सार्क सम्मेलनेे में समापन व्याख्यान (23 नवम्बर, 1990)

खुशी है कि आज तीन दिन रहने के बाद हम आपसे प्रसन्नतापूर्वक विदाई ले रहे हैं। दुःख इस बात का है हमने सोचा नहीं था कि तीन दिन इतनी जल्दी बीत जायेंगे। यहाँ कुदरत ने जो कुछ दिया है और आपके मन में जितना प्यार, मोहब्बत और आदर है उससे हम सब लोगों का दिल भरा हुआ है। हम सदा याद रखेंगे अपने जीवन में जो आपने इस्तकबाल किया है, जो आपने मोहब्बत दिखाई है, यह स्वागत, यह सत्कार, यह सद्भावना हमारे जीवन में हमेशा याद रहेगी।

यह सार्क का पाँचवां सम्मेलन है। किसी भी ऐसे संगठन के लिए पाँच वर्ष बड़े नहीं होते हैं। पाँच वर्षों में हमने लम्बी दूरी तय की है। जैसा लोगों के मन में संदेह था कि सार्क का सम्मेलन कुछ कर नहीं पायेगा, किसी फैसले पर नहीं पहुँच पायेगा, लोगों में आपसी टकराव होंगे, मैं ऐसा समझता हूँ अध्यक्ष महोदय जो कुछ निर्णय आपके नेतृत्व में, रहनुमायी में हमने लिया उससे इन लोगों के सुबहे मिट जायेंगे। हम पहली बार ऐसे सम्मेलन में आये हैं। मुझे कहते हुए इसका फक्र होता है कि मुझे ऐसा नहीं लगा कि कोई सात देशों के लोग मिल रहे हैं। ऐसा लगा कि एक ही परिवार के लेाग आपस में मिल करके अपनी बातों को सोच रहे हैं, यह बड़ी बात है। हमने शुरू से सम्मेलन में कहा था कि हमारे बीच कोई मन मुटाव नहीं हो सकता। दुनिया के लोगों को मैं बहुत अदब के साथ कहना चाहता था कि सारी दुनिया की आबादी का 20 फीसदी इस हिस्से में रहता है। मैं मानता हूँ कि हमारे पास दौलत कम है लेकिन हमारे लोगों के दिलों में जज्बात हैं, हमारे लोगों के मन का भरोसा है और इसी भरोसे के बल पर हम नया मुस्तकबिल, नया भविष्य बनाना चाहते हैं। हजारों वर्ष की तहजीब और तम्दुम, हजारों वर्ष की सभ्यता- संस्कृति हमारी धरोहर है। जब कोई दुनिया में तरक्की करना चाहता है तो दुनिया को बनाने वाले लोग जहाँ अपने भविष्य के लिए मुस्तकबिल के लिए सोचते हैं, जहाँ वर्तमान में जो आज की हालत है उसके लिए फिक्रमन्द होते हैं वहीं अतीत से वो एक नयी ताकत लेते हैं। हम उसी ताकत के भरोसे और लोगों के मनसूबे के भरोसे, एक नया महौल अमन का महौल बनाना चाहते हैं।

आपके माल की सड़कों पर चलते हुए मुझे मुस्कराते हुए बच्चों व बच्चियों के चेहरों को देखकर बार- बार यही याद आता है कि खुदा अगर है कहीं तो इंसानियत से वो अभी मायूस नहीं हुआ है। मानवता से, भगवान कभी अपने को बनाने वाले हैं और इन बच्चों की जिन्दगी को बनाने की जिम्मेदारी हम सबके ऊपर है और इसीलिए सार्क के इस सम्मेलन में हमने बच्चे और बच्चियों की जिन्दगी में एक सुनहरा सबेरा लाने का फैसला किया है। हम जानते हैं हमारे पास साधन कम हैं लेकिन हम लोग आपसी सहयोग से काम करना चाहते है, जिस जनशक्ति के आधार पर लोगों की ताकत पर हम लोग इस इलाके को, इस हिस्से को बनाना चाहते हैं। उसके लिए पाकिस्तान में हम एक नयी संस्था, एक नया इंस्टीट्यूट बना रहे हैं। खेती इस इलाके का एक बड़ा सहारा है, इसके लिए ढाका में एक बड़ा काम हो रहा है। मुझे दुःख के साथ और लज्जा के साथ कहना पड़ता है कि आज भी कोढ़ की बीमारी है उसके लिए हम लोग काठमांडू में एक नया संस्थान खोल रहे हैं। हमारे पास क्या साधन थे पहले के, आज भी क्या हैं उसके लिए दिल्ली में हम डाक्यूमेंटेशन सेंटर खोल रहे हैं। लोगों के सिर पर साया नहीं है, इसलिए हमने फैसला किया है कि लोगों को साया देने का काम करें। कुछ उस दिशा में आगे बढ़े। लेकिन ये फैसले उतने अहम नहीं हैं जितनी अहम यह बात है कि पिछले दो दिनों में हमने जो आपस की बातचीत की है। हमें ऐसा लगा कि हमारे दिलों की धड़कनें एक हैं, हमारे मसायल एक हैं और उन मसायल को हल करने के लिए हमारे दिलों में जज्बात एक हैं।

मुझे बड़े संतोष के साथ, खुशी और फक्र के साथ जनाबे सदर, आपके जरिये मैं कहना चाहूँगा कि जिन लोगों से, हमारे मित्रों से बात हुई उसमें हमें कोई मौका नहीं आया जिससे हम सोंच सकें कि हम कोई अलग सोचते हैं एक ही फिक्र, एक ही सोचने का तरीका, एक ही दुनिया में अमन लाने का एक भरोसा, यही हम लोगों के लिए, आगे के लिए प्रेरणा देगा, हमें आगे के लिए शक्ति देगा और यह शक्ति अध्यक्ष महोदय, आपकी रहनुमायी में मिली है, आपका यह 25वाँ स्वतंत्रता का साल है, आप रजय जयंती मना रहे हैं इसलिए हमारे लिए एक बड़ी खुशी की बात है। जो खुशहाली, जो कुदरत की बरकत आपके ऊपर है, प्रकृति ने जो कुछ आपको दिया है, मुझे यकीन है कि इस सारे इलाके को वही सुंदरता,दर वही खुशहाली, वही शान्ति, वही अमन मिल सकेगा। इसी भरोसे और विश्वास के साथ अध्यक्ष महोदय, मैं सोचता हूँ कि अगली बार जब हम श्रीलंका में मिलेंगे तो आपकी रहनुमायी में सार्क न केवल आर्थिक एक त्रासदी इलाके में आपसी सहयोग करेगा बल्कि हम भाई- भाई के तौर पर सारी दुनिया के सामने आपसी सहयोग का, आपसी सद्भावना का, प्यार और मोहब्बत का, एक नया संदेश दे सकेंगे।

मैं फिर एक बार अध्यक्ष महोदय, आपको, आपकी सरकार को और विशेष रूप से माले के लोगों को बधाई देता हूँ, उनके लिए शुक्रिया अदा करता हूँ कि उन्होंने हमारे प्रति इतना स्नेह, इतनी सद्भावना दिखाई और ये माहौल बनाया जिसमें हम दुनिया को आगे बढ़कर एक नयी राह दे सकें।