मैं सरकार से एक ही निवेदन करूंगा कि उनके एक-एक शब्द क्रियान्वित करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए। मैं जानता हूँ कि कठिनाइयां हैं लेकिन उन कठिनाइयों के बावजूद भारत सरकार के पास ऐसे साधन हैं कि जो लोग मर गए हैं, उनकी लाश को सुरक्षित रखा जा सके। दुर्घटना में जो घायल हुए हैं उनका सही उपचार किया जा सके। अगर 24 या 36 घण्टे के बाद भी यह काम नहीं हुआ तो य...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, माननीय शरद यादव जी ने एक मौलिक सवाल उठाया है। हर राष्ट्र की अपनी एक परम्परा होती है, जीवन-विधि होती है। हमारे राष्ट्र में आज से नहीं, हजारों वर्षों से ग्रामीण उद्योग के ज़रिये लोग जीवनयापन करते रहे हैं और इसी आधार पर इस देश की सम्पदा भी रही है। जैसा उन्होंने कहा, चाहे वह नृत्य-संगीत हो, चाहे मूतकला हो, चाहे कालीन उद्योग हो, चाहे साड़ी बनाने का काम हो, चाहे जरी का काम हो, यह परम्परागत तरीके से कुछ परिवारों के ज़रिये होता रहा है और उसमें जो बच्चा होता है, छोटेपन से ही उसको काम सिखाया जाता है। वह कोई दूसरी जगह जाकर मजदूरी नहीं करता। अपने ही परिवार में अपने परिवार वालो...
Read Moreकेवल आरोप-प्रत्यारोप से हालात बिगड़ेंगे, मामला अत्यंत चिंताजनक, राज्य व देश के गृहमंत्री एक रिपोर्ट द
अध्यक्ष महोदय, यह बहस आधे घंटे से चल रही है। कुछ बातें राम विलास जी ने और कुछ बातें जसवंत सिंह जी ने कहीं। मामला अत्यंत चिंताजनक है। यह बात है कि जो हत्या हुई, वह नृशंस हत्या हुई लेकिन, दुःख इस बात का है कि दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं, इससे हालत और बिगडे़गी। मैं नहीं जानता हूं कि इस तरह की बहस से क्या लाभ होने वाला है। मैं, किसी की मंशा के ऊपर शंका नहीं करना चाहता। मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि राज्य के गृहमंत्री वहां गए। सी.बी.आई. को दिए हुए यह मामला एक महीना हो गया। जो सी.बी.आई. का काम करने का तरीका है, वह कोई न कोई प्रारम्भिक रिपोर्ट सरकार को दी होगी। हर राज्य में ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, सुबह श्री कल्याण सिंह कालवी के सम्बंध में कुछ माननीय सदस्यों ने कुछ मुद्दे उठाए थे। उस समय भी मैंने कुछ स्पष्टीकरण देना चाहा लेकिन दुर्भाग्यवश हम एक-दूसरे की बात नहीं सुन पाए। जब तीन या चार वर्षों पूर्व यह मुद्दा उठाया गया था, इस पर राजस्थान विधानसभा में भी वाद-विवाद किया गया था और तत्कालीन जनता पार्टी में भी इसकी चर्चा की गयी थी। श्री कालवी का वक्तव्य कि उन्होंने सती प्रथा का समर्थन कभी नहीं किया है, राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही वृत्तांत में सम्मिलित है। उन्होंने कहा था कि राजस्थान के लोग बुह्जिीवी हैं, वे सती प्रथा को फिर से शुरू किया जाना कभी पसंद ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, इस मामले में इसमें अंतरिम रिपोर्ट देना संभव नहीं है। माननीय सदस्य जानने हैं कि अधिकतर सुझाव आर्थिक सवालों से जुडे़ हुए हैं, छोटे अखबारों की संख्या पर कोई रोक नहीं है, निरंतर इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। इसलिए सरकार कोई ऐसा निर्णय नहीं लेगी जिसको पूरा न किया जा सके। इसलिए पूरी तफसील में जाए बगैर कोई अंतरिम सहायता या अंतरिम रिपोर्ट नहीं दी जा सकती। हम प्रेस की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं। माननीय सदस्यों ने कहा है कि प्रेस को और स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इसलिए मैं नहीं समझता कि यह सभी समाचार पत्र अपने हाथ में लेने का कोई प्रस्ताव है। जैसा कि मैंने पहले ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, एक बहुत ही गम्भीर मामला उठाया गया है और समूचे देश पर इसका प्रभाव पड़ेगा। बहुत से सदस्यों ने बहुत-सी बातें कही हैं। संसदीय कार्यों के माननीय मंत्री कहते हैं कि उनकी पार्टी का कोई भी सदस्य इसमें शामिल नहीं है, बल्कि कुछ सांप्रदायिक ताकतें या सांप्रदायिक तत्व यह सब कर रहे हैं। हम उनसे कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में नहीं बल्कि सरकार के सदस्य के रूप में पूछ रहे हैं क्योंकि आज चर्चा में यह मामला नहीं उठाया गया है। ये दो अलग-अलग मामले हैं। अध्यक्ष महोदय, उन्हें मतदाता न बनाना एक गम्भीर मामला है, लेकिन इतना गम्भीर नहीं है जितना कि यह, देश में एक ऐसी भावना फैलत...