गाँव रामपुर, आजमगढ़ में चन्द्रशेखर जी तब भी राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर थे जब देश उन्हें युवा तुर्क कहता थे, जब वह लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पक्ष में श्रीमती इन्दिरा गाँध्ाी के खिलाफ मुखर होकर जनतंत्र के नायक हो गए थे, जब वह जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होकर देश के अध्यक्ष जी हो गए थे और जब वह देश के प्रध्ाानमंत्री होकर प्रध्ाानमंत्री चन्द्रशेखर हो गए थे। वह तब भी राष्ट्रपुरुष थे जब केवल सांसद और समाजवादी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर पूरे देश में अलख जगाते रहे कि भारत दुनिया को जिंदगी का संदेश देने वाला देश है। हमारा दायित्व है कि हम भारत की इस पहचान को बनाए रहें। वह जब भी इस गाँव से गुजरे हैं इस गाँव की महिलाओं ने आगे बढ़ कर उनकी आरती उतारी। हम आरती स्वागत में गाँव के बुजुर्ग भी शामिल होते थे और युवा भी। इसे लेकर लोगों में होड़ रहती थी। यह प्रेम एकतरफा नहीं था। राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर जी को भी इस गाँव से अजीब लगाव था। वह जब भी इध्ार से गुजरे, इस गाँव से होकर गुजरे। इस गाँव में उन्होंने एक स्कूल का भी शिलान्यास किया था। शायद यही कारण है कि चन्द्रशेखर जी के शिष्य यशवंत सिंह ने उनकी स्मृतियों को सजोने के लिए श्री चन्द्रशेखर स्मारक ट्रस्ट का निर्माण इसी गाँव में किया। यहाँ अब भी उनकी जयन्ती और पुण्यतिथि हर वर्ष एक उत्सव की तरह मनायी जाती है। केवल उन्हीं की नहीं उनके आदर्श आचार्य नरेन्द्र देव और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की भी जयन्ती और पुण्यतिथि के समारोह इस ट्रस्ट में देवत्वरूप में होते हैं। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि चन्द्रशेखर जी के विचारों का दीपक इस ट्रस्ट पर रोज जलता है और इसकी रोशनी सर्वत्र पहुँचाने के लिए वाया यशवंत सिंह (राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर के शिष्य, विध्ाान परिषद सदस्य और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री) सोशल मीडिया में परोसा जाता है। इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं श्रीमती प्रियम्बदा सिंह। कोषाध्यक्ष हैं श्री लालबहादुर सिंह और प्रबंध्ाक हैं, ब्रजेश कान्दू। सम्मानित सदस्य हैं, सुभाष सिंह, अशोक पाण्डेय, रघुपति सिंह, रमेश कन्नौजिया, अरविंद सिंह, सुनील सिंह, राम अवतार जायसवाल और श्री राम सिंह। आजमगढ़ से राष्ट्रपुरुष का नाता यूं ही नहीं था। सभी जानते हैं कि प्रजा समाजवादी पार्टी ने 1962 में बाबू विश्राम राय को राज्यसभा में भेजने का फैसला लिया था। आजमगढ़ के गाँध्ाी के नाम की पहचान पाने वाले श्री विश्राम राय ने कहा कि यह अवसर पार्टी और समाजवादी आन्दोलन के लिए समर्पित चन्द्रशेखर को मिलना चाहिए। पार्टी ने श्री राय के प्रस्ताव को स्वीकार किया और चन्द्रशेखर जी राज्यसभा में पहुँच गए। राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर ने इसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वह जीवनपर्यंत लड़ते रहे भूख, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अन्याय, महंगाई और देशी-विदेशी आर्थिक सम्राज्यवाद के खिलाफ। पत्रकार एवं कवि ध्ाीरेंद्र नाथ श्रीवास्तव के शब्दों में कहा जाय तो उनका एक मकसद था, हर पत्ते को खुशी चाहिए, हर डाली को मान चाहिए। हिंदकुशा से हिंद महासागर तक बस मुस्कान चाहिए। श्री चन्द्रशेखर ट्रस्ट की ओर से राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर को विनम्र श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए मैं केवल इतना कहना चाहता हूँ- हम तुम्हारी राह पर चलते रहेंगे। भूख और अन्याय से लड़ते रहेंगे। देश से तम को मिटाने के लिए, नेक दीपक की तरह जलते रहेंगे। (श्री चन्द्रशेखर स्मारक ट्रस्ट रामपुर, जहानागंज, आजमगढ़ के प्रबंधक हैं)