वृक्ष याद दिलाते हैं ब्रजबिहारी के

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ब्रजबिहारी श्रीवास्तव रचनात्मक कामों में रुचि रखते थे, अच्छे पत्रकार थे। लेखक थे। इब्राहिम पट्टी में मेरे घर से लेकर अस्पताल के प्रांगण तक जितने भी वृक्ष लगे हैं, उनकी याद दिलाते रहते हैं। दिल्ली आए थे मुझे मिलने। दिल का दौरा पड़ा और चल बसे। एक सहारा टूट गया। कैसे भुला सकूंगा ऐसे लोगों को। बलिया में केशव सोशलिस्ट कार्यकर्ता थे-समर्पित व्यक्ति। एक विद्यालय में नौकरी करते थे। यहाँ से हटे तो ठेकेदार बने। पैसा कमाया और उसी तरह खर्च भी कर दिया। कहा जाता है कि असफल प्रेम-कहानी ने उनके जीवन को बदल दिया। विरक्ति का भाव आया। भगवान रजनीश के आश्रम गए। उनसे मिलना हो गया, क्योंकि मुझसे अपना संबंध्ा बताया था। रजनीश जी ने उन्हें बुलाया और शीघ्र ही उन्हें दीक्षित भी कर दिया। मुझसे उम्र में वे छोटे थे पर हम लोग उन्हें हँसी-मजाक में चिढ़ाते रहते थे। लेकिन उन पर कोई असर नहीं। वहीं उन्मुक्त हँसी और हर बात को टाल जाने की अनोखी अदा। मेरे लिए अपार स्नेह। मैं चाहे जितनी भी फटकार लगाऊँ, मुझे जलपान व भोजन कराने की उनकी जिद कभी कमजोर नहीं पड़ी। कन्याकुमारी से दिल्ली तक की पद-यात्रा में वे दिन भर इसी प्रकार की सेवा में लगे रहते थे। उनका यह सेवाभाव मेरे तक ही सीमित नहीं था। परिवार से कोई भी काम हो, किसी को कोई आवश्यकता हो, सबके सहायक स्वामी केशवनन्द भी अचानक हम सब लोगों को छोड़ कर चले गए। हृदय रोग का झटका और उनका यों चला जाना मेरे लिए और पूरे परिवार के लिए एक गंभीर झटका था। विद्यार्थी-जीवन में कितने ही लोग साथ आए। उनसे पारिवारिक संबंध्ा जुड़ गए। सूरज नारायण की सड़क-दुर्घटना में मृत्यु हो गई। कितना विश्वास था, उसका मुझ पर और मेरा भी उस पर कितना था स्नेह। घरवालों ने उसकी शादी का प्रस्ताव रखा तो उसने मुझे पत्र लिखा। सलाह मांगी। मेरी शादी बहुत पहले हो चुकी थी। मैंने लिखा कि मुझे सलाह देने को अध्ािकार तो नहीं क्योंकि मेरी राय शायद पूर्वग्रह से मुक्त न हो, पर जब तुमने लिखा है तो उत्तर तो देना ही है। पत्र अंग्रेजी में था। मैंने अंग्रेजी में ही लिखा, ‘‘मैरिज इज वेरी अट्रैक्टिव फ्रूट टू लुक ऐट, बट वेरी सावर इफ टेस्ट।’ उसने शादी कर ली। उसके बच्चे भी हैं। इध्ार बहुत दिनों से मिले भी नहीं थे, पर असमय ही सड़क-दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी याद सदा बनी रहती है। दो साल पहले उसके घर गया था-बलिया जिले के मनियर टाउन एरिया के एक छोटे-से गाँव असना में। उसकी पत्नी से मिला था।

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