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, यह सत्य है कि स्थानीय लोगों ने कुछ विरोध किया है। यह भी सत्य है कि इसमें एक मानवीय समस्या निहित है और यह मानवीय समस्या काफी गम्भीर है। सिर्फ इसी कारण के भारत सरकार स्थान का विकल्प तलाश रही है। ग्यारह स्थानों का सुझाव था पर हर स्थान पर कुछ समस्याएं थीं। इसीलिए सरकार कोई अन्य स्थान ढूंढ़ने में सफल नहीं हो पायी। इस प्रश्न पर ध्यान नहीं देने का कोई प्रश्न ही नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि बहुत पहले निर्णय ले लिया गया था। इस परियोजना पर बहुत सा धन खर्च किया गया है। देश के विकास के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण है। अतः सरकार सदन को स्पष् रूप से आश्वासन देने की स्थिति म...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार द्वारा किए गए वायदे के बारे में मैं कोई वक्तव्य नहीं देना चाहता। बिना किसी बजट सम्बंधी प्रावधान के वित्तीय निहितार्थ सम्बंधी वायदे इस सदन और देश के लिए कोई अर्थ नहीं रखते। किन्तु मैं माननीय सदस्य से अवश्य सहमत हूं कि आंगनबाड़ी कर्मचारियों की स्थिति बहुत गम्भीर है। उनका ज्ञापन मुझे हाल में दिया गया है। सरकार इस विषय की जांच कर रही है और हम यथासम्भव ऐसी कोशिश करेंगे जिससे उन्हें मदद मिले। महोदय, हम समस्या के बारे में नहीं जानते, ऐसे में मेरे लिए आश्वासन देना बहुत कठिन है। यह सच है कि हमें क्षेत्रीय कर्मचारियों को प्रोत्साहन और बढ़ावा देना चाह...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, 21 से 23 नवम्बर, 1990 के बीच आयोजित पांचवें सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मैं मालदीव गया था। इस शिखर सम्मेलन के परिणाम माले घोषणा में तथा इस शिखर सम्मेलन के अंत में जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में निहित है। इन दस्तावेजों की प्रतियां सदन की मेज पर रख दी गई हैं। मालदीव के अपने प्रवास के दौरान मैंने बंगलादेश के भूतपूर्व राष्ट्रपति इरशाद से, मालदीव के राष्ट्रपति गयूम से, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से तथा श्रीलंका के प्रधानमंत्री विजयतुंग से अलग-अलग बातचीत की। माले में मुझे भूटान के महामहिम नरेश तथा नेपाल के प्रधानमंत्री भट्टराई से भी भेंट क...
Read Moreसभापति महोदय जैसा कि माननीय सदस्यगण जानते हैं कि युह् बंद कराने और खाड़ी क्षेत्र में शान्ति स्थापित करने के लिए 23 फरवरी को सुरक्षा परिषद द्वारा किए गए प्रयासों का कोई लाभ नहीं हुआ। जमीनी लड़ाई शुरू हो चुकी है विगत दो दिनों से जारी है। इसके परिणाम वास्तव में विनाशकारी होंगे। इराक और कुवैत लगभग बिल्कुल नष् हो सकते हैं। इन दो देशों के हजारों लोग के दुख उठाने और हजारों निर्दोष लोगों की जान जाने की सम्भावना है। इन विनाशकारी हथियारों के उपयोग की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है जिनके बारे में मैं पहले ही कह चुका हूं कि ये मानवता के विरुह् एक अपराध है। सुरक्षा परिषद मे...
Read Moreसभापति महोदय 2 अगस्त, 1990 को जब इराक ने कुवैत पर हमला किया और खाड़ी संकट शुरू हुआ, तबसे ही भारत बातचीत के ज़रिये इस संकट के शान्तिपूर्ण हल के लिए अपील करता रहा है। द्विपक्षीय आधार पर भारत ने इराक से अपील की कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्पों के अनुपालन में कुवैत से अपनी फौजें वापस बुला ले। बहुपक्षीय आधार पर भारत ने गुट-निरपेक्ष आंदोलन को सक्रिय किया। गुट-निरपेक्ष आंदोलन में भारत की पहलकदमी के परिणामतः भारत, अल्जीरिया और यूगोस्लाविया के विदेश मंत्रियों की बेलग्रेड में 11 सितम्बर, 1990 को बैठक हुई। भारत ने अपने प्रयासों के अतिरिक्त इस संकट के शान्तिपूर्ण हल के लिए ...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, इस विषय पर चर्चा आज दोपहर से चल रही है। मैं क्षमा चाहता हूं कि मैं यहां उपस्थित नहीं हो सका। मैं इस सदन की भावना को समझता हूं लेकिन परिस्थितियां ऐसी हैं कि हरिजनों पर अत्याचार हो रहा है। उधर गल्फ में मानवता का संहार हो रहा है, इसलिए मुझे दूसरे सदन में जाना पड़ा। वहां गल्फ पर बहस थी। पिछले दिनों जब यह चर्चा सदन में हमारे मित्र श्री मदन लाल खुराना और विजय कुमार मल्होत्रा ने उठाई थी तो मैंने उसी समय यह कहा था कि यह गम्भीर चिन्ता का विषय है। हमारे देश में गरीब तबके के ऊपर जो शोषित उपेक्षित समाज है, उसके ऊपर अत्याचार हो तो इसकी गम्भीरता बढ़ जाती है। जब इसमें शासन क...
