चन्द्रशेखर: असंख्य जड़ों-बर्राहों वाले शाश्वत वटवृक्ष

ओम प्रकाश सिंह  

वरिष्ठ पत्रकार

चंद दिनों पहले ही परंदवाडी गया था। यह पुणे के पास का चन्द्रशेखर जी का भारत यात्रा केन्द्र है। संजय पवार, दरोले जी और नाना उसे संभाल रहे है। यहाँ चन्द्रशेखर जी की अस्थियां रखी हैं। लगभग 35 एकड़ में फैले इस केन्द्र को कभी समाजसेवा और ग्रामीण विकास का बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र बनाने की कोशिशें हुई थीं। जल संरक्षण, सिंचाई, वृक्षारोपण, रेशम बनाने, मत्स्यपालन, शीप फार्मिंग, ग्रामीण स्वास्थ्य आदि के कई कार्यक्रम यहाँ से शुरू किये गये थे। 1983 में जब केन्द्र के लिए जमीन खरीदी गयी तब यह पूरा इलाका इतना अविकसित था कि खाना भी कहीं पास में नहीं मिलता था। पानी तो कई किलोमीटर दूर से लाना पड़ता था। कई बार तो यहाँ चन्द्रशेखर जी को भी भूखे ही रहना पड़ा था। सारी जमीन उन्होंने खुद समतल कराई। खुद खड़े हो कर तालाब खुदवाया। पास की पहाडि़यों पर खुद से 10 लाख पेड़ लगवाये। कभी प्लांटेशन के लिए लगभग आधे महाराष्ट्र में यहाँ से पौधे ले जाए जाते थे। चन्द्रशेखर जी को जानना छात्र जीवन से शुरू हुआ। आपातकाल के दौरान तो पूरा देश ही उन्हें जानना-समझना चाहता था। अपनी पृष्ठभूमि के कारण यदि वे सहज रूप से जय प्रकाश नारायण के सहयोगी माने गए थे, तो उसी सहजता से देश ने उन्हें जे.पी. की परंपरा का, सम्पूर्ण क्रांति का वाहक और उत्तराधिकारी भी माना था। जनता पार्टी के अध्यक्ष बनने के बाद की मुंबई के.के.सी. काॅलेज में हुई उनकी स्वागत सभा जैसी राजनीतिक सभा मैंने नहीं देखी। जैसे सारा भारत ही उनका स्तवन कर रहा था। लोग ईमानदारी-बेईमानी, जाति-पांति, हिन्दू-मुसलमान, काँग्रेस-भाजपा के नेता बने होंगे- चंद्रशेखर इस देश की सम्पूर्ण क्रान्ति के नेता थे। इस देश में आमूल-चूल बदलाव की, सदियों से चली आर ही इच्छा और साधना के नेता। धर्मयुद्ध में आने के बाद पत्रकार के रूप में भी उन्हें जानने-समझने के अवसर मिले। उनके व्यक्तित्व का चुम्बकीय आकर्षण उनकी वैचारिक दृढ़ता, उनके निग्र्रंथि होने और उनके अपनेपन से था। फिर भारतयात्रा का दौर भारत का एक जन नेता सचमुच भारत को बहुत नजदीक से जानने और समझने, उससे एकाकार होने निकला था। कई-कई इलाकों में औरतों का सारा दिन केवल पीने का पानी ढोने में लग जाता है, परंपरागत उद्योग-उद्यम पूरे देश में ढह गए हैं, सार्वजनिक संस्थाएं पूरे देश में मृतप्राय हैं, किसानी सूख गयी है, जंगल उजड़ गए हैं, ग्रामीण जीवन सर्वत्र रीत गया है; जैसी चीजें उन्होंने बहुत नजदीक से जानी-समझी। यह चन्द्रशेखर की अपनी यात्रा भर नहीं थी। जैसे पूरा देश ही उनके साथ-साथ इन सारी बातों को जानता चल रहा था। राष्ट्र का यह गहरा अवगाहन था। इस यात्रा ने उन्हें लगभग अधर देवता की भी छवि दे दी थी। कई-कई इलाकों में लोग अपने बच्चों को उनसे आशीर्वाद दिलाने लाते। कई बार तो नवजात शिशु नामकरण के लिए गोद में डाल दिए जाते। देश किस ध्ाारा में जाना चाह रहा था, खूब प्रतिध्वनित था। राजनीतिक समीकरण श्रीमती गांधी की हत्या से बदलें ठीक उसी तरह जैसे कि एक बार फिर श्री राजीव गांधी की हत्या से राजनीतिक समीकरण बदले। मेरी समझ है कि दोनों ही बार परिवर्तनकामी राजनीति पर बुरा असर पड़ा। जनसत्ता (दिल्ली) में कामकाज के दौरान चन्द्रशेखर जी को बहुत नजदीक से जानने का मौका मिला। प्रतिभा और व्यक्तित्व के अद्भुत धनी। सबके सुख-दुःख में साथ खड़े होने वालें निर्भीक और संवेदनशील। असीम व्यक्तित्व था उनका। असंख्य जड़ों-बर्रोहोंवाले चिरंतन शाश्वत वटवृक्ष। इन वटवृक्ष की जड़ भी अनायास ही हाथ लगी। मुंबई के रिट्ज होटल में उनके साथ खाना खाया। वे श्री कमल मोरारका के अतिथि थे। पेमेंट नहीं करना था। बावजूद इसके उन्होंने चुपके से बिल मंगाया। देखा। और अपने में डूब गए। क्या हुआ? मैं समझ नहीं पा रहा था। उनका चेहरा उठा। आँखें बहुत देर तक अपने -आप में खोयी रही। होठों से निकला- इतने में तो मेरा पूरा गाँव खा लेता ओम प्रकाश। ये असीम वट वृक्ष इस मूल से लेते थे जीवन रस। बाद में मैं मुंबई चला आया। वे कहते, कहीं घर में रहने की व्यवस्था कराते। होटल में रुकने का मन नहीं करता। वे थे चन्द्रशेखर, जो गमछे में भूंजा रखकर खा लेते। भारत के प्रध्ाानमंत्री रहे होने के बावजूद। चन्द्रशेखर: असंख्य जड़ों-बर्राहों वाले शाश्वत वटवृक्ष ध् 263 264 ध् राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर एक काम अनजाने में ही उन्होंने सौंप दिया था। वेदों, पुराणों, उपनिषदों की इतिहास में जांच का। कहा था, नकारात्मक नहीं, सकारात्मक दृष्टि से। समाज को संजीवनी देने के लिहाज से। वह काम अभी भी कर रहा हूँ। कब वह काम बड़ा विस्तार ले उठा, पता ही नहीं लगा। दो-ढाई साल और। मेरा विश्वास है कि उनकी प्रेरणा से जो काम शुरू हुआ वह दुनिया के सभी धर्मों के साथ-साथ प्राचीन इतिहास और संस्कृति की अब तक अनसुलझी सारी गांठों को खोल देगा। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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