मेरेेे देशेे के लोगोेें! आप आज की शक्ति और कल की आशा हैं और इसीलिए आपसे निवेदन करने के लिए मैं आया हूँ। देश कठिनाई में है। सबसे बड़ी कठिनाई है कि हमारे लोगों का विश्वास टूट रहा है। देश की समस्याओं का समाध्ाान अगर करना है तो इस विश्वास को फिर से पैदा करना होगा। लोगों में हमें एक नये उत्साह, एक नये साहस की आवश्यकता है। इसी के सहारे कल का हिन्दुस्तान बनेगा। अगर नया भारत बनाना है तो पहला काम यह है कि हमें आपस में लड़ना बंद करना होगा। गरीबी, भुखमरी, बेकारी, बेरोजगारी आज हमारे समाज को ग्रसित किये हुए है। कैसे हम इससे छुटकारा पा सकेंगे, यदि भाई- भाई से लड़ता रहेगा। आज आवश्यकता इस बात की है कि जो लोगों के बीच में तनाव है, आपस में जो कटुता है उससे हम मुक्ति पायें। भाई- भाई के खून का प्यासा हो, इससे बड़ी लज्जा की बात हमारे लिए और कोई नहीं है।
धर्म आदमी और भगवान में रिश्ता जोड़ने का एक साधन है, ख़ु़दा तक पहुँचने के लिए गर मज़हब का इस्तेमाल किया जाये तो इसमें किसी को कोई द्वेष नहीं, कोई झगड़ा नहीं, लेकिन अगर मज़हब का इस्तेमाल धर्म की मान्यताओं को भाई- भाई में दुश्मनी पैदा करने के लिए किया जाये तो इससे बढ़कर कोई अपराध नहीं होगा। मैं चाहता हूँ कि भारत जो हजारों वर्षों से सभ्यता और संस्कृति का, तहजीब और तम्ददुम का मरकज़ रहा है, केन्द्र रहा है वहाँ पर मानवता में आपसी भाई- चारे का एक नया व्यवहार पैदा हो। धर्म मनुष्य में मोहब्बत और स्नेह पैदा करने के लिए है, कटुता और बैर- भाव पैदा करने के लिए नहीं है। राज्य की ओर से सभी धर्मों को समान अवसर और समान सम्मान मिलेगा, लेकिन धर्म के नाम पर यदि किसी के साथ दुव्र्यवहार करने की कोशिश की जायेगी तो विवशतावश हमें सरकार की शक्ति का उपयोग इसलिए करना होगा कि किसी के मन में आशंका, भय या कटुता पैदा न हो। मुझे विश्वास है कि जिस देश में कभी एक बार कहा गया था कि सब धर्म की ओर से मनुष्य- मनुष्य बराबर है, वहाँ आपस में धर्म के नाम पर कटुता नहीं फैलायी जायेगी।
आज मस्जिद और मन्दिर के नाम पर लोगों को लड़ाने की कोशिश हो रही है, आप जानते हैं कि मन्दिर और मस्जिद में जो भगवान बसता है वो भगवान मनुष्य की पीड़ा को दूर करने का संदेश देता है। तभी कहा गया था कि ‘‘ना मन्दिर में, ना मस्जिद में, ना गिरजे के आसपास में, ढूँढ़ ले कोई राम मिलेगा, दीन-जनों की भूख- प्यास में।’’
आज हमें रिश्ता इन गरीबों की भूख-प्यास से जोड़ना होगा। हमारे लिए तो लज्जा की बात है दुःख की बात है कि जिस देश में प्रकृति ने हमको सब कुछ दिया है, यह धरती जो उपजाऊ है, यह जलवायु जो दुनिया में हर तरह की जलवायु का मुकाबला कर सकती है, यह हमारे खनिज पदार्थ और सबसे बढ़ करके हमारे करोड़ों लोगों को बाहों की ताकत जिसके बल हम इस धरती को स्वर्ग बना सकते हैं, लेकिन क्या कारण है कि आज हम अपने में बेबसी और उदासी का अनुभव करते हैं। गुलामी के दिनों में इस निर्धन देश के लोगों ने एक बड़े साम्राज्यवाद का मुकाबला किया था। उस समय हमारे पास कुछ भी नहीं था। न फौज थी, न पुलिस थी न सरकारी खजाना था विगत वर्षों की आजादी में हमारे पास सब कुछ है फिर भी यह विवशता क्यों? यह विवशता इसलिए है कि जनशक्ति जो हमारा सबसे बड़ा साध्ान है, जो हमारी सबसे बड़ी सम्पत्ति है, उस जनशक्ति का उपयोग हम देश के विकास में नहीं कर सके। जनशक्ति का उपयोग करने के लिए एक नया माहौल, एक नया वातावरण बनाना होगा। किसी भी लोकतंत्र में, जम्हूरियत में यह जरूरी है कि लोगों के मन में यह विश्वास पैदा किया जाये कि अपनी मेहनत से जो कमाई करेंगे वो कमाई चंद लोगों की खुशहाली के लिए नहीं, करोड़ों बच्चों की बेबसी को मिटाने के लिए की जायेगी।