Read Moreसभापति जी, पिछले कई दिनों से यह विवाद चर्चा में है और मुझसे बहुत से पत्रकारों ने और बहुत से मित्रों ने पूछा है। मुझे इस पर कुछ कहना नहीं है क्योंकि सारा देश और सारी दुनिया वास्तविकता को जानती है। अटल बिहारी वाजपेयी जी ज़्यादा बारीकी से जानते हैं, गहराई से जानते हैं और आपके नेता लोग और ज़्यादा गहराई से जानते है। सभापति जी, मैं इतना ही कहूंगा कि उस समय जो इजाज़त दी गई थी, उसका श्रेय मुझे नहीं लेना है। वह इस देश की सरकार ने दी थी। किस व्यक्ति ने दी थी, इसका कोई महत्व नहीं है, लेकिन मैं इतना ज़रूर चाहता हूं कि जिन मित्रांे ने उस समय इतना गम्भीर आरोप लगाया था और मेरे बारे में क्या-क्य...
Read Moreसभापति महोदय सितम्बर, 1990 में अमेरिकी वायुसेना के 120 विमानों को भारतीय वायुक्षेत्र के ऊपर से गुजरने की इजाज़त दी गई थी और जनवरी तथा फरवरी, 1991 में 136 विमानों को पारगमन तथा ईधन भरने की सुविधाएं दी गई थीं। मौजूदा संदर्भ में जनवरी और फरवरी, 1991 के दौरान अमेरिकी वायुसेना के 136 परिवहन विमानों को पारगमन और ईंधन भरने की सुविधांए दी गई थीं और लगभग 32 लाख लीटर तेल स्पलाई किया गया। इस ईधन की लागत निश्चित की जा रही है और सदन के पटल पर रख दी जाएगी। इन परिवहन विमानों को तेल भरने की अनुमति अमेरिकी सरकार के इस स्पष् आश्वासन पर दी गई थी कि इन विमानों में सिर्फ गैर-घातक सामग्री ही ले जाई जाएगी या फिर ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, श्री रवि राय ने यह मुद्दा उठाया है। सरकार को इस मुद्दे पर कुछ कहना चाहिए। सभी मामलों को टरकाया नहीं जाना चाहिए। आपको इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ कहना चाहिए। आप सभी मुद्दों पर चुप्पी नहीं साधे रह सकते हैं। महोदय, हमें यह बताया जाना चाहिए कि भारत सरकार को इस मामले के बारे में कब बताया गया। इसे लापरवाही से नहीं लेना चाहिए। जैसा कि रवि राय जी ने कहा है। एक विदेशी सेना हमारे क्षेत्र में प्रवेश करती है, हमारे नागरिकों को पीटती है, वह भी एक बार नहीं, दो या तीन बार नहीं, बल्कि कई बार पीटा है और माननीय गृह राज्यमंत्री कहते हैं कि वह इसके बारे में जानकारी एकत्र कर रहे ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, हमारे पड़ोसी देश नेपाल में पिछले कुछ दिनों से जनतंत्र के लिए आंदोलन चल रहा है। वहां पर लोग अपना राजनैतिक संगठन बनाने का अधिकार चाहते हैं, अपने मौलिक अधिकार चाहते हैं। दुनिया में हर जगह जहां जनतंत्र के लिए संघर्ष हो, हम उसका समर्थन करते आए हैं। यह हमारे राष्ट्रीय आंदोलन की विरासत है। नेपाल न केवल हमारा पड़ोसी देश है, बल्कि हजारों वर्ष से सभ्यता, संस्क्रति तहजीब और तमद्दुन के मामले में हमारा और उसका ताल्लुक रहा है। नेपाल के लोगों ने हमारी आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया हैं। श्री गणेश मानसिंह, जो आजकल आंदोलन के कारण जेल में हैं, श्री बी.पी. कोइराला साहब आदि 1942 के ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मैंने अपने मित्र जसवंत सिंह का पूरा भाषण नहीं सुना, लेकिन ये सभी मामले किसी-न-किसी अवसर पर मेरे ध्यान में लाए गए थे। मैंने इनके बारे में सुब्र२णयम स्वामी से पूछताछ की थी और अधिकतर मामलों में, या मैं कहूंगा कि सभी मामलों में उन्होंने ऐसा कोई भी वक्तव्य देने से इन्कार किया। महोदय, मैं इसे आपके निर्णय पर छोडता हूं कि अगर इस प्रकार के गम्भीर मामले किसी सदस्य के ध्यान में आते हैं तो क्या यह आवश्यक नहीं है कि वह आपको, इस बारे में नोटिस दे और सम्बह् मंत्री या सरकार को स्थिति स्पष् करने के लिए कहा जाए? तथ्यों की जांच किये बिना ही, केवल समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार प...