चन्द्रशेखर के सामने टूट जाते थे दलीय बंधन

उमेशधर द्विवेदी  


राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर जब प्रधानमंत्री बने तो देश विषम परिस्थितियों से जूझ रहा था। लग रहा था कि इन समस्याओं की लपटें हमारे सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर देंगी लेकिन चन्द्रशेखर जी ने अपने अल्पकाल में ही इन लपटों को ठंडा कर दिया। उन्हें थोड़ा और अवसर मिला होता तो ये समस्याएँ भी विलुप्त हो गयी होतीं। उनका यह थोड़े दिनों का कार्यकाल यह बताने के लिए काफी है कि आपके भीतर संकल्प शक्ति है तो आप असंभव लग रहे लक्ष्य को भी संभव कर सकते हैं, उसे प्राप्त करने की दिशा में देश को अग्रसर कर सकते हैं। चन्द्रशेखर जी के व्यक्तित्व में नेतृत्व का यह गुण रचा-बसा था। वह मानते थे कि किसी समस्या को सुलझाने का अर्थ है, समझाना, बुझाना, तर्क देना और परस्पर विरोध्ाी विचारों में समन्वय करना। वह मानते थे कि व्यक्ति को खुद को तरजीह देना बुरी बात नहीं है लेकिन सिर्फ खुद के लिए सोचना बुरी बात है। वह अक्सर कहते थे कि इस दुनिया में हमारी एक जगह है लेकिन इसके साथ ही हमें यह भी समझना होगा कि सारी जगह हमारी ही नहीं हैं यदि हमें जीने का हक है तो औरों को भी यह हक हासिल है। उनकी इस सोच के कारण उनके सामने दलीय बंध्ान अक्सर टूट जाते थे। हम सभी जानते हैं कि व्यक्ति की प्रतिष्ठा, माननीय व्यक्तित्व की पवित्रता लोकतंत्र का बुनियादी सिद्धांत है। चन्द्रशेखर जी ने अपनी जीवन शैली और विचारों से संपूर्ण देश को एक संकल्प, एक कल्पना और एक पद्धति प्रदान की है जिसके सहारे हम लोकतंत्र को अक्षुण्ण बनाए रख सकेंगे। लोकतंत्र हमसे अपेक्षा करता है कि हम व्यवहार के कुछ आदर्श, कुछ प्रतिमान और कुछ मानक निश्चित कर लें और उसका अनुसरण करें। हम सभी जानते हैं कि राजनीति की बात करना आसान है। उस पर अडिग रह कर अमल करना मुश्किल होता है। कारण राजनीति ऐसा क्षेत्र है जिसमें व्यक्ति को संविध्ाान और कानून का जानकार होने के साथ ही राष्ट्र के समस्त विषयों का भी ज्ञान होना चाहिए। मेरी दृष्टि में समस्त विषयों का विशेषज्ञ राजनीतिक होता है और जो अति चन्द्रशेखर के सामने टूट जाते थे दलीय बंध्ान ध् 223 224 ध् राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर विशेषज्ञ और प्रखर होता है, वह होता है नेतृत्वकर्ता, जिसे आम शब्दों में राष्ट्र का नेता कहा जाता है। यानी एक राष्ट्र नेता को प्रखर समाजशास्त्री, प्रखर चिन्तक, आध्यात्मिक मर्मज्ञ एवं अति सरल के साथ ही अति कठोर व्यक्तित्व वाला भी होना चाहिए। युगदृष्टा चन्द्रशेखर जी में उपरोक्त समस्त गुण विद्यमान थे जिसके चलते वह आजीवन राष्ट्र नेता बने रहे। (लेखक पत्रकार और जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं)

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