आज हमारा किसान और मजदूर, आज हमारा गरीब, उनके मन में पीड़ा है, एक दर्द है। वो समझते हैं कि उनकी मेहनत के बावजूद भी उनके बच्चों के लिए कोई सुनहरा सवेरा नहीं और दूसरी तरफ चन्द लोगबाग और वैभव की जिन्दगी बिताते हैं। मुझे किसी के धन से कोई दुश्मनी नहीं, कोई ईष्र्या नहीं लेकिन मैं एक बात बड़ी नम्रता से कहना चाहूँगा कि अगर चारों ओर गरीबी का समुद्र हिलोरे ले रहा हो तो वैभव के टापू बहुत दिनों तक नहीं रह सकते।
इसलिए गाँधी और बुद्ध के इस देश में हम चाहते हैं कि एक बार सब सीखें- बहुजन सुखाय, बहुजन हिताय के नारे हम आत्मसात करें। यदि हमें करना होगा तो गरीब की जिन्दगी में एक नयी रोशनी लानी होगी। अगर हर बच्चे को जीने का अधिकार देना होगा तो जो बच्चा दुनिया में आता है उसे इस बात का अधिकार है कि उसे पीने के लिए स्वच्छ पानी तो मिले। कम से कम इतना खाना तो मिले कि वो शक्तिशाली बन सके, जीवित रह सके। उसे प्रारम्भिक शिक्षा मिले, बीमार पड़े तो दवा- दारू का इंतजाम हो। अगर हर बच्चे को मिल जाये तो एक स्वस्थ नागरिक वो बन जायेगा। लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि जाति और धर्म के नाम पर, भाई- भाई, आदमी- आदमी के बीच में विभेद किया जाता है। जाति और धर्म के नाम पर विभेद मिट जाये तो ये करोड़ों लोग जो आज देश के अन्दर हैं इनके सहारे एक नया हिन्दुस्तान बन जायेगा। इन करोड़ों लोगों की आत्मशक्ति को, उनकी संकल्प- शक्ति को जगाने का काम हमारा और आपका है। इसीलिए जब हम इनकी शक्ति को जगाने की बात करते हैं तो बरबस हम यह कहने के लिए विवश होते हैं कि जो आज धनवान हैं जिसके पास पैसा है, जिनके पास सुख- सम्पत्ति है वो गाँधिन को याद करें। मितव्ययिता का नारा, सादगी का जीवन, यह केवल नारा नहीं था। करोड़ों लोगों के मन में एक नया यकीन पैदा करने के लिए एक नया विश्वास पैदा करने के लिए एक यह ऐसा रास्ता था जिस रास्ते में हम देश को आगे बढ़ा सकते हैं।
मैं जानता हूँ, आज देश की आर्थिक हालत खराब है। मैं जानता हूँ, आज कई कठिनाइयों से हम घिरे हुए हैं लेकिन लोगों के मन में यह विश्वास होना चाहिये कि हमारे देश में एक ऐसी शक्ति भी है जिसके सहारे इस कठिनाई से हम पार पा सकते हैं। पिछले कुछ दिनों में दुनिया के सामने ऐसा कहा गया जैसे भारत बेबस हो ऐसा कहा गया है जैसे हमारे पास कोई रास्ता नही हो। आज हमें एक नया संकेत देना पड़ेगा, हमें दुनिया से यह कहना पड़ेगा कि भारत अपने पैरों पर स्वावलम्बन और स्वदेशी के नारे को लेकर फिर खड़ा हो सकता है। मैं मानता हूँ आज की दुनिया में दूसरों का सहयोग चाहिये, सहायता चाहिये। वो सहयोग और सहायता हम लेंगे लेकिन हमें तो विशेष रूप से अपने ही बल पर, अपने ही पौरुष के सहारे आगे बढ़ना पड़ेगा।
मुझे विश्वास है कि देश के उद्योगपति, देश के व्यापारी और देश से बाहर रहने वाले भारतवासी जिनमें उतना ही देश- प्रेम है जितना हम में। वो आज की हालत में हमारी सहायता करने के लिए तैयार होंगे। सहायता केवल पैसे की नहीं चाहिये, सहायता केवल धन की नहीं चाहिये। हम सबको मिल करके एक नया भारत बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी, कुर्बानी करनी पड़ेगी, एक दूसरे से सहयोग करना पड़ेगा। सहयोग और सदभावना के इसी वातावरण में हम इस देश को आगे बढ़ा सकते हैं।