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मुझे जिस बात की शंका थी, वह सही साबित हो रही है। मेरे पास जब दस्तावेज आया, दस्तावेज क्या है, सारी दुनिया उसे देख रही है। मैंने आपके पास उस दस्तावेज को इसलिए भेजा कि उस पर अनावश्यक रूप से हम लोगों में आपसी विवाद न हो क्योंकि यह देश की एकता और देश के अस्तित्व का सवाल है। अब इसमें कौन पार्टी इंवाल्व है और कौन नहीं, मैं नहीं जानता लेकिन मुझे प्रमोद महाजन जी की बात को सुनकर दुख होता है। अध्यक्ष महोदय, यह कोई ऐसा मामला नहीं है जिसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाए। जहां तक देश की सुरक्षा का सवाल है, इतनी इंटेलीजेंस एजेंसिया यहां पर हैं, उन्होंने अब तक इस मामले पर कोई ध्यान नहीं द...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, इस सदन में जो कुछ हुआ है, वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं सत्ता पक्ष के सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि वे इस बात का ध्यान रखें कि पीठासीन अधिकारी कोई भी हो, यदि सदन को चलाना है, तो उसका सम्मान करना अनिवार्य है। उस ओर के कुछ सदस्यों द्वारा की गयी टिप्पणियां न केवल दुर्भाग्यपूर्ण हैं अपितु भत्र्सना करने योग्य भी हैं। मैं आपको बता दूं कि मैंने उपाध्यक्ष महोदय द्वारा की गई टिप्पणियां भी सुनी हैं। मेरे विचार से, उनमें मुख्यमंत्री पर झूठा आक्षेप लगाने जैसा कुछ नहीं था। उन्होंने तो केवल यह कहा है कि मुख्यमंत्री जी का कहना है कि यह उनका उत्तरदायित्व नहीं है और ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही दुखद और शर्मनाक कहानी है। माननीय सदस्य श्री लोढ़ा जी ने जो कहा है, अगर उसका एक अंश सही है तेा बिना किसी बहस के वहां से उच्चायुक्त को वापस बुला लेना चाहिए। चाहे जो भी कारण रहा हो, भारत के मुख्य न्यायाधीश के प्रति इस प्रकार उदासीन और उपेक्षापूर्ण व्यवहार करने का अधिकार किसी भी उच्चायुक्त को नहीं है चाहे मंजूरी मिले या न मिले। माननीय विदेश मंत्री यहां हैं या नहीं, मैं नहीं जानता। मै नहीं जानता कि वहां उच्चायुक्त कौन है? अध्यक्ष महोदय, पूरे मामले की जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस मामले में कुलदीप नै∏यर को तुरन्त बर्खास्त कर देना चाहिए और इस पर ...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, श्री निर्मल कांति चटर्जी और श्री सोमनाथ चटर्जी द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है। मुझे भी थोड़ी चिंता है क्योंकि मुख्य चुनाव आयुक्त का एक वक्तव्य दिल्ली के एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ है। चुनाव आयुक्त ने कहा है कि वह सबसे ऊपर हैं। उसे राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता। यदि उसकी इच्छाओं का पालन नहीं किया गया तो वह चुनाव नहीं होने देगा। मुझे इसका पता नहीं है। मेरे मन में मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालय के प्रति बहुत आदर है। किन्तु यदि सभा और सरकार द्वारा यह बात स्वीकार कर ल...
