राष्ट्रपुरुष चंद्रशेखर
जन्म : 17 अप्रेल, 1927 को बलिया ज़िले के इब्राहीम पट्टी गाँव में |
पिता : सदानन्द सिंह |
माँ : द्रौपदी देवी |
विवाह : 1945 में द्विजा देवी से |
माँ का निधन : 1947 में |
राजनीतिक विचारों में अंतर होने के कारण हम एक दूसरे से छुआ - छूत का व्यवहार करने लगे हैं। एक दूसरे से घृणा और नफरत करनें लगे हैं। कोई भी व्यक्ति इस देश में ऐसा नहीं है जिसे आज या कल देश की सेवा करने का मौका न मिले या कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसकी देश को आवश्यकता न पड़े , जिसके सहयोग की ज़रुरत न पड़े। किसी से नफरत क्यों ? किसी से दुराव क्यों ? विचारों में अंतर एक बात है , लेकिन एक दूसरे से नफरत का माहौल बनाने की जो प्रतिक्रिया राजनीति में चल रही है , वह एक बड़ी भयंकर बात है।
बेबस - निरीह लोगो को , इस देश को गांधी ने हौसला दिया था , आत्म-विश्वास दिया था , इच्छाशक्ति दी थी। सबसे बड़ा राजनीतिक अपराध ये ही हो रहा है कि हम उस इच्छा शक्ति को तोड़ रहे हैं
प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र के नाम प्रथम संदेश
मेरेेे देशेे के लोगोेें! आप आज की शक्ति और कल की आशा हैं और इसीलिए आपसे निवेदन करने के लिए मैं आया हूँ। देश कठिनाई में है। सबसे बड़ी कठिनाई है कि हमारे लोगों का विश्वास टूट रहा है। देश की समस्याओं का समाधान अगर करना है तो इस विश्वास को फिर से पैदा करना होगा। लोगों में हमें एक नये उत्साह, एक नये साहस की आवश्यकता है। इसी के सहारे कल का हिन्दुस्तान बनेगा।...
एक प्रणाम
इसलिए कहता हूँ उन्हें राष्ट्रपुरुष
आम राय है कि अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए। स्पष्ट और बेवाक राय रखने वाले लोग भी ऐसी स्थिति आने पर चुप रहना श्रेष्ठ समझते हैं। खासतौर से सियासी दुनिया में। मामला वोट के व्यापक नुकसान का हो या भीड़ के खिलाफ का तो बड़े- बड़े दिग्गज भी चुप रहने को ही सच मान लेते हैं। लेकिन, अध्यक्ष जी यानी पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ऐसे राजपुरुषों में नहीं थे। उन्हें सच को लेकर किसी तरह का समझौता स्वीकार नहीं था।...