आज दुर्दिन से हमारे देश में जगह- जगह झगड़े हैं, कलह हैं, पंजाब में पीड़ा है, कश्मीर कराह रहा है, असम में आतंकवाद का एक नया दौर शुरू हो रहा है। तमिलनाडु में भी लोग परेशान हैं। इसका अंत होना चाहिये। मैं देश के लोगों से यह कहना चाहँूगा कि मौत, मौत है, चाहे मौत किसी आतंकवादी की गोली से हो या मौत पुलिस की गोली से हो। गोली चलाना बंद होना चाहिये। अहिंसा का नारा, शांति का नारा, भाई-चारे का नारा जो हमारी विरासत है उसे इस देश में लागू होना चाहिये। मैं उन सारे लोगों को जो एक कारण से या दूसरे कारण से, चाहे जो भी वजह है अगर दुःखी हैं, नाराज हैं उनसे मैं कहना चाहँूगा कि नाराजगी को दूर करें। यह व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का, सम्मान और इजजत का सवाल नहीं है, यह मुल्क के मुस्तकबिल का, इस भारत के भविष्य का सवाल है। पंजाब कें नौजावानों से, कश्मीर के नौजवानो से, मैं कहना चाहूँगा कि हथियार रख दें और प्रेम और शांति के रास्ते से समस्याओं का समाधान करें। सरकार हर तरह से उनसे बातचीत करने के लिए, उनसे नयी राह ढूंढ़ने के लिए तैयार है। लेकिन एक बात याद रखें कि इस भारत भूमि की अखंडता के सवाल पर, इसकी सार्वभौमिकता के सवाल पर, इसके गौरव के सवाल पर कोई सहयोग करना न उचित होगा, न हमारे लिए सम्भव होगा। इसलिए मैं उन सारे नौजवानों से, जिनके अन्दर शक्ति है, पुरुषार्थ है, निवेदन करूंगा, आज के बाद यदि हम कोई ऐसा माहौल बनायें, ऐसा कोई कदम उठायें जिससे हम लोग शांति से रह सकें तो फिर आपसी बातचीत के सहारे कोई रास्ता निकल सकता है।
मैं आपका ध्यान एक ओर ले जाना चाहूँगा। आज अयोध्या में राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद के सवाल को लेकर विवाद खड़ा है। राम हमारी सभ्यता और संस्कृति के एक महान व्यक्तित्व हैं। उनके प्रति हमारे मन में श्रद्धा है। हम सब लोग उनको एक व्यक्ति के रूप में नहीं, एक मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में याद करते हैं। राम की जन्मभूमि में मर्यादा का निर्माण होना चाहिये।
हमें बड़ी प्रसन्नता होगी यदि राम के मन्दिर को भव्य रूप में हम बनायें। सब लोगों को मिल करके अपनी सभ्यता और संस्कृति की इस धरोहर को संजोने के लिए, उसकी स्मृति को बनाये रखने के लिए मिल करके काम करना चाहिये। मन्दिर बने लेकिन किसी दूसरे पूजा के स्थल को गिरा करके नहीं। मैं उन सारे लोगों से जो राम मन्दिर के लिए आज आन्दोलन करना चाहते हैं या कर रहे हैं, उनसे विनम्र प्रार्थना करूंगा कि आप बड़ा मन्दिर बनायें लेकिन मस्जिद न टूटे तो आप देश के साथ उपकार करेंगे, आप उस सब भावना को अक्षुण्ण रखेंगे जो हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी धरोहर है। यदि हिन्दू और मुसलमान मिल करके किसी एक फैसले पर पहुँच जायें तो सरकार को इससे बढ़कर कोई प्रसन्नता नहीं होगी। लेकिन किसी दूसरे की भावना को, उनके जजबातों को ठेस लगाकर अगर राम का मन्दिर बने तो न यह मर्यादा के अनुरूप होगा, न धर्म की मान्यताओं के अनुरूप होगा। मेरा विश्वास है कि इस मामले का हम सद्भावना से और आपसी बातचीत से इसका हल निकालेंगे। इससे तनाव पैदा करना, इससे कोई कठिनाई का दुराव पैदा करना न देश हित में होगा न धर्म की मर्यादाओं के अनुरूप होगा।