Read Moreमाननीय मंत्री से मेरा कोई झगड़ा नहीं है। उन्हें प्रत्येक मिनट अपना मत बदलने का पूरा अधिकार है। यह इस सरकार का विशेषाधिकार रहा है। वे किसी महत्वपूर्ण अथवा गम्भीर मामले पर अपना मत बनाने में असमर्थ हैं। माननीय मंत्री बार-बार कहते रहे हैं कि विपक्ष और उनके कहने में कोई अंतर नहीं है। मुझे इस बात पर चर्चा करने की स्वतंत्रता नहीं है कि आपके चैम्बर में क्या हुआ? जहां सभी विपक्षी नेता उपस्थित थे-तो सौभाग्य से अथवा दुर्भाग्य से, मैं भी वहां उपस्थित था-इस विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई थी। मैं अपना निर्णय और मत अध्यक्ष पर छोड़ता हूं। मैं यह पूछता हूं कि क्या उस बैठक का जो मत था, वह ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मामला केवल इसीलिए ही गम्भीर नहीं है कि चुनाव स्थगित हो गए हैं बल्कि सारे विश्व में यह धारणा बन गई है कि भारत में सांविधानिक अधिकारी ने भारत सरकार के विरुह् कुछ ऐसे आरोप लगाए हैं कि भारत सरकार उनके अधिकारों में हस्तक्षेप करने के लिए ज़िम्मेदार है तथा इसीलिए चुनाव नहीं हो सके हैं। महोदय, आज भारत सरकार पर विपक्ष द्वारा आरोप नहीं लगाया गया है और न ही समाचार पत्रों द्वारा बल्कि निर्वाचन आयोग द्वारा सांविधानिक अधिकारी द्वारा, जिसके अधिकार, अखंडता तथा मर्यादा इस सभा द्वारा तथा आपके द्वारा बनाई रखी जाती है। निर्वाचन आयोग के मान और मर्यादा के विरुह् एक शब्द नही...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, अभी हमारे मित्र ने सवाल उठाए हैं, मैं समझता हूं यह सवाल इस सदन में पांचवीं बार उठ रहा है, इससे बड़ी लज्जा की बात और कोई नहीं हो सकती। यह योजना सोच-समझकर बनी थी। माननीय बीजू पटनायक ने भी यह सवाल उठाया है। हर समय ऐसा लगता है कि सांसद भिक्षाटन कर रहे हैं। अभी मंत्री महोदय ने कहा कि उनका यह भी कर्तव्य है कि इनको प्रोटेक्ट करें। संसद सदस्यों को उनके प्रोटेक्शन की जरूरत नहीं हैं, आपके प्रोटेक्शन की जरूरत है। अगर मंत्री लोगों को यह भ्रम है कि वे लोग संसद सदस्यों को प्रोटेक्ट कर रहे हैं तो वे अपने अधिकार सीमा के बाहर सोच रहे हैं। सारी योजना का मखौल बन रहा है। खासतौर से ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, यह अति दुर्भाग्य की बात है कि कुछ मंत्रियों की हर बात को भूतपूर्व सरकार पर लादने की आदत हो गई है। यह सच है कि सी.एन.एन. खाड़ी देशों और कुछ युह् स्थानों में सशस्त्र युह् का ब्यौरा प्रस्तुत कर रहा था। उसे खाड़ी क्षेत्रों में हो रही घटनाओं की निगरानी रखने का काम सौंपा गया था। मुझे नहीं पता कि यह मंत्री महोदय इसके बार में क्या कह रहे हैं। यहां हम सरकार की नीति की चर्चा कर रहे हैं न कि इसकी कि भारत सरकार के कार्यालयों में क्या-क्या संस्थापित किए गए थे। विश्व में सुरक्षा विभागों में क्या हो रहा है। हम पूरी आबादी में नेटवर्क उपलब्ध करा रहे हैं। अध्यक्ष महोदय, मुख्यमं...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, इतने दुखद सवाल पर भी सदन में इस तरह की प्रतिक्रिया हो, यह हम सबके लिए लज्जा की बात है। 8 और 13 तारीख को जो हुआ वह दुखद है। हमारे मित्र दीक्षित जी ने जो कहा, यह सही है कि प्रशासन वहां जो कर रहा है उसमें हमें दखलअंदाज़ी नहीं करनी चाहिए। मैं कमेटी के लिए नहीं कहूंगा, मैं आडवाणी जी, विजयराजे सिंधिया जी और वाजपेयी जी से निवेदन करूंगा कि आप वहां जाकर देखें कि किस कानून, अनुशासन और नियम के अंदर अजीत सिंह जैसे आदमी, यादव जी जैसे आदमी को वहां नहीं जाने दिया और दीक्षित जी को निर्बाध गति से घूमने दिया। अगर अजीत जी वहां पर जाएं तो गिर∂तार किए जाएं। उनका क्षेत्र है लेकिन दूसरी प...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मैं उन वैद्य महोदय को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं। उन्होंने कम-से-कम 15-20 वर्ष इस पर शोध कार्य किया है। कठिनाई वही है, जैसा कि मंत्री महोदय कह रहे हैं। आयुर्वेद के रिसर्च को हमारे वैज्ञानिक रिसर्च नहीं मानते हैं। जब तक इस बाधा को दूर नहीं करेंगे, आप चाहे कितने ही प्रख्यात लोगों की कमेटी बना दें, दोनो की सहमति नहीं हो सकती है। वैद्य महोदय के सामने कठिनाई यह है कि जो बातें वे बातएंगे, अगर दुनिया को मालूम हो जाएंगी, तो दुनिया के लोग उसको लेकर आगे बढ़ जाएंगे और उनको सुविधाएं नहीं मिलेगी। अध्यक्ष महोदय, शायद मंत्री महोदय को मालूम हो कि हमारे राष्ट्रपति महोदय ने उ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, कल दिल्ली के एक प्रमुख पत्र में जिस तरह तहलका कांड के बारे में एक विवरण छपा, वह न केवल अशोभनीय है बल्कि सारे सदन और राष्ट्र के लिए मर्यादाविहीन है। उस पर सबकी चिंता होना स्वाभाविक है। जब तहलका कांड चला था तो उस समय भी यही हथकंडे अपनाए गए, टेप किया गया। अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये सारी दुनिया को यह बताया गया कि देश की सेना में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है। उस पर सरकार ने कमीशन बनाया, सेना के लोगों ने अपना कोड बनाया। हमें अखबारों के ज़रिये मालूम हुआ कि उन्होंने काफी आगे बढ़ कर कार्यवाही की है। जिस समय उनकी कार्यवाही समाप्त होने जा रही थी और यह हो रहा ...
Read Moreअध्यक्ष जी, मैं यह कहने का प्रयास कर रहा था कि माननीय सदस्यों द्वारा लगाये गये आरोप यदि सच हैं अर्थात् यही नहीं की पुलिस नियुक्त की गई है वरन् पुलिस इसलिए नियुक्त की गई क्यांेकि कुछ माननीय सदस्यों ने विमति टिप्पणी की थी, तब यह मामला अवश्य गम्भीर है। किन्तु यदि यह बात सच नहीं है तो क्या होगा? क्योंकि पुलिस पूरे शहर में बहुत से स्थानों पर नियुक्त की गई है। मेरा यह अनुरोध है कि आप स्वयं अथवा सभा की समिति द्वारा इस शिकायत की विस्तृत जांच हो और यदि यह आरोप सच हो तो सरकार और पुलिस के विरुह् गम्भीर कार्रवाई की जाए। यदि यह सच नहीं हो तो उन गैर ज़िम्मेदार सदस्यों को जिन्होंने यह आरो...
Read Moreअध्यक्ष जी, मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता। लेकिन अटल जी ने जो कहा, उसकी सफाई देना चाहता हूं। जो कुछ पंजाब में हो रहा है, उसे लेकर मुझे चिंता है। मैं आतंकवाद के विरुह् हूं। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि सुरक्षा बल और पुलिस से आतंकवाद को दबाने की कोशिश पिछले कई वर्ष से हो रही है। यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी। नतीजा वही होगा जो आज है। मैं यह बात बार-बार कहता हूं कि मौत-मौत है, चाहे वह पुलिस की गोली से हो या चाहे आतंकवादी की गोली से और जब कोई मरता है तो एक हिन्दुस्तानी मरता है, उस पर चिंता मेरी बराबर की चिंता है। अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि जो सुरक्षा बल काम कर रहे हैं, उनकी प्रशंसा की ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो कह रहे हैं वह बहुत ही गम्भीर बात है और मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि सरकार किसी की भी निगरानी नहीं करती है। सरकार के प्रयास से ही यह तथ्य सामने आया। दो दिन पूर्व श्री राजीव गांधी के निवास के सामने दो व्यक्तियों को किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़ा गया। उनसे पूछताछ की गई और उन्होंने बताया कि वे हरियाणा पुलिस के खुफिया लोग हैं। ज्यों ही सरकार को सूचना मिली हमने जांच शुरू कर दी। मैं माननीय सदस्य को आश्वासन देता हूं कि ऐसे कार्यों में लिप्त व्यक्ति के विरुह् हर सम्भव कार्रवाई की जाएगी। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है, अ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, हमें स्वायक्राता की नई परिभाषा प्राप्त हो रही है। मैं आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूं कि यदि कोई संगठन स्वायक्रा है तो कोई भी इस स्वायक्रा संगठन के बारे में सभा के प्रति जवाबदेह है अथवा नहीं है? यदि मंत्री महोदय यह कहते हैं कि उन्हें कुछ भी कहने का कोई अधिकार नहीं है तो उन्हें उस मंत्रालय में मंत्री पद पर रहने का भी कोई अधिकार नहीं है। अध्यक्ष महोदय, अपने पूर्ण जीवनकाल में संसदीय लोकतंत्र के बारे में मैंने काफी कुछ सीखा है, देखा है लेकिन मैंने आज तक किसी मंत्री को इस तरह उत्तर देते नहीं देखा। यदि कोई संगठन स्वायक्रा भी है, तब भी वह किसी मंत्रालय से जुड़ा हु...