मुझे विश्वास है कि हमारे देश के लोग दूसरे सवालों पर भी गौर करेंगे। आज गरीब लोगों के सवाल को लेकर पिछड़े लोगों के सवाल को लेकर आपस में टकराव का एक माहौल बना हुआ है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि जाति-प्रथा एक ऐसी प्रथा है जो पिछले सैकड़ों वर्षों से हमारे समाज में एक विभेद पैदा करती रही है। यह सही है कि जो लोग पिछड़े हैं दुर्भाग्यवश उसमें ही से अधिक लोग गरीब हैं। यदि जाति के नाम पर कोई आरक्षण होता है तो उस पर नाराजगी नहीं होनी चाहिये। लेकिन जिस तरह से आर्थिक विकास हुआ है, उसमें दूसरे वर्ग के लोगों में भी गरीब लोग हैं, उनकी भावनाओं का भी ध्यान रखना होगा। अगर अशांति होती है, अराजकता होती है तो उससे गरीब ही परेशान होता है। गरीब- गरीब है चाहे वे किसी जाति का हो, चाहे किसी धर्म का हो और गरीबी को मिटाने के लिए सभी गरीबों का मिलकर एक साथ काम करना पड़ेगा। अगर हम आपस में लड़ेंगे तो गरीबी से नहीं लड़ सकते। जैसे हम अपने देश के लिए बाते कर रहे हैं उसी तरह हम यह कहना चाहेंगे कि यह पूरा उपमहाद्वीप एक गरीबी का इलाका है। अगर हम आपस में लड़ेंगे तो गरीबी के खिलाफ जेहाद नहीं बोल सकते, चाहे वो हमारे पड़ोसी देश हों। इस सारे हिस्से में हमको एक-दूसरे से दोस्ती रखनी होगी। हमारी सरकार पूरी कोशिश करेगी कि दुनिया के सब देशों से सहयोग करे लेकिन खासतौर से अपने पड़ोसियों के साथ हम मित्रता का व्यवहार रखेंगे। उनके साथ हम मिलजुलकर एक कोशिश करेंगे एक नया माहौल बनाने के लिए जो न केवल इस इलाके के लिए उपयोगी हो बल्कि शांति के रास्ते पर सारी दुनिया को ले जाने के लिए एक नयी राह दे सके। हमें दुःख है कि आज दुनिया में फिर से टकराव की हालात पैदा हो रही है। फिर लड़ाई के लिए एक नया माहौल बन रहा है। अच्छा होता कि जो लड़ाई की ओर जा रहे हैं के पीछे हटें। अमन और शान्ति के रास्ते से ही मानवता को हम आगे बढ़ा सकते हैं। इस बड़े काम में हमको सबका सहयोग चाहिये। जिनकी भी पार्टियों हैं उनसे मैं विनम्र निवेदन करूंगा कि आप ही के सहारे इस देश को बनाना है। गरीबी, भूख, प्यास के खिलाफ एक नया अभियान चलाना है। आप सब लोगों के सहकार, सहयोग से मैं आपको विश्वास दिलाता हँू कि हम इस देश को फिर उस गौरव की ओर ले जा सकेंगे जो इसके इतिहास की परम्परा रही है। आप और हम आइये मिलकर साथ काम करें और आपके सहारे एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ें, भारत को दुनिया में वो ही स्थान दिला सकें जिस स्थान के योग्य भारत हमेशा से रहा है।
यहाँ तरह- तरह के धर्मो के लोग हैं, तरह- तरह की जुबान बोलते हैं, भारत के चमन में तरह- तरह के फूल खिले हैं। हम चाहते हैं कि इस चमन की हर कली मुस्कराए, इसकी कूंचे-कूंचे में बहार आये। अगर एक कली भी मुरझा गयी तो इसमें बहार नहीं आयेगी। आइये, हम अपने खून- पसीने से हम धरती को नयी ताकत दें, इसकी हर कली मुस्कराए जिसकी खुशबू से न केवल देश बल्कि सारी दुनिया महक उठे। इस बड़े काम में हमें आप सबका सहयोग चाहिये। आपसे यही आशीर्वाद, आपसे यही सहकार, यही सहयोग देने के लिए मैं आपके बीच आया हूँ । मुझे विश्वास है, आपका सहकार, सहयोग मुझे मिलेगा।
बहुत- बहुत धन्यवाद
जयहिन्द।