Read Moreअध्यक्ष जी, माननीय सदस्यों ने जो सवाल यहां उठाया है, वह अत्यंत गम्भीर है। केवल महाराष्ट्र में ही हालत बहुत खराब नहीं है, सात राज्यों में पीने के पानी का अभाव है। दुर्भाग्यवश मौसम विशेषज्ञों ने कहा है कि अगला मौसम हम लोगों के लिए बहुत हितकर होने वाला नहीं है। ऐसा हो सकता है कि अगले एक-दो महीनों में और लोग प्यास से मरने लगे क्योंकि पानी की भारी कमी है और पानी की कमी से महामारियां होंगी। इसलिए तुरंत कोई योजना, आपातकालीन योजना बनाने की आवश्यकता है। अध्यक्ष जी, यह सवाल केवल बयान देने का ही नहीं है, मई महीने में अगर इतनी बुरी हालत है तो जून आते-आते दो महीनों में क्या होगा? केवल यह ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, यह बहुत नाजुक मामला है। यहां पर विरोधी पक्ष के नेता बैठे हुए हैं और महाराष्ट्र सरकार में उनका दल भागीदार है। मैं चाहूंगा कि श्री अटल जी इस बात का पता लगा लें कि कोई ऐसा निर्णय लिया गया है या नहीं और एक अधिक्रत वक्तव्य दे दें। अन्यथा यदि प्रत्येक सदस्य यहां पर बोलता रहेगा तो स्थिति खराब होगी। मेरे विचार में, इससे समूचे देश में काफी समस्याएं पैदा हो जाएंगी। मैं आशा करता हूं कि महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। परन्तु यदि कोई ऐसा निर्णय लिया गया है तो मेरे विचार में यह उस बात की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए जो शासक दल के कुछ लोग उत्तर प्रदेश में...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो सवाल उठाया है, वह अत्यंत गंभीर सवाल है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जो घटना हुई उसका परिणाम यह हुआ कि सारा पूर्वांचल आज अस्त-व्यस्त है और वहां अराजकता की स्थिति है। विद्याथयों का आंदोलन चल रहा है, जगह-जगह पर हिन्सा और आगजनी की घटनाएं हो रही हैं। इस विश्वविद्यालय की एक पुरातन परम्परा रही है। एक समय था जब सारे राष्ट्र में यह विश्वविद्यालय गौरव की दृष् टिसे देखा जा रहा था। जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि उस विश्वविद्यालय का विधेयक पारित नहीं हुआ, जो इस संसद का काम है। क्यों नहीं होता, यह मेरी समझ में नहीं आता। मैं समझता हूं जब विधेयक पेश हो...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, यह सवाल इसी सदन में विश्वनाथ सिंह गहमरी जी ने उठाया था, तब अटल जी इस सदन में थे और वे जानते हैं कि उस समय जब गहमरी जी रो पड़े थे तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने पटेल कमीशन बनाया था। उसकी जो सिफारिशें हैं, आज तक लागू नहीं हुई। वह क्षेत्र बहुत व्यथित है। यह साल स्वतंत्रता की स्वर्ण जयन्ती का साल है और उन पूर्वांचल के जिलों ने आज़ादी की लड़ाई में अग्रणी हिस्सा लिया है। मैं आपके जरिये इस सरकार से अनुरोध करूंगा कि जो माननीय सदस्य श्री मनोज सिन्हा ने जो बात उठाई है, उसको क्रियान्वित करने के लिए कुछ-न-कुछ कदम उठायें, क्योंकि उस समय उस इलाके के लिए एक विशेष विकास मंडल बनाने ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, श्री वासुदेव आचार्य ने जो सवाल उठाया है, वह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। दिल्ली में 85 उद्योगों को यहां से हटाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने जो निर्णय लिया है, इसमें कहा गया था कि ये उद्योग वहीं लगेंगे जहां से कर्मचारियों को आने-जाने में दिक्कत न हो, दूर न भेजे जाएं। मुझे जहां तक याद है कि कहा गया था कि 60 किलोमीटर की दूरी तक तो लोग आ-जा सकते हैं, लेकिन बहुत सारे उद्योग या तो बहुत दूर लगाए जा रहें हैं या लगाने का केवल बहाना हो रहा है। इससे कई महीनों से कर्मचारी अत्यन्त पीड़ा और दुःख में हैं। एक कर्मचारी ने पिछले साल आत्मदाह भी किया था। कई परिवार दुःखी हैं, पीड़ित हैं, बेकार...
Read Moreअध्यक्ष जी, कल जब अविश्वास प्रस्ताव पर मैं बोल रहा था तो भारत के वित्तमंत्री ने बीच में खड़े होकर कहा कि जापान का नगर बसाने का, जापानी सिटी बनाने का जो फैसला था, वह मेरे समय में हुआ था, उसे सुनकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। क्योंकि मुझे याद है, आज से 15 वर्ष पहले अरूविले में जब बाहर के लोगों का नगर बस रहा था तो मैंने उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी से निवेदन किया था और उसका विरोध किया था। मैं इस विचार को तब से देश के हित में नहीं मानता हूं। इसलिए मुझे आश्चर्य हुआ। लेकिन अगर देश का वित्तमंत्री सदन में उठकर यह कहे, तो मैंने तत्काल यह कहा कि मुझे याद नहीं है, लेकिन ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, मुझे आपसे एक ही निवेदन करना है। अटल जी ने मजाक के लहजे में कहा लेकिन मैं उसको गंभीरता से लेता हूं। आपके कमरे में क्या होता है, यह बात है कि संसद की कार्यवाही उससे चल सकती है लेकिन देश में जो मानस बनता है, उसका प्रतिकार या संशोधन उससे नहीं हो सकता है। आपने सलाह दी, सलाह अच्छी है, लेकिन संसद की परम्परा है, संविधान में कि कुछ सवाल हैं जो उठाए जाते रहे हैं, उठाए जाते रहेंगे और उठाए जाते रहने चाहिए। वह सवाल चाहे हरिजनों पर अत्याचार का हो, चाहे अल्पमत के साथ अत्याचार का हो, यह सवाल केवल राज्यों का सवाल नहीं है। यह मान्यता है कि इस सदन में कौन से सवाल उठने चाहिए और कौन से ...
Read Moreउपाध्यक्ष महोदय, जो विधेयक आया है, मैं केवल कुछ शब्दों में इसका विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं। हमारे मित्र ने अभी जो बात की, जिन भावनाओं का उन्होंने इज़हार किया, उनसे मैं पूरी तरह सहमत हूं। आज देश को किस रास्ते पर ले जाने की कोशिश हो रही है, वह हमारे सामने साफ दिखाई पड़ रहा है, लेकिन दुःख इस बात का होता है कि जो पाटयां या पार्टी सरकार में है और जो पार्टी विरोध में है, इस सवाल पर एकमत हैं। मुझे यह देखकर भी आश्चर्य होता है कि जैसे उन्होंने कहा कि एक समिति बनी थी जिसमें मैं भी कभी-कभी जाता था। हमारे मित्र मुरली मनोहर जोशी जी उसके अध्यक्ष थे, जार्ज फर्नान्डीज सदस्य थे और जयपाल रेड्डी ...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, बहुत से लोग इस मुद्दे को कई दिनों से उठा रहे हैं। इस मामले की जांच करना लोकसभा सचिवालय का कार्य है। आपको केवल यह घोषणा करनी चाहिए कि कोई निर्णय लेने में कितना समय लगेगा। यह मामला प्रतिदिन नहीं उठना चाहिए, क्योंकि इसे लेकर सभी तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। मैं आपसे निश्चित समय देने का अनुरोध करूंगा कि आप कितने दिन लेंगे और इस मामले को वहां समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि यह इस सभा में बहस के लिए नहीं है। यह निर्णय आपको सचिवालय की सहायता से लेना है। अतः क्रपया कोई समय निर्धारित कर दीजिए ताकि वह विवाद रुके और हम नियमित कार्य करें। मुझे एक सुझाव देना है। मुझे नह...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, सभा आपका मार्गदर्शन चाहती है। प्रतिदिन मंत्रीगण यह वक्तव्य दे रहे हैं कि वे सार्वजनिक उपक्रम बेच देंगे, चाहे वह लाभ अजत कर रहे हों अथवा घाटे में चल रहे हों। वे यह भी दावा करते हैं कि उन्हें अपनी इच्छानुसार मामले पर संसद में विचार-विमर्श अथवा चर्चा के बिना ही कार्य करने का प्राधिकार हे। यह किसी एक विशेष मामले से संबंधित प्रश्न नहीं है। उठाया गया यह प्रश्न इस संसद के प्राधिकार के बारे में है। यदि मंत्रिगण संसद के प्राधिकार का उल्लंघन करते हैं तो मैं यह चाहूंगा कि आप मार्ग दर्शन करें कि माननीय सदस्यों को क्या करना चाहिए? क्यों उन्हें ऐसे समय में चर्चा की प...
Read Moreअध्यक्ष महोदय, इन बैंकों के राष्ट्रीकरण की एक लम्बी कहानी है। सन् 1968 में आॅल इण्डिया कांग्रेस कमेटी ने एक प्रस्ताव पास किया था और उसके लिए कांग्रेस में एक आंदोलन चला था। सौ सदस्यों ने इस संसद में उस समय के अध्यक्ष श्री कामराज जी को एक मैमोरेंडम दिया था और उसकी प्रतिलिपि श्रीमती इंदिरा गांधी जी को दी थी। उससे पहले मैंने विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुछ प्रोफेसरों को इस विषय पर अध्ययन करने के लिए कहा था और अध्ययन करके एक पुस्तिका निकाली थी जिसमें बैंकों के राष्ट्रीकरण को देश के विकास के लिए और गरीब जनता और गरीब इलाके के विकास के लिए आवश्यक बताया था। इतनी बातों के बाद बैंक...
Read Moreउपाध्यक्ष जी, प्रियरंजन दास मुंशी जी ने सवाल उठाया है, यह सवाल बहुत गंभीर है और इस सवाल के ऊपर सरकार को और खासतौर से, उपाध्यक्ष महोदय, आपको उसी गम्भीरता से लेना चाहिए और सरकार को निर्देश देना चाहिए कि इस मामले की पूरी जांच हो। यह पहली बार नहीं है। इस देश में एक विषम स्थिति पैदा हो गई है। जिसकी वजह से बड़े औद्योगिक घरानों की ओर से समय-समय पर सरकार पर दबाव पड़ते रहतें हैं। 1968 में एक परिवार था, जो दबाव डालता था। 1970 के दशक में दूसरा परिवार था। आज एक ऐसा परिवार औद्योगिक घराने का हो गया है, जो सरकार पर दबाव डालता है, संसद पर दबाव डालता है, वित्तीय संस्थाओं पर दबाव डालता है और उसके सामने स...
Read More